Sawan 2023: भगवान शिव के लिए क्यों माना जाता है सावन का प्रिय महीना, आखिर इस महीने को सावन क्यों कहते हैं ? आइए जाने
सावन का महीना 4 जुलाई से ही शुरू है और इस सावन में एक खास बात है खास बात यह है कि यह 1 लगभग 2 महीनों का है। सावन में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
सावन का महीना 4 जुलाई से ही शुरू है और इस सावन में एक खास बात है खास बात यह है कि यह 1 लगभग 2 महीनों का है। सावन में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
Shravan month lord Shiva: 4 जुलाई से सावन का महीना शुरू है इस महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना की जाती है और जो कि यह लगभग 31 अगस्त तक रहेगा उत्तरांचल 3 साल के बाद लगभग इस बार आंधी का मांस लग रहा है। इस वजह से सावन 59 दिनों का है सावन का महीना पढ़ते ही अगर देखा जाए तो सावन तो सिर्फ एक ही महीने का होता है। परंतु 4 जुलाई से 17 जुलाई तक रहने वाला सावन 17 से 31 अगस्त तक अबकी बार होगा एक महीना आदि का मांस चलेगा भगवान विष्णु और भगवान शंकर दोनों की पूजा की जाती है। वैसे तो सावन का महीना भगवान शिव के लिए अधिक पर माना जाता है इस वजह से सावन के सोमवार बहुत ही प्रभावशाली माने जाते हैं परंतु ऐसा क्यों इसके पीछे की क्या है वजह आइए जाने।
भगवान शिव का सावन महीना क्यों है प्रिय
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राज दक्ष के यज्ञ में अध्यक्षता करने के बाद माता सती का दूसरा जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ था तब से माता पार्वती ने शिव जी की प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की जिसके चलते सावन के माह में शिव जी ने माता से विवाह कर लिया इसीलिए उन्होंने यह महा प्रिय इस संबंध में ब्रह्मा के पुत्र संतन कुमारों ने शिवजी से एक बार पर्सन पूछा था कि आपको सावन का महीना इतना क्यों प्रिय है शिव जी ने प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा धार्मिक मान्यताओं में यह भी बताया गया है कि कई जगहों पर बारिश के दौरान शिवलिंग पानी में डूबा रहता था शिवलिंग के ऊपर एक कलश लटका कर लगता है जिससे बूंद बूंद पानी टपकता है। उसे हम जलधारी के नाम से भी जानते हैं।
जिस जगह पर स्थित प्राकृतिक का शिवलिंग मौजूद हो वहां जलधारा भी है शिव के मस्तक पर चंद्रमा और गंगा मैया भी विराजमान है जिनका संबंध केवल जल से है कैलाश पर्वत के चारों और बर्फ की उपस्थिति है और उसमें से मान सरोवर है। जल शिव को बहुत प्रिय है जबकि विष्णु जल में ही निवास करते हैं यह भी माना जाता है कि भगवान शिव सावन के महीने में ही धरती पर आमंत्रित होकर अपनी ससुराल में पहुंचे थे। और उनका स्वागत भी आदर देखकर जल अभिषेक कर कर हुआ था माना जाता है कि प्रत्येक पर सावन माह में भगवान शिव अपनी ससुराल का रूक करते हैं।