Assembly Election Result 2023 Live: रीवा। रीवा विधानसभा क्षेत्र की जनता ने एक बार फिर विकास पर मुहर लगाया भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ल लगातार पांचवीं बार चुनाव जीते। परिवर्तन की बयार का यहां कोई असर नहीं हुआ राजेंद्र शुक्ल ने 2018 का रिकार्ड तोड़ते हुए 18 हजार की 21 हजार 637 वोटों से जीत दर्ज करायी। साथ कांग्रेस द्वारा भाजपा संगठन को लेकर उठाए जा रहे सवाल को मिथक साबित कर दिया। रीवा विधानसभा की मुख्यालय वाली चर्चित सीट पर जिसकी निगाहें भोपाल, दिल्ली तक लगी थीं उसमें छवि और परिवर्तन के बीच लड़ाई थी। उसमें अंततः छवि जीत गई और परिवर्तन की मांग को हार का सामना करना पड़ा। यहां से भारतीय जनता पार्टी ने राजेंद्र शुक्ला और कांग्रेस के इंजी राजेंद्र शर्मा के बीच कांटे की लड़ाई कही जा रही थी।
श्री शर्मा ने काफी प्रयास किए और टक्कर तो खूब दी पर जीत हासिल नहीं कर पाए। रीवा विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने अपने मतों का ज्यादातर विभाजन भाजपा और कांग्रेस के बीच ही किया। हालांकि 2018 के बसपा प्रत्याशी की अपेक्षा इस बार के बसपा प्रत्याशी मधुमाश सोनी ने लगभग दोगुना वोट जरूर हासिल किया, लेकिन राजेंद्र शुक्ल की जीत की आंधी पर असर नहीं डाल पाए। रीवा विधानसभा क्षेत्र में आम आदमी पार्टी प्रत्याशी इंजी दीपक सिंह को लेकर लोगों में भ्रांतियां थी लेकिन ऐसा 11 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम मिले वोट नहीं हुआ दीपक सिंह 5 हजार का आंकड़ा नहीं पार कर पाए जिसका सीधा लाभ भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र शुक्ल को मिला।
राजेंद्र शुक्ल ने पहले चरण से बढ़त बनायी और आखिरी चरण तक लीड ही किया। श्री शुक्ल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी इंजी राजेंद्र शर्मा को 21339 मतों के अंतर से पराजित किया। निर्वाचित घोषित श्री शुक्ल को कुल 77680 मत प्राप्त हुए जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी इंडियन नेशनल कांग्रेस के राजेन्द्र शमां को 56341 मत प्राप्त हुए विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग आफीसर डॉ अनुराग तिवारी ने निर्वाचित श्री शुक्ल को निर्वाचन प्रमाण पत्र प्रदान किया।
पहले ही चरण से मिली बढ़त
मतगणना के पहले चरण से ही राजेंद्र शुक्ल ने बनाना शुरू किया कर दिया था। पहले चरण में वह 1496 वोटों से आगे हुए दूसरे चरण में बढ़त का यह आंकड़ा दो गुना हो कर 3232 हो गया। इसके बाद प्रत्येक चरण में वोटों में गुणात्मक वृद्धि होती गई। आखिर चरण तक यह अंतर 21 हजार वोटों से ऊपर पहुंच गया। कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र शर्मा पहले ही चरण से पिछड़ते गए और आखिरी चरण तक पिछड़ते ही रह गए। माना जा रहा था कि मुस्लिम वार्डों में पहुंचने पर कांग्रेस बढ़त में आयेगी और हार जीत का अंतर कम होगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, लीडिंग इतनी बढ़ गई कि कव्हर कर पाना मुश्किल हो गया। जीत का आंकड़ा बढ़ते ही जहां कांग्रेस खेमे में मायूसी छा गई वहीं भाजपा खेमें जश्न का माहौल रहा। चुनाव जीतने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने जोशीला स्वागत किया।
11 प्रत्याशियों को नोट से कम वोट मिले
रीवा विधानसभा क्षेत्र में 15 प्रत्याशी मैदान में थे। इनमें से 4 को छोड़ कर शेष 11 प्रत्याशियों को नोट से कम वोट मिले। यहां नोटा को 893 वोट मिले हैं। मतगणना में बसपा प्रत्याशी मधुमास चन्द्र सोनी को 8524 मत तो आप के इंजी. दीपक सिंह पटेल को 5034 मत मिले जबकि अब्दुल बफाती अंसारी सपा को 616, रामकुमार सोनी बहुजन मुक्ति पार्टी को 155, रविशंकर माझी पीपुल्स पार्टी आफ इंडिया 231, अमित कुमार तिवारी एड. मप्र जन विकास पार्टी 176, डॉ तोषण सिंह सपाक्स पार्टी 144, रहसलाल नेशनल जागरण पार्टी 145, निर्दलीय में अविनाश श्रीवास्तव 145, प्रदीप कुमार बसोर 602, सुनील सोनी खट्टी 42 को 427, सुशील मिश्रा सबके महाराज 240 व सुमित सिंह निर्दलीय को 474 वोट मिले जो नोटा के कम है।
इन कार्यों ने बनाया अपराजेय
2003 के पूर्व रीवा विकास के मामले में काफी पीछे था। रीवा के एक कस्बे के सरीखे था और बहार से आने वाले लोग पिछड़ा क्षेत्रों में गिनती करते थे। पिछले 20 वर्षों में रीवा के विकास को काफी गति मिली है। शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास इन्हीं 29 सालों में हुआ है सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, जिला है। चिकित्सालय की स्थापना हुई। पॉलिटेक्रिक कालेज, माखन लाल चतुर्वेदी विवि रीवा परिसर, वेटरनरी कालेज, टाइगर सफारी, ईको पार्क, तालाबों का सौंदर्यीकरण, चौराहों का सौंदर्यीकरण, ट्राफिक कंट्रोल के लिए चार फ्लाई ओवर का निर्माण ने रीवा को महानगरीय तर्ज पर विकसित करने का काम हुआ। इसके साथ ही कई पार्क, रीवा चोरहटा बायपास, करहिया बायपास, रिंग रोड फेज-1 व रिंगरोड फेज-2 के साथ ही शहर के भीतर की सड़कों का विकास हुआ है। बीहार रिवर फ्रंट के सौंदर्यीकरण सहित अन्य कार्यों के चलते आज आसपास के जिलों में रीवा के विकास की चर्चा होती है।
रीवा विधानसभा में अब तक निर्वाचित हुए विधायक
1952 जगदीश चंद्र जोशी स्वतंत्र, 1957 जगदीश चंद्र जोशी स्वतंत्र, 1962 शत्रुध्न सिंह कांग्रेस, 1967 एस.एस. सिंह कांग्रेस, 1972 मुनि प्रसाद शुक्ल कांग्रेस, 1977 प्रेमलाल मिश्रा जनता पार्टी, 1980 मुनि प्रसाद शुक्ल कांग्रेस, 1985 प्रेमलाल मिश्रा जनता पार्टी, 1990 पुष्पराज सिंह कांग्रेस, 1993 पुष्पराज सिंह कांग्रेस, 1998 पुष्पराज सिंह कांग्रेस ,2003 राजेन्द्र शुक्ल बीजेपी , 2008 राजेन्द्र शुक्ल बीजेपी ,2013 राजेन्द्र शुक्ल बीजेपी ,2018 राजेन्द्र शुक्ल बीजेपी ,2023 राजेन्द्र शुक्ल बीजेपी से निर्वाचित विधायक हुए |
विजयी प्रत्याशी – राजेंद्र शुक्ल
वोट / प्रतिशत 77680- 51.16%
जीत का मंत्र विकास का मुद्दा, व लाड़ली बहना
योजना का मिला फायदा, भाजपा वोट बैंक, साफ छवि
जीत का अंतर 21339 मत
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निकटतम प्रतिद्वंदी – राजेन्द्र शर्मा
वोट प्रतिशत 56341-37.11%
हार का कारण परिवर्तन लहर का असर नहीं हुआ
इसके साथ ही अन्य वर्गों को साधने में असफल रहे।
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प्राथमिकता में ये काम
• सड़कों को प्राथमिकता से बनाया जायेगा।
• बेरोजगारों के लिए रोजगार देने की पहल
• पानी की समस्या को दूर करना।
• शैक्षणिक स्तर सुधारेंगे।
• पर्यटन और धार्मिल स्थल बनाएंगे।
• ग्रामीण क्षेत्र में जानवरों की व्यवस्था बनाना।
• अंतर्राष्ट्रीय विमानन सेवा को रीवा में शुरू कराना ।
क्षेत्र के मुद्दे
•युवाओं को नौकरी का इंतजार
• रोजगार मूलक उद्योग नहीं लगे।
•औद्योगिक क्षेत्र का विकास अब तक अधूरा
• एनएच के किनारे औद्योगिक क्षेत्र नहीं विकसित हुआ।
• अपराधों पर अंकुश नहीं लग पाया।
• मादक पदार्थों की तस्करी, बिक्री की बड़ी समस्या |
• प्राथमिक शिक्षा में सुधार नहीं हुआ।
• स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दरकार ।
• हर परिवार को एक रोजगार का वायदा पूरा होने का इंतजार
• पेयजल सप्लाई योजना का पूरा होने का इंतजार
2013 के बाद नहीं उठ पायी बसपा
रीवा विधानसभा क्षेत्र में 2003, 2008 और 2013 तक बसपा दूसरे स्थान पर रहती थी लेकिन 2013 के बाद बसपा तीसरे स्थान पर रिव्सक गई और अब उठ नहीं पा रही है। 2013 के चुनाव में बसपा के प्रत्याशी केके गुप्ता ने 23 हजार से अधिक मत प्राप्त किया था। लेकिन 2018 में बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा जो महज 4 हजार तक ही सीमित रहे इस बार मधुमास सोनी को दिया लेकिन इस बार भी बसपा 10 हजार का आंकड़ा नहीं पार कर पायी। हालांकि 2013 के बाद से तीसरे स्थान उठकर कांग्रेस दूसरे स्थान पर आ गई। पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे अभय मिश्रा ने कांग्रेस को लड़ाई में ले आया। परिणाम स्वरूप 23 वर्षों बाद कांग्रेस महापौर का चुनाव जीतने में तो सफल रही लेकिन विधानसभा चुनाव में जीत का सिलसिला बरकार नहीं रख पाटी। इस बार जीत का अंतर गत चुनाव की तुलना में जीत का अंतर तीन हजार और बढ़ गया।