REWA NEWS: नगर निगम रीवा के अधिकारियों द्वारा फायर सेफ्टी को लेकर शहर के आधा दर्जन निजी अस्पताल व नर्सिंग होम का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण दौरान अनेक खामियां मिलीं जिनके दुरूस्तीकरण के लिये संचालकों को हिदायत दी गयी।
निरीक्षण में पाई गई कमियों के लिये अस्पताल संचालकों को नोटिस जारी किया जा रहा है। देश-प्रदेश के अंदर आये दिन अस्पतालों में होने वाली आगजनी की घटनाओं के बावजूद भी रीवा जिले के अस्पताल संचालक सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
- लापरवाही के हादसे को आमंत्रण दे रहे नर्सिंग होम्स
- निजी अस्पतालों में कहीं फायर अलार्म सिस्टम नहीं तो कहीं नहीं है एनओसी
- नगर निगम अधिकारियों के आकस्मिक निरीक्षण में खुली पोल
दिल्ली में बेबी केयर के नाम से संचालित एक निजी अस्पताल में हुई लापरवाही की भीषण दुर्घटना ने परे देश को झकझोर कर रख दिया है। कई बच्चे उस भीषण अग्निकांड में काल कवलित हो गये हैं।
नगर निगम की टीम द्वारा तीर्थ नर्सिंग होम, रेनबो हास्पिटल, केएल अग्रवाल नर्सिंग होम, लाइफ केयर हास्पिटल, परसोनिया नर्सिंग होम, सॉईकृपा नर्सिंग होम का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। कहीं फायर अलार्म सिस्टम तो कहीं फायर उपकरण नहीं मिले।
आपको बता दें कि नर्सिंग होम एवं अस्पताल संचालित करने वाले लोग स्वतःडॉक्टर हैं लेकिन बरती जा रही लापरवाही देखकर उनके नीयत और विवेक पर संदेह होने लगता है। शहर के चर्चित डॉ. केएल अग्रवाल नर्सिंग होम में फायर पम्प पैनल ऑटो नहीं है।
फायर अलार्म सिस्टम भी नहीं पाया गया। नर्सिंग होम में न तो फायर डिडेक्टर है और न ही स्पिंकरल उपलब्ध है। इसी प्रकार रैनबो हास्पिटल में फायर अलार्म सिस्टम नहीं है। निरीक्षण टीम ने पाया कि स्मोक डिडेक्टर एवं स्प्रिंकलर भी नहीं है। रैनबो हास्पिटल के पास एनओसी तक नहीं है।
मांगी गई आडिट रिपोर्ट
नगर निगम के अधिकारियों की टीम ने लाइफ केयर हास्पिटल के निरीक्षण में पाया कि फायर पम्प ऑटो नही है। इमरजेंसी एक्जिट द्वार भी नहीं है।
तीर्थ मेमोरियल नर्सिंग होम में फायर उपकरण नहीं पाया गया। किसी भी प्रकार की एनओसी भी अस्पताल प्रबंधन के पास नहीं है। पर्सोनिया नर्सिंग होम में भी एनओसी देखने को नहीं मिली। निरीक्षण कर्ता अधिकारियों ने सॉईकृपा नर्सिंग होम प्रबंधन से मॉकड्रिल कराकर आडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिये कहा है।
भगवान न करे कि रीवा के अस्पतालों में किसी प्रकार का आगजनी का हादसा हो वर्ना हाथ मलने के सिवाय किसी के पास कुछ सोचने-विचारने को नहीं रह जायेगा। प्रशासन को इस दिशा में सख्त रवैया आख्तियार करना चाहिये।