नई दिल्ली/पटना। बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल आज (सोमवार) आधिकारिक रूप से बजने जा रहा है। देश के सबसे बड़े चुनावी पर्वों में से एक, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए निर्वाचन आयोग (ECI) आज शाम 4 बजे एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तृत कार्यक्रम का ऐलान करेगा। 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर को समाप्त हो रहा है, और उससे पहले नई सरकार का गठन आवश्यक है। इस घोषणा के साथ ही राज्य में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जाएगी, जिससे चुनावी सरगर्मियाँ अपने चरम पर पहुँच जाएँगी।
पूरे राज्य की नज़रें आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर टिकी हुई हैं। सूत्रों के अनुसार इस बार चुनाव दो चरणों में कराए जा सकते हैं। खास बात यह है कि पहले चरण की वोटिंग **छठ पर्व** के बाद ही कराए जाने की संभावना जताई जा रही है। बिहार में छठ पर्व एक बड़ा सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग अपने गाँव-घर लौटते हैं। ऐसे में आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मतदाता आराम से अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग कर सकें।
दो चरणों में मतदान की संभावना
जानकारों के अनुसार इस बार चुनाव प्रक्रिया अपेक्षाकृत सरल रखने की कोशिश की जा रही है। सुरक्षा और प्रशासनिक दृष्टिकोण से बिहार जैसे बड़े राज्य में आमतौर पर कई चरणों में मतदान होता है, लेकिन इस बार इसे सिर्फ दो चरणों तक सीमित करने का विचार है। इससे एक ओर जहां खर्च में कमी आएगी, वहीं दूसरी ओर चुनाव कर्मियों और सुरक्षा बलों पर बोझ भी कम होगा।
छठ पर्व के बाद पहला चरण
छठ पर्व बिहार की आस्था और पहचान से गहराई से जुड़ा हुआ है। लाखों प्रवासी बिहारी इसी समय अपने घर लौटते हैं। आयोग चाहता है कि लोग न केवल त्योहार मना सकें, बल्कि उसके बाद आराम से वोटिंग में हिस्सा लें। यही वजह है कि पहले चरण की वोटिंग छठ पर्व के बाद कराने पर जोर दिया जा रहा है। यह कदम आयोग की संवेदनशीलता को दर्शाता है।
सियासी हलचल तेज
चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही बिहार की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है। सत्ताधारी गठबंधन से लेकर विपक्षी दलों तक सभी ने अपनी-अपनी रणनीतियाँ बनानी शुरू कर दी हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी और उनके सहयोगी दल सत्ता वापसी की कोशिशों में जुटे हैं, तो वहीं विपक्ष, विशेषकर राजद और कांग्रेस, जनता के बीच परिवर्तन की हवा का दावा कर रहे हैं।
वहीं छोटे दल और नए राजनीतिक मोर्चे भी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर जमीनी स्तर तक हर पार्टी मतदाताओं को आकर्षित करने में लगी हुई है। आने वाले दिनों में रैलियों, रोड शो और जनसभाओं का सिलसिला तेज़ हो जाएगा।
सुरक्षा और व्यवस्थाओं की तैयारी
चुनाव आयोग के लिए सबसे बड़ी चुनौती निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराना होगा। बिहार का भौगोलिक और सामाजिक ताना-बाना जटिल है। कई क्षेत्रों में सुरक्षा को लेकर खास सतर्कता बरतनी पड़ती है। आयोग ने इस बार भी केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की पर्याप्त तैनाती की तैयारी की है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपैट (VVPAT) की सुचारु व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए विशेष टीम बनाई गई है।
मतदाताओं की उम्मीदें
बिहार की जनता इस चुनाव से कई अपेक्षाएँ रखती है। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और विकास अब भी मुख्य मुद्दों में शामिल हैं। युवा वर्ग खास तौर पर रोजगार और बेहतर अवसरों की तलाश में है। वहीं ग्रामीण इलाकों के लोग कृषि, सड़क और बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं पर ध्यान देने की मांग कर रहे हैं।
आज शाम चुनाव आयोग जब कार्यक्रमों का ऐलान करेगा तो पूरे बिहार की राजनीति में नई हलचल मच जाएगी। दो चरणों में होने वाले चुनाव और छठ पर्व के बाद मतदान की संभावना से यह साफ हो जाता है कि आयोग जनता की सुविधा को प्राथमिकता दे रहा है। अब देखना यह होगा कि किस दल की रणनीति मतदाताओं को अपनी ओर खींचने में सफल रहती है और बिहार की जनता किसे अपना अगला नेतृत्व सौंपती है।