REWA NEWS: भारतीय सेनाओं की दो प्रमुख इकाईयों नौसेना में दिनेश कुमार त्रिपाठी और थल सेना में उपेन्द्र द्विवेदी को कमान मिली है। दोनों ही प्रमुखों की जड़ें विंध्य क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं।
नौसेना प्रमुख श्री त्रिपाठी अविभाजित सतना जिले के महुडर गांव के पैतृक निवासी है। जबकि सेना प्रमुख उपेन्द्र द्विवेदी रीवा जिले के गढ़ तहसील अंर्तगत आने वाले मुड़िला गांव के रहने वाले हैं। दो प्रमुख पदों पर आसीन होने वाले सैन्य अधिकारियों ने रीवा के सैनिक स्कूल से ही शिक्षा प्राप्त की है।
30 अप्रैल 2024 को वह सुखद समय आया जब दिनेश कुमार त्रिपाठी ने सतना जैसे सामान्य इलाके से निकल कर नौ सेना प्रमुख का पद प्राप्त किया।
वहीं 11 जून 2024 को आधिकारिक रूप से उपेन्द्र कुमार द्विवेदी को नए सेना प्रमुख का ताज दे दिया गया जबकि 30 जून को वह विधिवत चार्ज प्राप्त करेंगे। कुल मिला कर जल और थल की निगरानी’ का जिम्मा विंध्य के दो सपूतों को मिला है।
यह पूरे विंध्य के लिए गर्व का समय है। इसके साथ ही सतना रीवा का नाम विश्व पटल पर चमक उठा है।
मूलत- म.प्र. के रीवा जिले के ग्राम मुड़िला (गढ़) निवासी उपेन्द्र द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1964 को हुआ था। पिता श्रीकृष्ण द्विवेदी म.प्र. के पहले माइनिंग आफीसर थे जबकि माता श्रीमती मानवती द्विवेदी गृहिणी थीं। सन् 1973 से 1980 तक सैनिक स्कूल रीवा के छात्र रहे उपेन्द्र द्विवेदी का हाउस नर्मदा हुआ करता था।
इनके अग्रज डॉ. पी.सी. द्विवेदी श्यामशाह मेडिकल कालेज रीवा के सेवानिवृत्त डीन हैं। दूसरे नंबर के भाई पी.एस. द्विवेदी सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर हैं। इकलौती बहन डॉ. पुष्पा पाण्डेय जिला अस्पताल जबलपुर में स्वी रोग विशेषज्ञ के तौर पर सेवाएं दे रही हैं। सहधर्मिणी श्रीमती सुनीता द्विवेदी और दो पुत्रियों से परिष्कृत परिवार लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी का है।
विशिष्ट सेवा के 40 साल
उल्लेखनीय है कि ले िटनेंट जनरल द्विवेदी 15 दिसम्बर 1984 को भारतीय सेना की इन्फेंट्री (ज मू एण्ड कहमीर राइफल्स) में शामिल हुये थे। लगभग 40 वर्ष से देश की सेवा में रत सेना उप प्रमुख द्विवेदी महानिदेशक इन्फेंट्री, जनरल आफीसर कमांडिंग (सु यालय उत्तरी कमान) सहित कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत रहते हुए जि मेवारी निभा चुके हैं।
रक्षा और प्रबंधन आध्ययन में एम.फिल. की डिग्री प्राप्त श्री द्विवेदी के पास रणनीतिक अध्ययन एवं सैन्य विज्ञान में भी जातकोतर की दो डिग्रियां हैं। परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल तथा तीन जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ प्रशरित कार्ड से भी इन्हें अलंकृत किया जा चुका है।