भोपाल: महिला बाल विकास विभाग में आजीविका मिशन जैसा भर्ती घोटाला सामने आया है। केंद्र सरकार की मिशन शक्ति योजना में सभी जिलों के लिए महिला हब बनाया गया है। इसके लिए जिला मिशन समन्वयक समेत आठ कर्मचारियों की भर्ती की जानी थी। विभाग ने मुंबई की कंपनी टी एंड एम को आउटसोर्सिंग पर भर्ती का ठेका दे दिया। कंपनी ने मनमाफिक ढंग से कर्मचारियों की भर्ती कर ली। चयनित लोगों से लाखों रुपए वसूलने के आरोप हैं। बदले में न योग्यता का परीक्षण किया गया न ही वांछित अनुभव को परखा गया। मामले की शिकायत लोकायुक्त, ईओडब्ल्यू के साथ मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को की गई है। भर्ती को लेकर विभाग के आला अधिकारी भी चुप हैं।
- बगैर टैंडर के मुंबई की कम्पनी को थमाया काम
- आवेदकों से लाखों रुपए लेकर की मिशन शक्ति में की गई भर्तियां
- महिलाओं के सशक्तिकरण के काम के लिए 80 प्रतिशत पुरुषों की भर्ती
चार सौ पदों पर चयनः जिला स्तरीय हब के लिए समन्वयक, जेंडर स्पेशलिस्ट, फाइनेंस स्पेशलिस्ट, अकाउंट सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर समेत आठ पद पर भर्तियां की गई हैं। मिशन शक्ति में महिलाओं के सशक्तिकरण का काम होना है लेकिन विभाग ने 80 फीसदी कर्मचारियों के रूप में पुरुष आवेदकों को चयनित कर लिया।
फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र : अधिकतर आवेदकों के पास
महिलाओं के डोमेन में काम करने के वास्तविक अनुभव नहीं थे। इसके बावजूद कंपनी ने बगैर परीक्षण किए आवेदकों से सांठगांठ कर नियुक्ति कर दीं। ऐसे तमाम महिला आवेदक थी जिन्हें बालिका गृहों, वन स्टॉप सेंटर और स्वाधार गृह में काम करने के अनुभव थे लेकिन कंपनी ने सभी दरकिनार कर फर्जी अनुभव वालों का चयन कर लिया।
परीक्षा के नाम पर तमाशा
कंपनी ने भोपाल में परीक्षा का आयोजन किया, जिसमें आवेदकों को अंग्रेजी भाषा में पेपर हल करने को दिया गया। जबकि मप्र हिंदी भाषी राज्य है। अपनी कारगुजारियों को छिपाने के लिए परीक्षा का प्रश्रपत्र सभी से वापिस भी ले लिया। 300 रुपए हर आवेदक से लेकर कंपनी ने लाखों रुपए की वसूली कर ली।
वेरिफिकेशन के नाम पर की गई धांधली
कंपनी ने आवेदकों को 19 मई रविवार को दस्तावेज परीक्षण के लिए मेल किए और अगले दिन 12 बजकर 30 मिनिट पर भोपाल बुलाया। जिन आवेदकों से कंपनी के कारिंदों की सेटिंग नहीं हुई उन्हें जानबूझकर 24 घण्टे का समय दिया गया। बताए गए पते पर पहले तो कोई मिला नहीं बाद में एक ट्रेवल्स एजेंसी की दुकान पर कंपनी का पोस्टर लगा कर वैरिफिकेशन का नाटक किया गया। आवेदकों के पास कंपनी के कर्मचारियों की रिकार्डिंग है, जो बार-बार यह पूछ रहे थे कि आपने किससे सेटिंग की है? क्या आपने सब फुलफिल कर दिया है?
खुलेआम महिला बाल विकास का नाम उपयोग
कंपनी ने अपने पत्राचार में मप्र महिला बाल विकास के नाम का उपयोग किया। आवेदकों ने इसी नाम पर कंपनी के कारिंदों को मोटी रकम थमा दी। इस मामले की शिकायत आयुक्त कार्यालय को की गई लेकिन स्थापना संयुक्त संचालक ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि विभाग कोई भर्ती नही कर रहा जबकि कंपनी विभाग के नाम का खुलकर उपयोग कर रही थी।
कंपनी को अवैध रूप से दी गई भर्ती
आयुक्त कार्यालय द्वारा टी एंड एम कंपनी को सुनियोजित तरीके से भर्ती का काम दिया गया ताकि प्रदेश भर से करोड़ों की वसूली की जा सके। नियमानुसार नई योजना के लिए कंपनियों से निविदा बुलाई जानी चाहिए थी लेकिन अफसरों ने बगैर टेंडर के ही कंपनी को यह काम दे दिया।
लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू में शिकायत : आवेदकों के समूह
मामले की शिकायत लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की करने जा रहा है। आवेदक हरीश शर्मा, मोना केवट, पंकज अहिरवार आदि ने मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से समय मांगा है।
जिम्मेदारों ने नहीं दिया जवाब
इस पूरे प्रकरण में वास्तविकता जानने के लिए महिला बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया, प्रमुख सचिव अरुण शमी राव, आयुक्त सूफिया फारुखी एवं संयक्त संचालक स्थापना अक्षय श्रीवास्तव को फोन किए गए, लेकिन किसी ने भी फोन रिसीव नहीं किया। उसके बाद व्हाट्सअप पर भी सवाल भेजे गए, लेकिन तब भी किसी का जवाब नहीं आया।