पटना/ऋषिकेश/हरिद्वार। लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो गया। इस दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में, विशेषकर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली-एनसीआर के साथ-साथ ऋषिकेश और हरिद्वार जैसे प्रमुख घाटों पर भी आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। व्रती महिलाओं ने 36 घंटे का निर्जला (बिना पानी) उपवास पूरा करने के बाद, उदीयमान सूर्य को विधि-विधान से अर्घ्य दिया और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि और आरोग्य की कामना की।
घाटों पर आस्था का भव्य नज़ारा
नदी किनारे बने छठ घाटों पर मंगलवार की शाम से ही छठ व्रतियों का जमावड़ा शुरू हो गया था, लेकिन बुधवार की सुबह का नज़ारा बेहद अलौकिक और विहंगम था।
उषा अर्घ्य का क्षण: सूर्योदय के निर्धारित समय पर, व्रती महिलाएं अपने परिवारजनों के साथ पानी में खड़ी हुईं। उन्होंने सूप में फल, ठेकुआ, गन्ना और अन्य पारंपरिक प्रसाद भरकर, सूर्य देव को अर्घ्य दिया। यह क्षण छठ महापर्व का अंतिम और सबसे पवित्र अनुष्ठान माना जाता है।
36 घंटे का उपवास पूर्ण: अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाओं ने प्रसाद ग्रहण कर अपना 36 घंटे का कठिन निर्जला उपवास (खरना के बाद से शुरू हुआ) तोड़ा। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो गया।
पटना से नालंदा तक उमड़ी भीड़
बिहार, जिसे छठ पर्व का प्रमुख केंद्र माना जाता है, वहाँ के घाटों पर आस्था का विहंगम दृश्य देखने को मिला। पटना में गंगा घाटों, नालंदा के छोटे-बड़े तालाबों, और अन्य जिलों के छठ घाटों पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु जुटे। स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे। एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें घाटों पर तैनात रहीं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके।
देवभूमि में भी छठ की धूम
सिर्फ बिहार-झारखंड ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड के धार्मिक शहरों ऋषिकेश और हरिद्वार के गंगा घाटों पर भी छठ महापर्व की भव्यता देखने को मिली।
उत्तराखंड में रहने वाले पूर्वांचल और बिहार के लोगों ने बड़ी संख्या में गंगा किनारे घाटों पर छठ पूजा की।
व्रती महिलाओं ने शीतल गंगाजल में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान, छठ के पारंपरिक लोकगीतों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया।
सुरक्षा और स्वच्छता के कड़े इंतजाम
इस महापर्व के दौरान सुरक्षा व्यवस्था सर्वोच्च प्राथमिकता पर रही। भीड़ को नियंत्रित करने और घाटों की गहराई वाले क्षेत्रों को चिन्हित करने के लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी रात भर मुस्तैद रहे।
सुरक्षा व्यवस्था: प्रमुख घाटों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, और डूबने की घटनाओं को रोकने के लिए गोताखोरों की तैनाती की गई थी।
स्वच्छता अभियान: अर्घ्य देने के बाद, छठ समितियों और स्थानीय निकायों ने महापर्व के दौरान हुई गंदगी को साफ करने के लिए तुरंत स्वच्छता अभियान शुरू किया, ताकि घाटों की पवित्रता बनी रहे।
छठ पूजा का यह सफल और शांतिपूर्ण समापन देश की सांस्कृतिक एकता और प्रकृति के प्रति अटूट आस्था को दर्शाता है।
