MP Election 2023: रीवा। सिर्फ एक विधानसभा सेमरिया से ही कांग्रेस का प्रत्याशी जीता। कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज कर कांग्रेस पार्टी की नाक बचा ली है। वर्ना फिर से सारी जिले से कांग्रेस का सफाया तय था। सेमरिया विधानसभा सीट शुरू से ही हॉट सीट रही। यहां दो प्रत्याशियों के बीच शुरू से ही रोचक मुकाबला चल रहा था। अंत समय में अभय मिश्रा ने 637 मतों के अंतर से जीत दर्ज कर ली भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया। जीत हार का फैसला भी रोचक ही था। 19 राउंड के बाद भी पेच फंसा था। रिकाउंटिंग हुई तब जाकर फैसला आया।
- 19 राउंड के बाद भी मची रही खींचतान, रिकाउंटिंग के बाद 637 वोट से जीते अभय
- सबसे अंतिम में सेमरिया का रिजल्ट हुआ फाइनल, 19 राउंड के बाद भी फंसा रहा पेच
ज्ञात हो कि सेमरिया से भाजपा प्रत्याशी के लिए भी खींचतान मची थी कांग्रेस प्रत्याशी अभय मिश्रा नामांकन के तीन महीने पहले अचानक भाजपा की सदस्यता ले लिए थे। उन्हें आश्वासन दिया गया था कि विधानसभा में प्रत्याशी बनाया जाएगा। टिकट कटता देख उन्हें नामांकन के ठीक पहले ही पलटी मार दी थी। कांग्रेस से टिकट लेकर आ गए थे। इसके बाद भी ही सेमरिया विधानसभा सीट पर रोमांच बढ़ गया था। दो दिग्गजों की बीच चुनावी युद्ध शुरू हो गया था। सह और मात का खेल अंतिम समय तक चला जब मतगणना की बारी आई तो सभी की सांसे शुरू से लकर अंत तक थमी रही।
भाजपा और कांग्रेस में पहले राउंड से लेकर 19 वें राउंड तक जीत हार में ज्यादा अंतर नहीं रहा 3 हजार से 4 हजार के बीच ही अंतर का आंकड़ा घूमता रहा लेकिन जैसे जैसे राउंड खत्म होने को आए । यह अंतर और कम होता गया। यही वजह है कि 19 वें राउंड में जब अभय मिश्रा जीते तब पेच फंस गया। पहले चार मतदान केन्द्रों को लेकर आपत्ति भाजपा प्रत्याशी ने दर्ज की। इनकी रिकाउंटिंग कराई गई। इसके बाद भी मतगणना स्थल पर विवाद की स्थिति बनी रही लेकिन अंतिम में अभय मिश्रा को विजयी घोषित कर दिया गया। 637 मतों से अभय मिश्रा जीत गए। कांग्रेस के अभय मिश्रा को कुल 56024 मत प्राप्त हुए जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी को 55387 मत प्राप्त हुए। विधानसभा क्षेत्र के रिटर्निंग ऑफिसर आरके सिन्हा ने निर्वाचित श्री मिश्रा को निर्वाचन प्रमाण पत्र प्रदान किया।
18 वें राउंड में चार मशीनों की हुई रिटोटलिंग
सेमरिया विधानसभा में मतगणना के दौरान खींचतान की स्थिति रही प्रत्याशी और समर्थकों ने 18 वें राउंड में 4 ईवीएम मशीनों की रिटोटिलिंग का मुद्दा उठाया। कुछ देर तक गिनती रुकी रही। इसके बाद जब रिटोटलिंग की गई तो कांग्रेस प्रत्याशी की बढ़त का अंतर और बढ़ गया। 19 राउंड के बाद भी प्रशासन जीत का प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पा रहा था। भाजपा के प्रत्याशी हार स्वीकार ही नहीं कर पा रहे थे। रिकाउंटिंग पर अड़े रहे। यही वजह है कि प्रमाण पत्र जारी होने में समय लगा। सबसे अंतिम में सेमरिया विधानसभा का प्रमाण पत्र जारी किया गया।
यह रहा हार का कारण
केपी त्रिपाठी की क्षेत्र में हार का कारण विवादित छवि रही क्षेत्र में पांच सालों में बड़ा इन्वेस्टमेंट नहीं हुआ कोई बड़े उद्योग व रोजगार के अवसर सामने नहीं आए। पार्टी के कार्यकर्ताओं को भी पूरी तरह से साधने में सफल रहे। क्षेत्र के लोगों के बीच भी पैठ नहीं बना पाए । निगेटिव छवि के कारण भी लोगों ने इनसे दूरियां बनाई।
18वें राउंड के बाद मच गया था हड़कंप
सेमरिया विधानसभा में 18 राउंड के बाद ही लोग जीत हार का आंकलन करने लगे। इसके बाद 19 राउंड का | परिणाम देर से आया ऑनलाइन दर्ज नहीं हो रहा था। इसी दौरान सोशल मीडिया में केपी त्रिपाठी भाजपा प्रत्याशी को ही जीत दिखा दी गई। कुछ देर बाद आंकड़ा निर्वाचन आयोग की वेबसाइड पर जारी किया गया तब स्थितियां स्पष्ट हुई सोशल मीडिया में 212 वोट से केपी त्रिपाठी को आगे दिखाया जाने लगा था। जब निर्वाचन आयोग की वेबसाइड पर 18 वें राउंड का आकड़ा आया तो पहले 415 प्लस से आगे दिखाया गया। | इसके बाद फिर बढ़त का अंतर 697 पहुंच गया 19 वां राउंड का रिजल्ट देर से आया। इसके आने के बाद ही | स्थितियां स्पष्ट हुई 19 वें राउंड में अभय मिश्रा को 637 प्लस मतों के अंतर से विजयी घोषित कर दिया गया।
सेमरिया विधानसभा क्षेत्र में किस उम्मीदवार को कितना मत मिला
सेमरिया का वोट प्रतिशत
बिजयी प्रत्याशी : अभय मिश्रा
वोट प्रतिशत : 56024
जीत का मंत्र : विकास का मुद्दा व विश्वास पात्रों को एकजुट किया
निकटतम प्रतिद्वंद्वी : केपी त्रिपाठी
प्रतिशत : 55387
हार का कारण : जातीय समीकरण के अलावा माइको मैनेजमेंट बनाने में असफल रहे।
क्षेत्र में यह हैं मुद्दे
रोजगार यहां सबसे बड़ी समस्या है।
विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ
ऐरा प्रथा से किसान परेशान हैं।
पर्यटन क्षेत्रों को पढ़ाना नहीं मिला।
सड़कों के निर्माण में क्षेत्र पीछे है।
सरकारी स्कूलों की हालत खराब है।
औद्योगिक क्षेत्र और उद्योग नहीं हैं।
क्षेत्र की जरूरतें
→ औद्योगिक क्षेत्र का विकास
→ रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना
→ गांव में हाट बाजार की सुविधा
→ 24 घंटे बिजली और पानी की सुविधा
→ घरों तक शुद्ध पेयजल की सप्लाई
→ मादक पदार्थों की बिक्री पर रोक
→ लोगों को सरकारी योजनाओं का मिले फायदा
एक महीने पांच साल पर पड़ गया भारी
भाजपा से केपी त्रिपाठी पांच साल विधायक रहे। वहाँ अभय मिश्रा चुनाव के ठीक चंद दिन पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए। एक महीने ही उन्हें प्रचार प्रसार करने का मौका मिला। सेमरिया में पहले भी वह विधायक रह चुके थे। इसका भी उन्हें फायदा मिला। वहीं भाजपा से प्रत्याशी केपी त्रिपाठी पांच साल सेमरिया में रहे लेकिन यह जनता के बीच पैठ नहीं बना पाए। सेमरिया में जो भी विकास कार्य हुए वह अभय मिश्रा की ही देन बताई जा रही है। केपी त्रिपाठी अपने कार्यकाल में दबंग चेहरा के रूप में ही दिखे। लोगों के बीच छवि भी अच्छी नहीं बना पाए थे। वह हमेशा किसी न किसी बात को लेकर सुर्खियों और विवादों में ही बजे रहे क्षेत्र के विकास में कोई बड़ा काम नहीं कर पाए। गौशाला अभ्यारण्य को यहां के लोगों ने विकास से जोड़ कर नहीं देखा। इन्हीं स्वामियों का फायदा अभय ने उठाया। एक महीने में ही अभय मिश्रा भाजपा प्रत्याशी के वोट काटने में सफल हो गए। सिर्फ लाडलियों ने ही लाज बचाई वन हार और बुरी होती |