Bhopal News: स्कूलों में जन्माष्टमी मनाने को लेकर ऐतराज जताने वाले कांग्रेसियों को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खरी-खरी सुनाई। सीएम ने कहा, भगवान श्रीकृष्ण पर अश्रद्धा करना ठीक नहीं है। मथुरा में भी धूमधाम से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाता है। कांग्रेसियों को आपत्ति है तो वे मथुरा जाना छोड़ दें, खुलकर मना करें। सरकार तो श्रीकृष्ण और श्रीराम से जुड़े ऐतिहासिक स्थलों को सामने लाएगी और युवा पीढ़ी को बताएगी। असल में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने स्कूलों में जन्माष्टमी मनाने को लेकर ऐतराज जताया है। उनका कहना है कि अवकाश के दिन स्कूलों में धार्मिक कार्यक्रम करना संविधान की भावना के विपरीत है। यदि जन्माष्टमी मनाने के लिए बाध्य किया जाएगा तो यह ठीक नहीं है। स्कूलों में जिन्हें जन्माष्टमी नहीं मनानी है, वह मना करेंगे। मौजूदा सरकार विवाद ही चाहती है।
- आदेश पर आपत्ति
आदेश संविधान के विरुद्ध
मसूद ने कहा कि आप हिंदू धर्म के त्योहारों को प्राथमिकता दे रहे हैं तो मुस्लिमों के त्योहारों को भी मनाना चाहिए। ईद, गुरु पर्व भी मनाना चाहिए। सरकारी स्कूलों में छुट्टी है तब आयोजन कराने का क्या मतलब है। एक तरफ सरकार मदरसों को लेकर कुछ और कहती है और स्कूलों में जन्माष्टमी मनाने का सरकारी आदेश जारी करती है। यह आदेश संविधान के विरुद्ध है। उनका कहना है कि शैक्षणिक संस्थानों को केवल शिक्षा के लिए ही रहने देना चाहिए।
भाजपा को वोट की चिंता
कांग्रेस प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि भाजपा को वोट की चिंता है। मुख्यमंत्री और उनकी सरकार का रवैया यही दर्शा रहा है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन मनाने पर आपत्ति का सवाल ही नहीं है, बात संविधान की है, जिसमें सरकारी संस्थानों में धार्मिक आयोजनों को लेकर स्थिति पहले से साफ है। जब भाजपा या कोई दल नहीं थे तब से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी धूमधाम से मनते आई है. अब सरकार व भाजपा इसे धूमधाम से मनाने की बात कहकर खुद की किरकिरी करा रही है।
आदेश में बाध्य करने वाली बात नहीं
जन्माष्टमी को मनाने संबंधी जो आदेश बुधवार को कमिश्नर व कलेक्टरों के नाम से जारी किया है, उसमें शासन की ओर से कहीं नहीं कहा कि जन्माष्टमी के आयोजन में सभी को शामिल होना अनिवार्य है। यह जरूर कहा है कि धूमधाम से मनाएं और पर्व के पूर्व सभी जरूरी तैयारियां व इंतजाम कर लें। यह भी कहा कि सरकारी, गैर सरकारी स्कूल, कॉलेजों में श्रीकृष्ण की शिक्षा मित्रता और जीवन दर्शन को लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।