विंध्य भास्कर, रीवा। जिले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले में फिर जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। करीब 136 करोड़ रुपए की इस आर्थिक अनियमितता में विभाग के दो तत्कालीन कार्यपालन यंत्रियों के साथ ही 23 कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
- पीएचई के चीफ इंजीनियर ने प्रमुख अभियंता को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए भेजी अनुशंसा
करीब एक वर्ष पहले इसकी जांच की गई थी जिसमें विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। जांच रिपोर्ट कलेक्टर ने शासन को भेजी थी लेकिन तब से मामला ठंडे बस्ते में पड़ा था। बीते साल कलेक्टर ने एक जांच टीम गठित की थी। तत्कालीन संयुक्त कलेक्टर सोनाली देव के नेतृत्व में इस टीम ने दस्तावेजों का परीक्षण किया और उसमें बताए गए कार्यों का भौतिक सत्यापन भी किया था। जिसमें जल जीवन मिशन में अधिकांश जगह ऐसी स्थितियां पाई गईं जिसमें सप्लाई की पाइपलाइन गांव में नहीं बिछाई गई लेकिन लोगों के घरों में नल कनेक्शन कर उसकी फोटो खींची गई थी।
इनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई
चीफ इंजीनियर ने जिन अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है उसमें प्रमुख रूप से तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद सिंह (वर्तमान जबलपुर), प्रभारी कार्यपालन यंत्री संजय पांडेय, सहायक यंत्री एसके श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त), प्रभारी सहायक यंत्री रायपुर कर्चुलियान एसके सिंह, प्रभारी सहायक यंत्री केबी सिंह (सेवानिवृत्त), प्रभारी सहायक यंत्री रमाकांत सिंह, उपयंत्री कमल जमरा, उपयंत्री जितेन्द्र अहिरवार, उपयंत्री अतुल तिवारी, उपयंत्री संजीत मरकाम, संभागीय लेखा अधिकारी मधुसूदन चौरसिया, राममिशन मीणा एवं विकास कुमार, कार्यभारित स्टोर लिपिक मुकेश श्रीवास्तव, विनियमित स्टोर लिपिक सतीश श्रीवास्तव, दैवेभो अरविंद त्रिपाठी, जयशंकर त्रिपाठी, सहायक वर्ग-2 आरपी पाठक (सेवानिवृत्त), वरिष्ठ लेखा लिपिक रहीम खान, अर्चना दुबे, कार्यभारित सेवानिवृत्त सैयद शासक नकबी, दैवेभो राजीव श्रीवास्तव, उपयंत्री रमेश पटेल (स्वर्गवास) आदि के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई है।
पूरे मामले में करीब 136 करोड़ रुपए के घोटाले का अनुमान लगाया गया था। घोटाले के सामने आने के बाद भी जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होने पर विधायक अभय मिश्रा ने फिर शिकायत दर्ज कराई थी। मामला विधानसभा के ध्यानाकर्षण में भी उठाया गया था। कलेक्टर ने पूरे मामले में फिर से विभाग को पत्र लिखा है, जिसके चलते अधीक्षण यंत्री ने पूर्व में कराई गई जांच के हवाले से तत्कालीन कार्यपालन यंत्री शरद सिंह और संजय पांडेय के साथ ही 23 लोगों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की है।
इस पर जबलपुर के मुख्य अभियंता ने भोपाल के प्रमुख अभियंता को संबंधित जिम्मेदारों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा है। घोटाले को लेकर कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने कुछ दिन पहले ही ईओडब्ल्यू में भी शिकायत दर्ज कराई है।
कार्यपालन यंत्री ने नहीं दिए दस्तावेज
प्रस्ताव में यह भी जानकारी अधीक्षण यंत्री ने भेजी है कि वर्तमान प्रभारी कार्यपालन यंत्री संजय पांडेय ने जांच के लिए दस्तावेज ही मुहैया नहीं कराए हैं। जिसके चलते अभी जांच ठीक से पूरी नहीं हुई है। इस पर जबलपुर से मुख्य अभियंता ने निर्देश जारी किया है कि अधीक्षण यंत्री संबंधित दस्तावेज संजय पांडेय से मांगें और यदि वह नहीं उपलब्ध कराते तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अलग से प्रस्तावित कर भेजें। बता दें कि बीते साल जब जांच हुई थी तब भी तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए थे, इसका उल्लेख पूर्व की जांच रिपोर्ट में भी है। माना जा रहा है कि पूरी जांच हुई तो घोटाले की रकम और बढ़ सकती है।
ऐसे हुआ बंदरबाट
हैंडपंप मेंटेनेंस: 3.17 करोड़ का भुगतान बिना कार्य के किया गया। हैंडपंपों से निकाली गई राइजिंग पाइप एवं अन्य सामग्री का पता नहीं है। सत्यापन नहीं कराने के चलते फर्जीवाड़ा माना गया है।
जल जीवन मिशन: इस योजना में करीब 130.47 करोड़ का भुगतान बिना काम के किया गया। जांच टीम ने 12 गांवों का भौतिक सत्यापन किया जिसमें अधिकांश जगह विसंगति पाई गई है, अन्य जगह हुए कार्य को भी माना गया है कि उसमें भी अनियमितता हुई है।
टीपीआई और आईएसए: थर्ड पार्टी इंवेस्टिगेशन के तहत 74.64 लाख का भुगतान हुआ। इसमें मौके पर जाकर गुणवत्ता परीक्षण, श्रमिकों के भुगतान और सुरक्षा व्यवस्था का सत्यापन करना था। इसी तरह इंप्लेमेंटेशन सपोर्ट एजेंसी(आईएसए) को 85.70 लाख का भुगतान किया गया। इसमें नल कनेक्शन के लिए घर-घर जाकर लोगों के दस्तावेज जुटाने थे। विभाग ने जांच टीम को कोई दस्तावेज नहीं दिए।
अन्य मद: विभाग में बड़ा फर्जीबाड़ा स्टेशनरी, आफिस खर्च और वाहन किराया आदि के नाम पर भी घपला हुआ है। जिसमें 1.02 करोड़ का भुगतान किया गया। भुगतान संबंधी दस्तावेज जांच के दौरान नहीं दिखाए गए।
सबसे अधिक घपला जलजीवन मिशन में
जल जीवन मिशन के एकल नल जल योजना में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है। इसमें अकेले 130 करोड़ रुपए की अनियमितता पाई गई है। जिसमें गांवों में समितियों के गठन और योजना के बारे में जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाने के नाम पर बड़ी रकम एनजीओ को भुगतान किया गया है। कार्य पूरा बताने के लिए गांवों में लोगों के घरों में नल लगा दिए गए। कुछ गांव ऐसी भी पाए गए हैं जहां पानी टंकी तक नहीं बनी है और सप्लाई लाइन भी नहीं बिछाई गई और दावा है कि सप्लाई प्रारंभ हो गई है।