रीवा। जिले में प्राकृतिक खेती को सरकार बढ़ावा दे रही है। इसी कड़ी में साल दरअसल इसका रकवा भी बढ़ रहा है। इस बार खरीफ के सीजन में प्राकृतिक व मोटे अनाज की खेती का रकवा तीन गुना बढ़ेगा। इसके लिए सिरमौर,त्योंथर, जवा, हनुमना और मऊगंज जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में मोटे अनाज की लगभग पांच हजार हेक्टेयर भूमि में खेती की जाएगी। इसके लिए बीज शासन के द्वारा किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।

बता दें कि कृषि का उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार किसान रासायनिक खाद का उपयोग कर रहे है। इसे जमीन की ऊर्वरा शक्ति प्रभावित हो रही है। फसलों में खाद को अधिक रासायनिक प्रयोग से लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है। ऐसे में सरकार अब प्राकृतिक खेती को बढ़ा दे रही है। इसमें पुराने मोटे अनाज ज्वार , बाजरा कोदो की खेती को बढ़ावा दे रही है। गत वर्ष जिले में पंद्रह सौ हेक्टेयर से बोनी के रकवा को इस बार पांच हजार हेक्टेयर तक किया जाएगा।

बाक्स कोदो खरीदने की एजेंसी तय
मोटो अनाज को बढ़ावा देने और उसका बाजार उपलब्ध कराने का जिम्मा भी सरकार उठा रही है। इसके लिए सरकार ने एक विपणन संस्था को जबावदारी सौंपी है। जो किसानों को पूरा मोटा अनाज उसके क्षेत्र से खरीदेगी। इसके बाद यह अनाज की वह ग्रेडिग़ का बाजार में लोगों को उपलब्ध कराएगी। बता दें कि किसानों को मोटे अनाज का बाजार उपलब्ध नहीं होने के कारण किसानों ने धीरे धीरे खेती छोड़कर धान व गेहूं की ज्यादा बोनी करने लगे।

10 रूपए प्रति किलो का मिलेगा बोनस सरकार मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए समर्थन मूल्य के अतिरिक्त 1० रूपए प्रति किलो का बोन्स किसानों को मोटे अनाज के विक्रय के दौरान देगी। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार मोटे अनाज की खेती के लिए अधिक से अधिक संख्या में किसान आगे आएंगे।

इस बार पांच हजार हेक्टेयर में मोटे अनाज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए पूरी कार्ययोजना तैयार है किसानों को इसके लिए प्रेरित करने काम किया जा रहा है। किसान मोटे अनाज की खेती के लिए आगे आए।
यू सी बागरी उप संचालक कृषि

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