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Rewa News: सीएमएचओ के कांप रहे हाथ; मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिकों में आउटसोर्स कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति का मामला, चुनौती बना पावरफुल मास्टरमाइंड

By Surendra Tiwari

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Rewa News: स्वास्थ्य विभाग रीवा के अधीन संजीवनी क्लीनिकों में दर्जन भर आउटसोर्स कर्मचारियों की कथित फर्जी नियुक्ति मामले की जांच हुये महीनों गुजर गये हैं लेकिन अभी तक नियुक्तियों का सच सामने नहीं आया है। सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी अनुसार तो जांच में नियुक्तियों का फर्जीबाड़ा साबित हो गया है मगर सीएमएचओ रीवा कार्यवाही के लिये साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। करीब चार महीने से उनका एक्शन प्लान ही बन रहा है। सीएमएचओ रीवा प्लान ही बनाते रहेंगे या फिर एक्शन लेंगे, यह बात भविष्य के गर्भ में है।

पूर्व में सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला से संबंधित जांच के संदर्भ में जानकारी चाही गई थी तब उन्होंने जांच रिपोर्ट आने की बात को स्वीकारते हुए कार्यवाही को प्रचलन में बताया था। कार्यवाही में लेटलतीफी समझ से परे बात है। कहीं ऐसा तो नहीं है कि कार्यवाही न करने के लिये सीएमएचओ पर कोई दबाव काम कर रहा हो? दबाव राजनैतिक अथवा विभागीय दोनों में से कोई हो सकता है? अब तो लोगों द्वारा यह भी कहा-सुना जाने लगा है कि मामला विभागीय होने के कारण उसे दबाने का प्रयास किया जा रहा है।

सूत्रों पर यकीन करें तो आउटसोर्स कर्मचारियों की नियुक्ति मामले में जो कूटरचना की गई है उसके पीछे एक ऐसा मास्टरमाइंड है जो राजनैतिक संरक्षण में कुलाचें मार रहा है। मास्टर माइंड की गर्दन फंसी हुई है इसलिये वह अपने बचाव के लिये चौतरफा कतरब्योंत कर रहा है। उसके तरफदारों में सियासत के एक से बढ़कर एक चौधरी शामिल हैं जो इन महानुभाव को बचाने में अपनी पूरी ताकत लगा देंगे। दबाव में आकर कार्यवाही नहीं करने से सीएमएचओ डॉ. संजीव शुक्ला की स्वच्छ व ईमानदार छवि में बट्टा लगना तय है।

सूत्र बताते हैं कि तत्कालीन अधिकारी इसी मास्टरमाइंड के धोखे का शिकार हो गये हैं। अधिकारी की पीछ में खंजर घोपने का काम इसने किया है। अधिकारी भी अब पछता रहे होंगे? सुनने में आ रहा है कि तत्कालीन अधिकारी ने अमुक शख्स के संबंध में विरुद्ध सख्त कार्यवाही करने के लिये लिखकर दिया है। यदि सीएमएचओ रीवा कार्यवाही करने से पीछे हटते हैं तो उन पर मैनेज होने का आरोप भी आ सकता है? प्रतीत हो रहा है कि सीएमएचओ की स्थिति भई गति सांप छछूदर केरी वाली कहावत के समान बनी हुई है?

आउटसोर्स एजेंसी ने खोली थी पोल
गौरतलब है कि सीएमएचओ आफिस रीवा द्वारा फरवरी 2024 में 12 आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती शहर के संजीवनी केन्द्रों में की गई थी। विभाग ने नियुक्ति कर डाली और उस आउटसोर्स एजेंसी को भनक तक नहीं लगी जिसका अनुबंध है। नियुक्ति के फर्जीवाड़े की पोल तो उसी एजेंसी द्वारा खेली गई। एजेंसी की ओर शिकायत की गई तब मामले की जांच कराई गई। तब तक तत्कालीन सीएमएचओ क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख की कुर्सी का प्रभार ग्रहण कर चुके थे। आउटसोर्स के अंतर्गत 4 डाटा एंट्री आपरेटर एवं 8 सपोर्ट स्टॉफ की नियुक्ति की गई थी।

यह नियुक्ति मुख्यमंत्री संजीवनी क्लीनिक रानीतालाब, चोरहटा, चिरहुला हनुमान मंदिर के पीछे, कुठुलिया, चिरहुला नगर निगम एवं घोघर रीवा में की गई थी। आउटसोर्स कर्मचारियों को 8 से 10 हजार रुपये मासिक पारिश्रमिक मिलता है किन्तु सरकारी महकमे में नियुक्ति का नाम हो जाने से अनुचित लेनदेन लाखों में होता। स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के मांस का लोथड़ा किसी ने नहीं खाया होगा, सभी शाकाहारी थे, ऐसा संभव कम जान पड़ता है।
बिना किसी लालच के कोई अधिकारी-कर्मचारी फर्जीबाड़ा क्यों करेगा? उन्हें कौन सी ऐसी गरज होती है? हराम की कमाई की हवस अच्छे-अच्छे ईमानदारों को पथभ्रष्ट कर देती है। यहां देखने वाली बात यह है कि फर्जीबाड़े के पावरफुल मास्टरमाइंड के खिलाफ सीएमएचओ रीवा के हाथ कब तक कांपते रहेंगे? महीनों से प्रस्तुत जांच रिपोर्ट को देखकर कभी तो उनका साहस जागेगा।

Surendra Tiwari

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