MP में चुनाव आते ही "ब्लैकमेलिंग" पर उतरे कर्मचारी: हड़ताल पर गये कर्मचारियों की 'बर्खास्तगी' क्यों नहीं, किससे डर रही सरकार
किसानों के 18 करोड़ कर्ज वितरण में हड़ताल का पेंच, नहीं हो पा रहा खाद का अग्रिम उठाव
मध्य प्रदेश में अब जल्द ही चुनाव होने जा रहे हैं ऐसे में भारतीय जनता पार्टी लगातार घोषणाओं की अंबार लगा दी है, हर कर्मचारियों को किस तरह से लाभ दिया जाए इसकी पूरी जो तोड़ कोशिश की जा रही है, इसलिए वेतन तक दो गुना तक कियें जा रहे हैंं, मुफ्त में रेवड़ियां बनती जा रही हैं, जिसके चलते सरकारी कर्मचारी आंदोलन की राह में आ गए हैं और सरकार को ब्लैकमेल करने पर उतर आए हैं, मध्य प्रदेश में शिक्षक, पटवारी, सहकारी बैंक, सहित अन्य विभागों के कर्मचारी एक-एक कर हड़ताल पर जा रहे हैं और अपनी मांगों को जबरन मंगवाने की कोशिश कर रहे हैं, यह यू कहें कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार को पूरी तरह से ब्लैकमेल करने की कोशिश की जा रही है और सरकार भी ब्लैकमेल हो रही है, जबकि आंदोलन पर जा रहे इन कर्मचारियों को तत्काल बर्खास्तगी की राह दिखानी चाहिए सरकार को, लेकिन सरकार भी वोट के लिए उनकी मांगे मानने पर तैयार हो रही है, यदि यही रवैया रहा तो आने वाले समय में इसका परिणाम बेहद ही चिंताजनक होगा।
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक रीवा के कर्मचारी 6 सितम्बर से लगातार कार्य बहिष्कार आंदोलन कर रहे हैं। राजधानी भोपाल में बैठे सहकारिता विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने अपने कानों में बेशक रुई डाल रखी हो ताकि रीवा के बैंक कर्मचारियों का सिंहनाद उनके कानों में सुनाई दे लेकिन विभागीय कामकाज पूरी तरह ठप है। अमानतदार अपना ही जमा धन संबंधित शाखा से निकाल नहीं पा रहे हैं। किसान पृथक से परेशान हैं।
हड़ताल के कारण ऋण वितरण का कार्य अवरुद्ध है लिहाजा खाद आदि के लिए उन्हें बाजार का रुख करना पड़ रहा है जहां व्यापारी महगे दामों में उनको खाद उपलब्ध करा रहे हैं। बैंक कर्मचारियों की हड़ताल ने ऋण वितरण के लक्ष्य को भी बाधित कर रखा है। जानकारी अनुसार रीवा जिले के किसानों के लिये खरीफ ऋण वितरण का लक्ष्य 60 करोड़ रुपये निर्धारित था जिसके विरुद्ध सहकारी बैंक के माध्यम से 42 करोड़ रुपये का ऋण वितरण हुआ है जबकि 18 करोड़ का ऋण अभी वितरण के लिये शेष है।
हड़ताल ने सहकारी बैंकों से लेकर सहकारी समितियों के कार्य को प्रभावित किया है। खरीफ वर्ष का संपूर्ण कर्ज किसानों को वितरण नहीं हो पाया है और इसी हड़ताल के चलते रबी वर्ष के लिए खाद का अग्रिम उठाव नहीं हो पा रहा है। आगामी एक अटूबर से आरंभ होने वाले रबी वर्ष की फसल बोवाई के वास्ते सितम्बर माह में खाद के अग्रिम उठाव का प्रावधान है किन्तु हड़ताल के कारण खाद का अग्रिम उठाव नहीं हो पा रहा है। खाद गोदामों में डम्प है, सहकारी समितियों तक नहीं पहुंच पाई है।
अधर में कप्यूटरीकरण समस्त सेवा सहकारी समितियों का कप्यूटरीकरण सरकार की योजना है। समितियां कप्यूटरीकृत हो जाने से जहां वे हाईटेक हो जायेंगी वहीं मैनुअल कार्य में होने वाली गड़बड़ी पर रोक लग जायेगी। मगर सहकारी बैंक कर्मचारियों की बेमियादी हड़ताल के कारण समितियों का कप्यूटरीकरण भी नहीं हो पा रहा है। कहना उचित होगा कि समितियों का कप्यूटरीकरण अधर में लटका हुआ है? गौरतलब है कि रीवा एवं नवगठित जिला मऊगंज को मिलाकर कुल 148 सहकारी समितियां तथा सहकारी बैंक की 20 शाखाएं हैं।
अमानतदारों के जमा 350 करोड़ सहकारी बैंक में खातेदार किसानों एवं अमानतदारों के 350 करोड़ से भी अधिक की राशि जमा है किन्तु जरूरत होते हुये भी वे उसका आहरण नहीं कर पा रहे हैं। हड़ताल का पेंच बना हुआ है। सहकारी बैंक शाखाओं में तीन प्रकार के खाते संचालित होते हैं जिनमें क्रमश: सेविंग, करेंट एवं सावधि शामिल हैं। खबर है कि बैंकों में जमा अमानत में गिरावट आई है।
वित्तीय सत्र 2022 की समाप्ति पर अमानत राशि 351 करोड़ 61 लाख 33 हजार रुपये थी जो वित्तीय सत्र 2023 में घटकर 350 करोड़ 19 लाख 72 हजार रुपये हो गई है। स्पष्ट है कि सहकारी बैंक के प्रति अमानतदारों का आकर्षण कम हो रहा है। बैंक अमानत में 141 करोड़ 61 हजार रुपये की कमी दर्ज की गई है।