Sonam Wangchuk: लद्दाख के जाने-माने पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) की गिरफ्तारी का मामला अब राष्ट्रीय सुर्खियों में है। उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार और लद्दाख प्रशासन से सख्ती से जवाब माँगा है। कोर्ट ने स्पष्टीकरण देने को कहा है कि आखिर किस आधार पर उन्हें हिरासत में लिया गया है और उन्हें रिहा क्यों नहीं किया जाना चाहिए। अदालत ने इस मामले में एक विस्तृत और ठोस जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
NSA के तहत गिरफ्तारी और पत्नी की ‘हैबियस कॉर्पस’ याचिका
सोनम वांगचुक को पिछले महीने 26 सितंबर को लेह में हुई हिंसक झड़पों के बाद हिरासत में लिया गया था और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया है। लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संविधान की छठी अनुसूची का संरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर वांगचुक लंबे समय से आंदोलनरत थे और हाल ही में उन्होंने 15 दिनों का ‘क्लाइमेट फास्ट’ भी रखा था।
वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. अंगमो ने उनकी गिरफ्तारी को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उनकी गिरफ्तारी बिना किसी वैध आधार के की गई है और उन्हें हिरासत आदेश की प्रति भी नहीं दी गई।
सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखी गई मुख्य माँगें
गीतांजलि अंगमो की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कई महत्वपूर्ण माँगें की गई हैं:
- तत्काल पेशी: सोनम वांगचुक को तुरंत अदालत के समक्ष पेश करने का आदेश दिया जाए।
- रिहाई और जाँच: गिरफ्तारी को गैरकानूनी घोषित कर उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया जाए।
- पारिवारिक संपर्क: पत्नी को उनसे फोन पर और व्यक्तिगत रूप से मिलने की तुरंत अनुमति दी जाए।
- आवश्यक वस्तुएँ: उन्हें दवाएँ, कपड़े और अन्य आवश्यक वस्तुएँ उपलब्ध कराई जाएँ।
- चिकित्सा रिपोर्ट: उनकी तत्काल मेडिकल जांच कराई जाए और रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की जाए।
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि गिरफ्तारी के बाद न केवल वांगचुक को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित किया गया, बल्कि उनके संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स, लद्दाख (HIAL) के छात्रों और सदस्यों को भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
विरोध, हिंसा और प्रशासन का रुख
वांगचुक को युवाओं को हिंसा के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रशासन का दावा है कि 24 सितंबर को हुए विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए थे, जिसमें चार लोगों की मौत हुई और कई लोग घायल हुए। इन घटनाओं के बाद ही वांगचुक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गईं और उन्हें हिरासत में लेकर सुरक्षा कारणों से राजस्थान की जोधपुर जेल में स्थानांतरित कर दिया गया।
दूसरी ओर, सोनम वांगचुक ने जोधपुर जेल से संदेश भेजकर कहा है कि वह शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक हैं, लेकिन उन्होंने लद्दाख में हुई मौतों की स्वतंत्र न्यायिक जाँच की मांग दोहराई है। उन्होंने कहा है कि जब तक यह जाँच नहीं होती, वह जेल में रहने को तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख इस बात का संकेत है कि वह इस मामले की गंभीरता को समझता है। अदालत के विस्तृत जवाब माँगने से केंद्र और लद्दाख प्रशासन पर दबाव बढ़ा है कि वे वांगचुक की हिरासत को सही ठहराने के लिए मजबूत कानूनी आधार पेश करें। इस मामले की अगली सुनवाई लद्दाख के आंदोलन और राजनीतिक परिदृश्य के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।