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MP Election 2023: विंध्य में परिवर्तन की हवा में उड़ा भाजपा का विकास, गढ़ बचाने पीएम व शीर्ष नेतृत्व उतरे

By Surendra Tiwari

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MP Election 2023: रीवा। विंध्य पर्वत माला के इर्द गिर्द बसें विंध्य क्षेत्र 2018 में भाजपा ने कांग्रेस गढ़ को धरासाई किया था। अब 2023 के चुनाव में विंध्य में परिवर्तन की हवा में भाजपा का विकास उड़ा दिखाई दे रहा है। भाजपा अपना गढ़ बचाने पीएम नरेन्द्र मोदी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित गृह मंत्री अमित शाह उतरे है। चुनाव के पहले से अब विंध्य में अकेले प्रधानमंत्री की छह से अधिक सभाएं और गृहमंत्री के दौरे कुछ यही इशारा कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस भी विंध्य में खोया जनाधार बचाने राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की सभाए हो चुकी है और परिवर्तन में की लहर कांग्रेस के पक्ष में है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव 2018 में विंध्य में 30 सीटे है। इनमें वर्तमान में 24 सीटे भाजपा के खाते है। वहीं रीवा विधानसभा की आठ सीटों में पहली बार भाजपा जीत हासिल करने में सफल रही है। वहीं अब 2023 में भाजपा को यह सीटें पाने में पसीना छूट रहा है। भाजपा का विकास व लाड़ली लक्ष्मी योजना भी परिवर्तन की लहर को भाजपा के पक्ष में मोड़ने अब पीएम व अमितशाह के अतिरिक्त स्टार प्रचारक यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ को उतरा है। मंगलवार को देवतालाब जहां अमितशाह विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के पक्ष में प्रचार प्रचार करेंगे। वहीं सेमरिया में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सभा करेगें। इन दोनों सीटों में भाजपा पिछले तीन पंचवर्षीय से जीत रही है।


विंध्य में सीटो का आरक्षण

विंध्य में रीवा, सतना, सीधी, शहडोल, अनूपपुर, सिगरौली और उमरिया जिले मिला कर कुल 30 सीटे हैं जिसे से 18 सीटे सामान्य वर्ग के लिये जबकि अनुसूचित जाति के लियें 9 सीट एवं अनुसूचित जनजाति के लियें 3 सीटे आरक्षित हैं।


बीते तीन चुनाव में राजनीतिक दलो कि स्थिति

यदि बात करें विध्य के 30 सीटो में भाजपा, कांग्रेस, बसपा व अन्य दलों कि स्थिति का कि कौन सी पार्टी को बीतें 2008, 2013 और 2018 में कितनी सीटें मिली थी। यदि 2008 के चुनावी समीकरण की बात कि जायें तो बतादे कि भारतीय जनता पार्टी नें 30 में से 24 सीटों पर फतह हासिल की थी जबकि काग्रेस को 2 सीट व बहुजन समाज पार्टी को 1 एवं अन्य दलों को 3 सीटे मिली थी। विंध्य में भाजपा सबसे बडें दल के रूप में थी।

जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 17 सीट, काग्रेस ने 11 सीट व अन्य को 2 सीटे मिली थी। 2008 के विधानसभा चुनाव व 2013 के चुनाव में भाजपा 7 सीटो का नुकसान हुआ जबकि काग्रेस 2 से सीधे 11 पर पहच गई। यह पर काग्रेस को 9 सीटो का फायदा हुआं। बात करें 2018 के चुनाव की तो भाजपा ने 2008 के चुनाव में 24 सीटे जीती थी उतनी ही सीटो पर पुनः परचम लहराया जबकि कांग्रेस को 6 सीटे मिली यहा काग्रेस को नुकसान का समाना करना पड़।

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