यूपीएससी में खड़ौरा के अनुप की 879 रैंक
पांचवें प्रयास में यूपीएससी क्रेक करने वाले अनूप का कहना है कि वे ग्रामीण परिवेश से आते हैं और लगातार देखते हैं कि किसानों को करप्शन की वजह से कितनी परेशानी होती है। तब से ही यह सोचने लगे थे कि प्रशासनिक सेवा में जाकर इसे दूर करने का प्रयास करेंगे।
सतना. नागौद के खड़ौरा गांव के अनूप कुमार बागरी का चयन यूपीएससी में 879 रैंक पर हुआ है। पांचवें प्रयास में यूपीएससी क्रेक करने वाले अनूप का कहना है कि वे ग्रामीण परिवेश से आते हैं और लगातार देखते हैं कि किसानों को करप्शन की वजह से कितनी परेशानी होती है। तब से ही यह सोचने लगे थे कि प्रशासनिक सेवा में जाकर इसे दूर करने का प्रयास करेंगे।
इस बार यूपीएससी क्रेक तो कर ली लेकिन इस रैंक से आइआरएस मिल सकेगी। लिहाजा, अभी आइएएस के लिए तैयारी जारी रहेगी। खड़ौरा के मथुरा प्रसाद बागरी और वंदना बागरी के बेटे अनूप ने सेंट माइकल से पीसीएम ग्रुप से हायर सेकंडरी पूरी करने के बाद एलएनसीटी से सिविल इंजीनियरिंग की। इंजीनियरिंग के बाद अनूप यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले गए। पिछली बार मेंस तक गए लेकिन कुछ अंक से रह गए। कोरोना के बाद से सतना में ही रहकर तैयारी कर रहे थे।
करप्शन पीड़ित किसानों को देख आइएएस में जाने की ठानी है
जारी रखेंगे प्रयास : अनूप ने कहा कि स्कूल की प्राथमिक पढ़ाई पड़ोस के गांव इटौरा से की। इसके बाद सतना आ गए। इस बार नतीजा कुछ हद तक अच्छा रहा, लेकिन कलेक्टर बनने लिए रैंक अच्छी चाहिए होगी। लिहाजा अभी प्रयास जारी रहेंगे।
माता-पिता प्रेरणा: अनूप ने कहा कि उनके माता-पिता उनकी प्रेरणा हैं। जब भी कभी परेशान होता तो वे हौसला बढ़ाते। अनूप का तैयारी करने वालों को संदेश है कि हौसला नहीं हारना चाहिए, सफलता मिलेगी।
...और पास करना पड़ा सवाल
इस बार के इंटरव्यू में उनसे पहला ही सवाल पूछा गया कि सामने जो दीवार दिख रही है, इससे ईंटें निकालनी है। कहां से और केसे ईंटें निकालेंगे कि स्ट्रक्चर भी न बिगड़े और ईंटें भी निकल जाए। इंजीनियरिंग छोड़े काफी समय हो गया था। लिहाजा इस सवाल को पास कर दिया। इसके बाद के सभी सवालों के सही जवाब दिए।