कोलकाता। शुक्रवार की सुबह पश्चिम बंगाल और खासकर राजधानी कोलकाता के निवासियों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए, जिससे लोगों में भारी दहशत फैल गई। भूकंप का केंद्र पड़ोसी देश बांग्लादेश के नरसिंगदी के पास, टुंगी से लगभग 27 किलोमीटर पूर्व में था।
रिक्टर पैमाने पर इसकी तीव्रता अलग-अलग एजेंसियों द्वारा 5.6 से 5.7 के बीच मापी गई। झटके इतने तेज़ थे कि कोलकाता में ऊंची इमारतों में रहने वाले लोग दहशत में आकर अपने घरों और दफ्तरों से बाहर निकल आए।
झटकों की अवधि और तीव्रता
यूरोपियन-मेडिटेरेनियन सीस्मोलॉजिकल सेंटर (EMSC) के अनुसार, भूकंप के झटके स्थानीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 38 मिनट के आसपास दर्ज किए गए।
तीव्रता: रिक्टर स्केल पर यह तीव्रता 5.6 या 5.7 मापी गई। यह तीव्रता भारी फर्नीचर को हिलाने और इमारतों की नींव में दरार लाने के लिए पर्याप्त होती है।
अवधि: कोलकाता के कई निवासियों ने बताया कि झटके 17 सेकंड से लेकर 30 सेकंड तक महसूस किए गए। इमारतों में लंबे समय तक कंपन महसूस होने के कारण लोग तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर भागे।
केंद्र: भूकंप का केंद्र बांग्लादेश के टुंगी से लगभग 27 किलोमीटर पूर्व में, 10 किलोमीटर की उथली गहराई पर था, जिसके कारण झटके बड़े क्षेत्र में व्यापक रूप से महसूस किए गए।
निवासियों का अनुभव: ‘वेरी इंटेंस ट्रेमर’
भूकंप के झटके महसूस होते ही कोलकाता के व्यस्त जीवन में कुछ देर के लिए हड़कंप मच गया। ऊंची इमारतों और ऑफिसों में काम करने वाले कर्मचारियों ने सबसे अधिक कंपन महसूस किया।
दहशत का माहौल: निवासियों ने सोशल मीडिया और मीडिया को बताया कि “बहुत तेज़ कंपन (Very Intense Tremors)” था और ऐसा लगा जैसे इमारत 30 सेकंड तक लगातार हिल रही थी। कई जगह घरों के पंखे और फर्नीचर तेज़ी से हिलने लगे थे, जिससे लोगों में घबराहट फैल गई।
सड़क पर भीड़: साल्ट लेक और अन्य ऑफिस क्षेत्रों में, कर्मचारी तुरंत नीचे उतरकर सड़कों पर आ गए। हालांकि, गनीमत रही कि अब तक किसी तरह के जनहानि या बड़े नुकसान की कोई खबर नहीं है। कुछ देर बाद जनजीवन सामान्य हो गया।
पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर तक असर
भूकंप का असर सिर्फ कोलकाता तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि यह पश्चिम बंगाल के कई जिलों और पूर्वोत्तर भारत तक महसूस किया गया:
- प्रभावित जिले: मालदा, नादिया, कूचबिहार, दक्षिण दिनाजपुर, हुगली और सिलीगुड़ी में भी भूकंप के झटके दर्ज किए गए।
- अन्य क्षेत्र: बांग्लादेश की राजधानी ढाका और भारत के त्रिपुरा राज्य में भी कंपन महसूस किया गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर के कारण यह पूरा क्षेत्र भूकंप के प्रति संवेदनशील है, इसलिए समय-समय पर ऐसे झटके महसूस होते रहते हैं।
