Solar Light Scam: रीवा कलेक्टर ने कार्यपालन यंत्री विनय श्रीवास्तव को नोटिस जारी कर 3 दिवस में मांगा जबाव

Solar Light Scam Rewa: लोक निर्माण विभाग (विद्युत यांत्रिकी) रीवा का लाखों का सोलर लाईट घोटाला प्रकाश में आया है। इस विभाग द्वारा कागजों में सोलर लाईट लगाने और भुगतान करने का कारनामा किया गया है। मामला संज्ञान में आने पर कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने पीडब्ल्यूडी ईएण्डएम रीवा के कार्यपालन यंत्री विनय कुमार श्रीवास्तव को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए नोटिस प्राप्ति के 3 दिवस के अंदर समक्ष उपस्थित होकर जबाव प्रस्तुत करने का हुक्म दिया है।

कार्यपालन यंत्री श्रीवास्तव को चेताया गया है कि निर्धारित समयावधि में उत्तर प्रस्तुत नहीं करने पर संबंधित कार्य के प्रति बरती गई लापरवाही एवं स्वेच्छाचारिता के लिये विधि अनुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी। जानकारी अनुसार कार्यालय कलेक्टर (संभागीय योजना एवं सांख्यिकी विभाग) रीवा के आदेश से वर्ष 2023-24 में सोलर लाईट के लिये 1 करोड़ 49 लाख 25 हजार रुपये की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जाकर 1 करोड़ 11 लाख 91 हजार से अधिक की राशि बतौर प्रथम किश्त निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी (ईएण्डएम) रीवा को प्रदाय की गई थी।

कार्यालय कलेक्टर (संभागीय योजना एवं सांख्यिकी विभाग) द्वारा सोलर लाइट (एलएडी) के संबंध में 23 जनवरी 2024 को पुनः 80.53 लाख की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति जारी करते हुए निर्माण एजेंसी को 60.40 लाख रुपये की प्रथम किश्त प्रदाय की गई। कार्यपालन यंत्री पीडब्ल्यूडी ईएण्डएम द्वारा 30 अप्रैल 2024 को प्रथम किश्त की राशि का उपयोग किया जाना दर्शित करते हुये पूर्णता प्रमाण पत्र एवं फोटोग्राफ्स प्रस्तुत किये गये और द्वितीय किश्त की राशि जो क्रमशः 37.309 लाख एवं 20.13 लाख अर्थात् कुल 57.439 लाख थी, का मांग पत्र प्रस्तुत करते हुये शेष राशि भुगतान की मांग की गई। उसी आधार पर निर्माण एजेंसी को 57 लाख 43 हजार 900 रुपये का भुगतान भी हो गया।

विकास के सत्यानाशी
उल्लेखनीय है कि सांसद-विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधि क्षेत्रीय विकास के लिये अनेक योजनाओं-परियोजनाओं को खींचकर लाते हैं। उनके अहर्निश प्रयास से ही क्षेत्र का विकास मुमकिन होता है। परंतु कार्यपालन यंत्री श्रीवास्तव जैसे अधिकारियों को विकास कार्य नहीं सुहाते हैं। इसी कार्यप्रवृत्ति के अधिकारी विकास के सत्यानाशी बने हुये हैं। शासन-सत्ता को इसी चरित्र के अधिकारियों के कारण बदनाम होना पड़ता है। विडंबना इस बात की है कि जो अधिकारी शासन- सत्ता के दामन पर भ्रष्टाचार का कलुषित दाग लगाने में जुटे रहते हैं उनके लिये राजनैतिक संरक्षण ही कवच का कार्य करता है?

एसडीएम के निरीक्षण में खुली पोल
बताया जा रहा है कि अपनी आदतानुसार पीडब्ल्यूडी ईएण्डएम के जिम्मेदारों एवं ठेकेदारों के गठजोड़ द्वारा जमकर कागजी खेल किया गया और लाखों की राशि का बंदरबाट कर लिया गया। कागजों में सोलर लाइट लगाकर उजाला फैला दिया गया। एक ही सोलर लाइट के कई एंगल से फोटो लेकर और कम्प्यूटर से सोलर लाइट के फोटोग्राफ्स तैयार कर प्रस्तुत कर दिये गये ताकि शेष राशि का भुगतान हो सके। खबर है कि जिला प्रशासन स्तर से गुगतान रोकने की कवायद की गई किन्तु तब तक निर्माण एजेंसी के खाते में भुगतान राशि ट्रांसफर हो चुकी थी। कथित घोटाले की जानकारी होने पर कलेक्टर के निर्देश पर अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) गुढ़ एवं रायपुर कर्चुलियान द्वारा कई स्थानों का भौतिक स्थल निरीक्षण किया जाकर जांच रिपोर्ट कलेक्टर रीवा के समक्ष 30 अगस्त 24 को प्रस्तुत की गई। निर्माण एजेंसी ने लंबा गोलमाल किया है। कहीं-कहीं तो स्वीकृत स्थल पर सोलर लाइट लगाये बिना ही भुगतान प्राप्त कर लिया गया है। कई स्थानों में लाइट लगाने की रस्मअदायगी की गई है। एसडीएम गुढ़ व रायपुर कर्चुलियान की जांच में कार्यपालन यंत्री विनय श्रीवास्तव की करतूतों का भंडाफोड़ कर दिया है।

गुढ़ और देवतालाब विधानसभा का मामला
सूत्रों की मानें तो विधानसभा क्षेत्र गुढ़ एवं देवतालाब के कई ग्रामों एवं बस्तियों में सोलर लाइट लगाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी। गुढ़ क्षेत्र में चोरगड़ी, जिवला, जोगिनहाई, रमपुरवा, बरसैता एवं डढ़वा तथा देवतालाब क्षेत्र में देवरा फरेंदा, मनिकवार नंबर 1, हिनौती एवं मेथौरी ग्राम पंचायत के लिये सोलर लाइट की स्वीकृति प्रदान की गई थी। एसडीएम द्वारा की गई जांच में पाया गया कि चोरगड़ी आदिवासी के लिये स्वीकृत 25 में एक भी सोलर लाईट नहीं लगाई गई है। जिवला हरिजन बस्ती से मंदिर तक स्वीकृत 20 सोलर लाईट लगी हैं जिनमें एक बंद पाई गई। रमपुरवा हरिजन बस्ती में स्वीकृत 20 सोलर लाइट में 20 लगी है किन्तु 2 बंद मिलीं। बरसैता आदिवासी बस्ती के लिये 30 नग सोलर लाइट की स्वीकृति थी किन्तु 15 नग लगाकर ही काम चला दिया गया और भुगतान 30 लाइट का प्राप्त कर लिया गया। इसी प्रकार डढ़वा आदिवासी बस्ती में स्वीकृत 30 में से मात्र 18 लाइट लगाई गई और 12 लाइट हजम हो गई। डढ़वा में हाईमास्क लगाना था जिसे पंचायत के स्थान पर बूढ़ी माता मंदिर में लगा दिया गया। देवतालाब क्षेत्र की ग्राम पंचायत देवरा फरेंदा अंतर्गत बेलहाई आदिवासी बस्ती के लिये 45 सोलर लाइट की स्वीकृति थी किन्तु 1 लाइट लगाकर 44 का गोलमाल कर दिया गया। हिनौती केवट बस्ती एवं हरिजन बस्ती के लिये स्वीकृत 40 सोलर लाइट में मात्र 12 लाईट्स का लगा होना पाया गया जबकि 28 लाइट लगाई ही नहीं गई। देवतालाब क्षेत्र के ही मेथौरी महुली मुस्लिम एवं आदिवासी बस्ती के लिये 35 सोलर लाइट लगाने की स्वीकृति प्रदान की गई थी किन्तु निर्माण एजेंसी ने बिना लाइट लगाये ही बिल का भुगतान प्राप्त कर लिया।