Shani Dev Sade Sati: शनि देव की साढ़े साती 3 रसियों पर नहीं होता है कोई असर, जानिए क्यों होता है ऐसा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को सबसे धीरे चलने वाला ग्रह माना गया है. बता दें कि इस ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई वर्ष का वक्त लग जाता है. इस समय सीमा की शनि की ढैया भी बोला जाता है.

Sheetal Chaubey
Published on: 10 May 2023 2:38 PM GMT
Shani Dev Sade Sati: शनि देव की साढ़े साती  3 रसियों पर नहीं होता है कोई असर, जानिए क्यों होता है ऐसा
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को सबसे धीरे चलने वाला ग्रह माना गया है. बता दें कि इस ग्रह को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई वर्ष का वक्त लग जाता है. इस समय सीमा की शनि की ढैया भी बोला जाता है. बता दें कि शनि की साढ़ेसाती और ढैया को बहुत कठिन समय माना जाता है. जिस राशि में शनि प्रवेश कर जाता है उसके बाद अपनी दशा बदलता है जिससे साढ़ेसाती भी कहा जाता है तब उस राशि के जातकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. यदि साढ़े साती हो तो व्यक्ति का हर फैसला गलत साबित होने लगता है साथ ही जीवन में काफी परेशानियां बढ़ जाती हैं और अपने दूर होने लगते हैं या मित्र शत्रु में बदल जाते हैं.

जैसे कि आपको बता दें कि शनि देव हर राशि के जातकों को कभी ना कभी प्रभावित जरूर करते हैं किंतु केवल 3 राशियों पर इसका कोई असर नहीं होता है या मान ले कि इसका असर काफी कम पाया जाता है. दरअसल, शनि देव जब भी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं या फिर अपनी दशा बदलते हैं तब उन राशि के जातकों को इसका अच्छा या बुरा प्रभाव देखने को मिलता है. लेकिन यह बात सच है कि कुछ राशियों पर शनिदेव की साढ़ेसाती का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जिसके कारण इनके काम में कोई रुकावट नहीं आती है और वह बिना किसी अड़चन के अपना काम पूरा कर लेते हैं.


  • कुंभ
  • तुला
  • मकर


आपको बता दें कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुभ ग्रह की दशा पहले से चल रही हो और इसी समय शनि की साढ़ेसाती भी लग जाए तो ऐसी अवस्था में शनि देव अपना पूरा प्रभाव कम डालते हैं. ऐसे में जातकों को कोई भी कार्य करने में अड़चन नहीं आती है और कार्य सही से पूरा हो जाता है. किंतु हां इसके लिए जातकों को थोड़ी अधिक मेहनत करनी पड़ती है. बता दें कि कुंभ और मकर शनि की स्वराशि माने जाते है, तो वहीं तुला राशि में शनि उच्च पाए जाते हैं. ऐसी अवस्था में शनि की साढ़ेसाती होने के बावजूद भी इन तीन राशियों पर शनि का असर कम देखने को मिलता है.

दरअसल, यदि कुंडली में शनि देव तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें घर में उच्च होते है, तो बताया जाता है कि ऐसी स्थिति में शनि की साढ़ेसाती होने के बाद भी व्यक्ति पर इसका बुरा असर नहीं पड़ता है. कहा जाता है कि शनि देव शुभ फलदायी माने जाते हैं. यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा मजबूत भाव में स्थिर है तो शनि की साढ़ेसाती के वक्त भी जातक पर इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. बल्कि इन्हें शायद होने की संभावना और बढ़ जाती है.

Vindhya Bhaskar

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