REWA NEWS: शहर के रतहरा मोहल्ले स्थित एक निजी अस्पताल में बुधवार की सुबह कुछ लोगों द्वारा जमकर हंगामा किया गया। हंगामा कर रहे लोगों का आरोप था कि अस्पताल के डॉक्टर लाश का ट्रीटमेंट कर रहे थे।
मामला विहान हॉस्पिटल रतहरा रीवा का है। अस्पताल में भर्ती भलुहा निवासी महिला माधुरी पटेल की मौत होने की खबर है और उसके बाद ही हंगामे की स्थिति निर्मित हुई। मृतिका के परिजनों का आरोप है कि उन्होंने अपने मरीज को भलुहा सचिव के कहने पर विहान हास्पिटल में भर्ती कराया था। विगत 10 मई को भर्ती मरीज माधुरी पटेल का पथरी का आपरेशन हुआ था।
- महिला मरीज की मौत के बाद विहान हॉस्पिटल में परिजनों ने किया हंगामा, लगाया गंभीर आरोप
- भलुहा निवासी माधुरी का पथरी का हुआ था आपरेशन
आपरेशन के बाद उनके मरीज को होश आया था किन्तु उसके उपरांत ही मरीज को यह कहते हुये कि उसकी हालत गंभीर है उसे आईसीयू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया और उसे वेंटीलेटर पर रख दिया गया। परिजनों के मुताबिक वेंटीलेटर पर जाने के बाद उनके मरीज को होश नहीं आया।
मृतिका के परिजनों को अंदेशा है कि पथरी के आपरेशन पश्चात माधुरी पटेल को देखने कई डॉक्टर वार्ड में पहुंचे थे और उसके बाद ही उसे आईसीयू में आनन-फानन में शिफ्ट कर दिया गया था, तभी उनके मरीज की मौत हो चुकी थी।
अस्पताल प्रबंधन ने महज पैसे के लिये कई दिनों तक उनके मरीज को वेंटीलेटर पर रखे रहा और अस्पताल के डॉक्टर्स मरीज के होश में आने की सांत्वना देते रहे। परिजनों ने आरोप लगाया कि बीती रात उन्हें अस्पताल के डॉक्टरों ने बार-बार यह सूचना मोबाइल पर दे- देकर परेशान कर दिया कि उनके मरीज की हालत काफी गंभीर हो गई है तथा सुबह बता दिया गया कि उनके मरीज की मौत हो गई है।
मरीज से मिलने नहीं दिया गया
मृतिका के भाई का आरोप है कि उनकी बहन को आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया था किन्तु किसी भी सदस्य को वहां जाने की इजाजत नहीं थी। अनुरोध के बाद भी परिजनों को महिला मरीज को देखने जाने नहीं दिया गया। इतना ही नहीं कभी किसी जांच तो कभी किसी बहाने राशि जमा करने को अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा जाता रहा। डॉक्टर एवं स्टाफ के लोग कभी ईको तो कभी एमआरआई की जांच होने की बात करते रहे। ईको टेस्ट तो कराया गया लेकिन एमआरआई नहीं कराई गई।
डेडबॉडी की एमआरआई क्या कराते?
परिजनों के अनुसार मृतिका की दो संतान हैं जिनके पालन पोषण की समस्या होगी। मृतिका को भलुहा के सेक्रेट्री ने यह कहकर भेजा था कि आयुष्मान कार्ड पर उनका उपचार हो जायेगा। उसके बाद इलाज की स्थिति होने पर 2-4 हजार रुपये खर्च हो सकते हैं। शेष खर्च की जिम्मेदारी सेक्रेटी ने ली थी। अस्पताल प्रबंधन द्वारा परिजनों को सूचित किया गया कि 2.50 लाख की दवाई हो चुकी है, शेष के लिए प्रबंधन करना होगा।
सेटलमेंट के लिए घर बुलाया गया
मृतिका माधुरी पटेल के परिजनों ने बताया कि विहान हास्पिटल के संचालक डॉक्टर द्वारा उन्हें घर बुलाया गया और मामले को शांत करने के लिए 50 हजार रुपये देने की पेशकश की गई। डॉक्टर की ओर से कहा गया कि 50 हजार रुपये ले लो और डेडबॉडी भी हम एम्बुलेंस से भेजवा देंगे। परिजनों का कहना था कि उन्हें कम से कम 10 लाख रुपये चाहिये। आरोपों की निगाह से देखा जाय तो यह मामला अभिनेता अक्षय कुमार अभिनीत हिन्दी फिल्म गब्बर इज बैक की कहानी की तरह है। हालांकि परिजनों के खालिस आरोप कोई प्रमाण नहीं कहे जा सकते हैं।
पुलिस में नहीं की शिकायत
बुधवार की सुबह अस्पताल के सामने मीडिया के समक्ष प्रबंधन और डॉक्टर्स पर पैसों के लिए शव का ट्रीटमेंट करने का आरोप लगाने वालों ने घटना को लेकर पुलिस में शिकायत तक दर्ज नहीं कराई। अस्पताल पहुंची पुलिस के सामने परिजनों ने अपने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया एवं किसी प्रकार की शिकायत पुलिस में करने से इंकार कर दिया। स्पष्ट है कि अस्पताल संचालक मामले को सेटलमेंट करने में सफल रहे। उल्लेखनीय है कि विहान हॉस्पिटल शहर के नामचीन डॉक्टर की देखरेख में संचालित हो रहा है। यहां हंगामा होना कोई नई बात नहीं है।
बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा
मृतिका के भाई ने यह भी बताया कि जब उन्हें डॉक्टर द्वारा अपने घर बुलाया गया तो उन्होंने मृतिका के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई कराने का जिम्मा लेने की बात भी कही थी। लेकिन मेरे द्वारा बताया गया कि बच्ची शादी करने लायक है तब डॉक्टर बगले झांकने लग गये। ज्ञात हो कि यदि पुलिस में शिकायत भी हुई होती तो भी कुछ न होता। कारण कि अस्पताल व अस्पताल प्रबंध को सत्ता का संरक्षण प्राप्त है। पुलिस भी ऐसे मामलों में बला क्यों मोल लेगी?