विंध्य भास्कर, रीवा। मध्यप्रदेश जल निगम में ठेके देने की प्रक्रिया में बड़े वित्तीय घोटाले का आरोप सामने आया है। सामाजिक कार्यकर्ता बीके माला ने शासन के साथ ही ईओडब्ल्यू के मुयालय में शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत में बताया है कि जल निगम और बैंक अधिकारियों की साठगांठ से 311 करोड़ रुपए की फर्जी बैंक गारंटी प्रस्तुत कर ठेकेदार कंपनियों ने अरबों रुपए की पेयजल परियोजनाओं के ठेके हासिल किए हैं।
बैंक अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध
शिकायतकर्ता माला ने आरोप लगाया कि उक्त फर्जी बैंक गारंटी को वैध ठहराकर संबंधित बैंक अधिकारियों ने भी अपनी भूमिका निभाई, जिससे शासन को करोड़ों रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है। इस मामले में बिन्दुवार जांच कर कड़ी कार्रवाई की मांग उठाई है। अधिकांश बैंक गारंटी कोलकाता की बैंक शाखाओं से बनाई गई है।
शिकायतकर्ता ने लिखा है कि यह घोटाला एक संगठित सिंडिकेट द्वारा अंजाम दिया गया है। इसमें जल निगम के कुछ अधिकारियों, संबंधित बैंकों के कर्मचारियों और ठेकेदारों की भूमिका संदिग्ध है। सामान्य प्रक्रिया में बैंक गारंटी का सत्यापन आवश्यक होता है, लेकिन इस मामले में केवल ईमेल से मिली मंजूरी के आधार पर ठेकेदारों को कार्य सौंप दिया गया। शुरुआती जांच में तीरथ गोपीकॉन लिमिटेड और एमपी बावरिया लिमिटेड, अंकित कंस्ट्रक्शन के नाम प्रमुख रूप से सामने आए हैं। इन कंपनियों को दो वर्ष पूर्व पेयजल परियोजनाओं के लिए ठेके दिए गए थे और परियोजना लागत की 10 प्रतिशत राशि की गारंटी भी मांगी गई थी, जो शिकायत के अनुसार फर्जी पाई गई है।
शराब ठेके में हो चुकी है एफआइआर
फर्जी बैंक गारंटी के जरिए रीवा एवं आसपास के अन्य जिलों में शराब के ठेके लेने का मामला भी बीके माला उजागर कर चुके हैं। इसमें कुछ दिन पहले ही ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें जिला आबकारी अधिकारी के साथ ही मोरबा के सहकारी बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर के साथ ही शराब के ठेकेदारों के नाम शामिल हैं।