रीवा। MP में 17 नवम्बर को लेकर हर ओर चुनावी शोर है। इस चुनावी शोर में किसानों की खाद संकट की आवाज दब गई है। प्रदेश में DAP सकंट पर बोलेने कोई राजनेता व राजनैतिक दल तैयार नहीं है। हालाकि यह अलग बात है कि इनकी चिंता भाजपा व कांग्रेस सहित सभी दलों के नेताओं की जुबान पर है। रीवा जिले की आठ विधानसभा सीटों में 116 प्रत्याशी चुनावी मैदान पर है लेकिन जिले में किसानों को खाद, बीज मिल रहा है कि इन्हीं इसकी चिंता किसी को नहीं है। वहीं रबी सीजन में खाद नहीं मिलने किसान बोनी के लिए परेशान है जिसकी आवाज सुनने वालो कोई नहीं है।
बता दें कि एमपी सहित पूरे प्रदेश में डीएपी (DAP) खाद गायब है। जहां मिल रही है उसके लिए किसानों से व्यापारी मनमानी दाम वसूल कर रहे है। स्थिति यह है कि 1350 रूपए की बोरी के लिए 1700 रूपए तक चुकाने मजबूर है। सरकारी गोदाम व सेवा सहकारी समितियां डीएपी खाद से खाली है। जहां थोड़ी बहुत खाद बची है वहां किसान लाइन में लगा है बावजूद उसे खाद नहीं मिल पा रही है। खाद की इस समस्या को लेकर कोई नेता व पार्टी उठाने को तैयार नहीं है।
निर्माता कंपनी से नहीं मिल रही खाद
बताया जा रहा है कि डीएपी (DAP) खाद में बनाने वाली कंपनियों को समय पर कच्चा माल नहीं मिल रहा है परिणाम स्वस्प वह खाद नहीं बना पा रही है। इसके कारण पूरे प्रदेश में दो महीने से डीएपी खाद की नई रैक नहीं मिल पा रही है। जबकि सभी जिलों से मांग पहुंच चुकी है। खाद नहीं मिलने से किसान परेशान है। कही सड़क पर आंदोलन कर रहा है तो कही धक्का खा रहा है। वहीं प्रशासन और नेता दोनों अपने चुनाव में मस्त है और किसान खाद नहीं मिलने से खेतों पर पस्त नजर आ रहा है।