राजगढ़: शादी समारोह के आडंबर ने सात साल की बच्ची की जान ले ली। दूल्हा-दुल्हन की स्टेज पर स्मोक एंट्री होनी थी। नाइट्रोजन की व्यवस्था हुई। इसमें पानी डालकर धुएं जैसा नजारा बनाया जाता, इससे पहले ही नाइट्रोजन गैस के कंटेनर में 7 साल की वाहिनी पिता राजेश गुप्ता गिर गई। माइनस 5 डिग्री तापमान की ठंडक में मासूम तपड़ने लगी। फेफडे़ और नसें सिकुड़ गईं। परिजन इंदौर ले गए। अस्पताल में डॉक्टरों ने वेंटिलेटर पर रखा। पांच दिन के इलाज के दौरान शनिवार रात उसकी मौत हो गई। बच्ची की मौत ने शादी के भव्य आयोजनों और स्मोक एंट्री समेत अन्य आडंबरों पर समाज को सोचने को विवश कर दिया है। समाजशास्त्रियों का कहना है, शादी ऐसा सामाजिक बंधन है, जो एक से दूसरी पीढ़ी की शृंखला बनाती है। यह खुशियां बिखेरती है, लेकिन ऐसे आडंबर जानलेवा हैं। इससे बचना चाहिए।
● नाइट्रोजन से सांस लेने में दिक्कत, बेहोशी, त्वचा, आंखों में जलन।
● यह बहुत ठंडा होता है। त्वचा और आंखों के ऊतक जला सकता है।
● कई देशों ने मृत्युदंड के लिए नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया। यह क्रूर व अमानवीय तरीका है।
● नाइट्रोजन दम घुटता है। मरने वाले को पता चलता है वह मर रहा है।
संक्रमण ऐसा कि मासूम के ऑर्गन रिकवर नहीं हो सके
खुजनेर में धर्मेंद्र गुप्ता के भाई की शादी थी। लड़की वाले बाढ़गांव के थे। वहीं से वाहिनी 6 मई को परिजन के साथ शादी में खुजनेर आई थी। हादसे में गंभीर वाहनी को शादी में ही ग्वालियर से आईं एक डॉक्टर ने प्राथमिक उपचार दिया। इसके बाद उसे इंदौर ले जाया गया। यहां अस्पताल में पांच दिन तक उसे बचाने की कोशिश की गई। लेकिन मासूम के फेफड़े और नसें सिकुड़ गईं। उसके ऑर्गन रिकवर नहीं हो सके।
नेत्रदान…ताकि बिटिया की आंखों से कोई देखे दुनिया
बिटिया वाहिनी की मौत से दुखी घरवालों ने उसे हमेशा जिंदा रखने के लिए नेत्रदान कर दिए। पिता राजेश गुप्ता ने बताया, बेटी रही नहीं, लेकिन उसकी आंखों से कोई और दुनिया देख सकेगा। इसलिए इंदौर में नेत्रदान किया।