REWA NEWS: लोक निर्माण विभाग रीवा में ऐसे ऐसे इंजीनियर है जिन्हें विभागीय कार्यों का तकनीकी ज्ञान नहीं है। नतीजतन उनकी पढ़ाई-लिखाई पर प्रश्नचिन्ह लगने लगा है? इन्हीं इंजीनियरों के जिम्मे महत्वपूर्ण पदों का प्रभार है तथा इनके भरोसे निर्माणाधीन अनेक सड़कों को सतत् मानीटरिंग का कार्य है।
बड़ा एवं सुलगता सवाल है कि जिन्हें अपने क्षेत्र विशेष का ज्ञान नहीं है वे किसी सड़क की खाक मानीटरिंग करेंगे और इनकी देखरेख में किसी भी सड़क का निर्माण कार्य खाक गुणवत्तापूर्ण होगा? यहां महिमा बखान पीडब्ल्यूडी रीवा की महान विभूति इंजी. ओंकारनाथ मिश्र प्रभारी अनुविभागीय अधिकारी उपसंभाग क्र. रीवा एवं उपयंत्री द्वय आर.एल. पाण्डेय, अशोक मिश्रा का हो रहा है जिनके विषय में टिप्पणी मुख्य अभियंता संजय खांडेने की है।
- देश-प्रदेश के हुक्मरान भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन की प्रतिबद्धता व वचनबद्धता को दोहराते नहीं थकते हैं बावजूद उसके भी भ्रष्टाचार की चुनौतियों का ग्लेशियर पिघल नहीं रहा है। लोक निर्माण विभाग रीवा तो भ्रष्टाचार के चारागाह बना हुआ है। अपने निहित फायदे के लिये अधिकारी ठेकेदारों के साथ मिलकर शासन की आंखों में धूल झोंक रहे है और विभाग को दीमक की तरह खाये जा रहे हैं। कभी कभी तो लगता है कि सरकारें भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन का फकत डफोरशंख बजा रही हैं। पीडब्ल्यूडी रीवा में कई भ्रष्टाचारी सालों से जमे हुये हैं उनके लिये शासन की स्थानान्तरण नीति भी बेमानी बनकर रह गई है। यहां के भ्रष्टाचारियों मुंह तथा पेट में भी दांत है फलस्वरूप हराम का खाया-पिया सबकुछ डायजेस्ट कर लेते हैं। इस विभाग में ऐसे-ऐसे भ्रष्टाचार जीवी हैं जो मरे हुये लोगों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। विभाग में कार्यरत दैनिक वेतन भोगी जो स्वर्गीय हो चुके हैं उनके नाम का वेतन भी आहरण कर रहे हैं। मृतक श्रमिक का वेतन कई महीनों तक आहरण करते रहे और जब गर्दन फंसती नजर आई तब आनन-फानन में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा लाये। एक ही व्यक्ति के दो-दो मृत्यु प्रमाण पत्र लगाये गये हैं। गहन तथा निष्पक्ष जांच हो जाय तो पीडब्ल्यूडी का भ्रष्टाचार कोख से बाहर आने में देर नहीं लगेगी। इतना ही नहीं भ्रष्टाचार का सूत्रपात करने, उसके सूत्रधार और कथरी ओढ़कर घी पीने वाले तक बेनकाब हो जायेंगे? प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का ध्यानाकर्षण पीडब्ल्यूडी रीवा के भ्रष्टाचार की ओर कराया जा रहा है।
परिक्षेत्र रीवा के मुख्य अभियंता ने अपने निरीक्षण प्रतिवेदन में लेख किया है कि अनुविभागीय अधिकारी एवं उपयंत्री में मार्ग निर्माण से संबंधित प्रारंभिक ज्ञान, निधारित मानकों एवं मापदण्डों की जानकारी का अभाव है। मुख्य अभियंता ने इस आशय की टीप की एसडीओ एवं उपयंत्री की गोपनीय चरित्रावली मेंअंकित किया जाना प्रस्तावित किया है। इस संबंध में सूत्र बताते हैं कि संजय खाडे मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग रीवा परिक्षेत्र रीवा द्वारा मनोज कुमार द्विवेदी कार्यपालन यंत्री संभाग क्रमांक 1 रीवा के साथ बीते दिनों गोविंदगढ़ तालाब का भाग रीवा शहडोल अमरकंटक रोड के छूटे हुये हिस्से में कराये जा रहे निर्माण कार्य का निरीक्षण किया गया था।
लापरवाह इंजीनियर
सूत्र बताते हैं कि गोविंदगढ़ तालाब का भाग रीवा-शहडोल-अमरकंटक रोड के छूटे हुये भाग का निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इस कार्य के लिये 7 करोड़ 68 लाख 20 हजार रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति है। जनवरी 2024 से प्रारंभ सड़क निर्माण का कार्य अनुबंधानुसार 6 मार्च 2025 तक पूरा होना है। मुख्य अभियंता संजय खांडे ने निरीक्षण दौरान पाया कि ठेका कंपनी द्वारा निर्माण कार्य अत्यंत धीमी गति से किया जा रहा है। कार्य की कछुआ चाल पर मुख्य अभियंता द्वारा काफी नाराजगी व्यक्त की गई।
सीआरएम का कार्य निर्धारित गुणवत्ता एवं मानक के अनुरूप न होने पर भी उन्होंने रोष प्रकट किया। साथ ही सीआरएम का कार्य निर्धारित मानकों के अनुसार न होने की दशा में किये गये कार्य को रिजेक्ट किये जाने की बात सामने आ रही है। संभवतः मुख्य अभियंता ने अधीक्षण यंत्री को कहा है कि वे अमानक कार्य के स्थान पर निर्धारित गुणवत्तापूर्ण कार्य कराया जाना सुनिश्चित करेंगे। अनुबंधित एजेंसी को ब्लैकलिस्ट किये जाने का प्रस्ताव समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश मुख्य अभियंता श्री खांडे ने दिये हैं।
सूत्र के अनुसार मुख्य अभियंता के संज्ञान में लाया गया कि माप पुस्तिका में निरीक्षण दिनांक तक माप ही अंकित नहीं की गई। उसके लिये उपस्थित अनुविभागीय अधिकारी ओंकारनाथ मिश्रा सहित उपयंत्री के कृत्य को पदीय दायित्वों के निर्वहन में लापरवाही माना गया है। अब यह तो वक्त ही बतायेगा कि मुख्य अभियंता संजय खाण्डे राजनैतिक संरक्षण का टैग लगाकर भ्रष्टाचार करते हुये सत्ता के चेहरे पर बदनामी का कालिख पोत रहे प्रभारी एसडीओ एवं अन्य के खिलाफ कौनर सा तीर मारते हैं?
मृत्यु के बाद 10 माह तक किया गया वेतन आहरण
सूत्रों पर यकीन करें तो पीडब्ल्यूडी उपसंभाग क्र.1 रीवा के उपखंड कटरा में कार्यरत श्रमिक सत्यदेव तनय बैजनाथ की मृत्यु के दस माह तक उसके नाम से वेतन आहरण किया जाता रहा। उसका कारण है कि सत्यदेव पीडब्ल्यूडी रीवा के रिकॉर्ड में अमिक के रूप में दर्ज था लेकिन उसका भौतिक शरीर अन्यत्र कहीं कार्य कर रहा था इसलिये उसकी मौत की खबर यहां के मास्टरमाइंड लोगों तक देर से पहुंची। श्रमिक सत्यदेव का खाते से वेतन आहरण करने वाले कौन लोग है यह जांच का विषय है।
ताज्जुब की बात तो यह है कि उपयत्री, एसडीओ से लेकर कार्यपालन यंत्री तक मृतक की उपस्थिति से लेकर वेतन पत्रक तक में दस्तखत करते रहे हैं। यह वही पीडब्ल्यूडी आफिस है जहां करोड़ों के टेंडर टुकड़ों में चहेते ठेकेदारों को बांट दिये जाते हैं। क्षेत्राधिकार से बाहर के कार्यों का बिल भुगतान ठेकेदारों को कराने के लिए अधिकारी फर्जी दस्तखत करने से भी गुरेज नहीं करते हैं। प्रभारी एसडीओ ओंकारनाथ मिश्रा कुछ ज्यादा ही सुर्खियां बटोर रहे हैं। मुख्यमंत्री पीडब्ल्यूडी रीवा के घटाघोप भ्रष्टाचार की और निगाह डालेंगे, यह जनापेक्षा है।