विंध्य विकास प्राधिकरण: केवल कागजों में जिंदा;  क्षेत्र के विकास की योजनाएं ठप, 6 साल से खाली है अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों के पद

REWA NEWS: विंध्य के आठ जिलों को मिलाकर बनाया गया विंध्य विकास प्राधिकरण अपने शैशव काल में दम तोड़ने लगा है। इसके दायरे में आने वाले दो संभागों के जिलों की तस्वीर बदलने के मंसूबे के साथ गठित यह प्राधिकरण अब केवल कागज में सीमित हो कर रह गया है।

प्राधिकरण में आज की स्थिति में गवर्निंग बाड़ी तक नहीं बची है। आलम यह है कि 16 साल पहले बने विंध्य विकास प्राधिकरण को अभी तक एक मुक्कमल कार्यालय तक नही मिल सका। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस प्राधिकरण के प्रति सरकार का रवैया कितना है।

यही वजह है कि बीते 6 वर्ष से विंध्य विकास प्राधिकरण में अध्यक्ष और सदस्य नहीं बनाए गए। इसका गठन 27 सितंबर 2008 को गजट नोटिफिकेशन के साथ किया गया था। और भाजपा नेता अजय प्रताप सिंह पहले अध्यक्ष बनाए गए थे। जिस प्राधिकरण को रीवा से संचालित होना था, उसकी विकास योजनाएं अब भोपाल से तय होने लगी हैं।

गौरतलब है कि विंध्य विकास प्राधिकरण का गठन रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडौरी जिलों के सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन को दूर करने तथा विकास की गति को बढ़ाने के मकसद के साथ 27 सितंबर 2008 में किया गया था। इसमें क्षेत्रीय स्तर पर विकास योजनाएं तैयार करने और विंध्य विकास निधि से योजनाओं के क्रियान्वयन का दायित्व शामिल है।

खास बात यह है कि इन योजनाओं और प्रस्तावों के लिए वित्तीय संशाधन केंद्र, वित्तीय संस्थाओं एवं निजी स्रोतों से हासिल करना था। विडंबना की बात यह है कि यह प्राधिकरण महज चंद सालों में ही प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार बन गया।

कार्यालय में बचे हैं लेखापाल और प्यून
विंध्य विकास प्राधिकरण का संचालन किस कदर किया जा रहा है, इसका अनुमान कार्यालय की व्यवस्था देखकर लगाया जा सकता है। विविप्रा के पास स्थायी कार्यालय नहीं है, इन दिनों कालेज चौराहे के पास एक पुराने शासकीय भवन के एफ टाइप के एक कमरे में संचालित है और कर्मचारी के नाम पर केवल एक लेखापाल और एक प्यून हैं। कार्यालय का बोर्ड तक कहीं नजर नहीं आता है। जबकि यहां एक सहायक अधीक्षक, सहायक ग्रेड-2 के दो पद और एक पद कम्प्यूटर ऑपरेटर संविदा सृजित किए गए थे।

ऐसी थी गवर्निंग बाडी
विंध्य विकास प्राधिकरण के गठन के साथ एक गवर्निंग बाड़ी का भी गजट में प्रकाशन प्रदेश सरकार ने किया था। जिसमें एक शासन द्वारा नामित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा बतौर सीइओ संभाग उपायुक्त विकास एवं विंध्य क्षेत्र के सांसद और क्षेत्र के एक तिहाई विधायक चक्रानुसार शामिल किए गए। इसके साथ ही विशेष आमंत्रित सदस्यों में रीवा और शहडोल संभाग के आयुक्त एवं जिलों के कलेक्टर रहे। यह प्राधिकरण 2018 के बाद से केवल चंद कर्मचारियों के नाम पर कागजों में चल रहा है, जबकि इस अवधि में मैहर और मऊगंज दो नए जिले भी बन गए, लेकिन इसके संचालन की योजनाएं ठप हो गई।

  • कार्यालय जिस भवन में लगता है, उसके सामने के कमरे पीएचई मैकेनिकल का ऑफिस कर दिया गया है, ऐसे विव्य विकास प्राधिकरण को पीछे एक कमरा और टीनशेड में कर दिया गया। स्टाफ नहीं है, इसलिए काम काज प्रभावित होना स्वाभाविक है। राजेश कोल, लेखपाल