भारतीय परिवारों के बचत में लगातार कमी आ रही है, वहीं उनकी देनदारियां और उनपर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है। आरबीआइ की ओर से जून माह के लिए जारी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया कि कोरोना काल के बाद से लोगों के ऊपर कर्ज बढ़ गया है।
- लोगों की सेविंग घटी, कर्ज का बोझ बढ़ा
10 साल पहले भारतीय परिवार जितनी बचत करते थे, उसमें भी लगातार गिरावट आ रही है। आरबीआइ ने कहा कि लोग कम बचा रहे हैं और अधिक कर्ज ले रहे है।
इससे देश की आर्थिक स्थिरता को खतरा हो सकता है। इसलिए इस पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है।
- लोगों की बचत में आ रही लगातार गिरावट
भारतीय परिवारों की बचत 2022- 23 में जीडीपी के 18.4% के बराबर रह गई जो वर्ष 2013 से 2022 के बीच जीडीपी के 20% के बराबर थी
भारतीय परिवारों की शुद्ध बचत में लगातार गिरावट आ रही, कुल घरेलू बचत में परिवारों की शुद्ध बचत 28.5 रह गई, जो वर्ष 2013 से 2022 के बीच औसतन 39.8% थी
2013 से 2022 तक लोग अपनी कमाई में से जो बचत करते थे वह जीडीपी की औसतन 8% थी, लेकिन 2023 में यह घटकर 5.3% रह गई। - कर्ज को लेकर संकट
1. आरबीआइ की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, 50% से अधिक पर्सनल लोन लेने वाले एक
साथ 3 से अधिक लोन की किस्त जमा कर रहे, इससे डिफॉल्ट का खतरा बढ़ा। - 2. एनबीएफसी और स्मॉल फाइनेंस 2 बैंकों से पर्सनल और कंज्यूमर लोन लाने वाले आधे से अधिक लोगों ने 6 साल की अवधि में 3 या इससे अधिक लोन लिए, कई ग्राहक पुराना कर्ज चुकाने के लिए नया लोन ले रहे।
- 3. 50,000 रुपए के कम का पर्सनल लेने वाले ग्राहकों के साथ बढ़ रही लोन वसूली में प्रताड़ना की घटनाएं।