कहावत है कि तिरिया चरित्रम देवम न जानम। शायद यह कहावत उस महिला पर सटीक बैठती है जो न तो अपने पति की हुई और न ही पति को छोड़ कर जिसकी रखैल बन कर रह रही थी। शरीर की प्यास बुझाने के लिए जिसकी रखैल बन कर रही थी उसी के छोटे भाई से अवैध संबंध स्थापित कर लिये। प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि जिसकी रखैल थी उसे रास्ते से हटाने के उसके ही छोटे भाई के साथ मिलकर मौत के घाट उतार दिया। शव को इस कदर दफनाया कि पुलिस तो क्या यमराज को भी भनक न लगे। लेकिन कहते है कि खैर, खून और खांसी, मद, प्रीत छुपाये नहीं छुपती और ऐसा ही हुआ। मध्यप्रदेश के रीवा जिले के मऊगंज का मामला है। एक साल पूर्व हुये हत्या पर हाल ही में मिले नर कंकाल से निकले सबूतों पर एसडीओपी मऊगंज नवीन दुबे ने परत-दर-परत गुत्थी सुलझाते हुये पर्दाफाश कर कातिलों को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। जिसका खुलासा शनिवार की शाम एसपी नवनीत भसीन ने पुलिस कंट्रोल रूम में पत्रकारों के समक्ष किया। एसपी ने बताया कि 25 अक्टूबर के दिन मऊगंज थाना क्षेत्र के भाठी जंगल में बसे निबिहा गांव समीप बेलूहा बांध में मिले नर कंकाल की शिनाख्त उनकी पुलिस टीम ने कर ली। इतना ही नहीं एसडीओपी मऊगंज नवीन दुबे एंव मऊगंज थाना की पुलिस टीम ने हत्या के आरोप में मुख्य आरोपी रंजना उर्फ विटोल पाल पति स्व. रामसुशील पाल 40 वर्ष एवं तथा कथित आशिक उसके देवर गुलाब पाल पिता मोहन पाल 35 वर्ष को गिरफ्तार कर लिया है। साथ ही एसपी ने बताया कि शव छुपाने के अपराध पर अंजनी पाल पिता मोहन पाल 38 वर्ष, रामपति पाल पिता रमई पाल 65 वर्ष सभी निवासी ग्राम उमरी श्रीपत थाना मऊगंज को गिरफ्तार कर लिया गया। एसपी ने बताया कि हत्या के दो आरोपी गुड्डू पाल और सूरज पाल फरार हैं जिनकी तलास पुलिस द्वारा की जा रही है। आरोपियों के विरुद्ध हत्या एवं साक्ष्य छुपाये जाने का अपराध पंजीबद्ध कर न्यायालय में पेश कर दिया गया है।
राम सुशील पाल का था नर कंकाल
एसपी ने बताया कि भाठी जंगल में बसे निबिहा गांव समीप बेलूहा बांध में मिले नर कंकाल की शिनाख्त राम सुशील पाल पिता मोहन पाल 42 वर्ष के रूप में हुई। पंचनामा, निरीक्षण के दौरान नर कंकाल के एक हाथ पर लोहे का कड़ा, धागा, नाड़े वाली चड्डी एंव उसके कलर किये गये बालों के माध्यम से मृतक की शिनाख्त की गई। शिनाख्ती के बाद एसडीओपी मऊगंज ने नर कंकाल से मिली कडिय़ों से कड़ी जोड़ते हुये मिर्जापुर में रह रही संदेही रंजना पाल उर्फविटोल तक जा पहुंचे। और जब सख्ती से पूछतांछ किया गया तो सारे रहस्यों से पर्दा उठ गया।
जहर देकर सुलाई मौंत की नींद
बताया गया कि आरोपिया रंजना पाल उर्फ विटोल का अवैध संबंध देवर गुलाब पाल से हो गया। दोनो ने मिल कर उसे रास्ते से हटाने की योजना बनाई। घटना के दिन आरोपिया ने अपने तथाकथित पति राम सुशील पाल को चाट में चूहा मारने वाली दवा देकर मौत की नींद सुला दी। उसके मरने की जानकारी अपने प्रेमी गुलाब को दी जो धारदार औजार से अपने बड़े भाई का सिर धड़ से अलग कर दिया। और शव को छुपाने के लिए अपने चाचा एंव भाईयों की मदद ली।
भूसे में दबा कर छुपा दिया था शव को
हत्या को अंजाम देने के बाद शव को ठिकाने लगाने के लिए आरोपी गुलाब ने अपने चाचा रामपति और उनके लड़के गुड्डू एंव सूरज पाल सहित अपने भाई अंजनी पाल का सहारा लिया। और शव को बोरी में भर साइकिल में लाद कर घर से दूर पाही में बने घर में रखे भूसे के नीचे दबा दिया। डेढ़ साल बाद जब शव गल कर नर कंकाल में तब्दील हो गया तो उसे आरोपी गुलाब ने भाठी जंगल में बसे निबिहा गांव समीप बेलूहा बांध के पास फेक दिया। जिसे स्थानीय लोगों ने देख कर पुलिस को इत्तला की और पुलिस मामले को अपने संज्ञान में ले लिया। परिणाम यह निकला कि चंद दिनों में पुलिस ने कंकाल की शिनाख्त कर कातिलों को सलाखों के पीछेे कर दिया।
चार साल पहले पति को छोड़ कर आई थी
पुलिस ने बताया कि रंजना पाल उर्फ विटोल की शादी मिर्जापुर निवासी मणिराज पाल से हुई थी। दोनो के बीच संताने भी रहीं। लेकिन किसी कारण वस रंजना अपने पति को छोड़ दी और राम सुशील पाल के साथ रहने लगी। राम सुशील के साथ रहे चार साल के दौरान उसके नैना राम सुशील के छोटे भाई गुलाब से लड़ गये और दो साल तक दोनो पर्दे के पीछे प्यार की इबारत लिखते रहे। पर्दे के पीछे जब प्यार का दम घुटने लगा तो रास्ते के कांटे को हटाने के लिए हत्या जैसे संगीन अपराध की इबारत लिख डाली।