रीवा। गुढ़ विधानसभा में लगातार दूसरी पंचवर्षीय फिर कमल खिल गया। यहां के मतदाताओं ने भाजपा के ही पुराने नेता पर भरोसा जताया गुढ़ विधानसभा क्षेत्र में हुए विकास कार्य को स्वीकार कर जनता ने भाजपा प्रत्याशी को आशीर्वाद दिया। टिकट तय होने के बाद भाजपा के उम्मीदवार नागेन्द्र सिंह ने लोगों की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया। वहीं, प्रदेश भाजपा की लाडली बहना योजना व अन्य हितग्राही योजनाओं का भी लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिला। इतना ही नहीं, आखिरी समय में अमहिया कांग्रेस के वारिस सिद्धार्थ तिवारी का भाजपा में जाना भी सत्ता दल के लिए फायदेमंद रहा। अमहिया कांग्रेस से जुड़े गुढ़ क्षेत्र के मूल मतदाताओं ने भाजपा का साथ दिया। जबकि चुनाव से पहले कांग्रेस की क्षेत्र में खूब लहर थी। भाजपा ने पुराने प्रत्याशी पर भरोसा जताते हुए अमहिया कांग्रेस को अपने पक्ष में करके गुढ़ विधानसभा का समीकरण बदल दिया।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2013 में भाजपा प्रत्याशी नागेन्द्र सिंह को बुरी हार मिली थी तब कांग्रेस प्रत्याशी सुंदरलाल तिवारी ने उन्हें पटखनी दी थी। फिर 2018 में भाजपा के नागेंद्र सिंह विजयी हुए और इस बार भी उनका विजयी परचम लहराता रहा। इस बार भाजपा के नागेंद्र सिंह ने कांग्रेस के कपिध्वज सिंह को 2 हजार 493 वोट से पराजित किया। कांग्रेस प्रत्याशी ने भाजपा के नागेंद्र को कड़ी टक्कर दी लेकिन अंततः उनके हाथ एक बार फिर हार लगी। बता दें कि इसके पहले कांग्रेस प्रत्याशी कपिध्वज 2013 में निर्दलीय व 2018 में सपा की टिकट से गुढ़ में ही चुनाव लड़े परंतु जीत नहीं पाये। इस बार भी उन्हें निराशा ही मिली हमेशा की तरह इस चुनाव भी यहां जातिगत समीकरण खूब चला अंतिम में ब्राम्हण मतदाताओं के छिटकने से कांग्रेस को नुकसान तो भाजपा को सीधा फायदा पहुँचा।
प्रत्येक चरण में पिछडे कांग्रेस प्रत्याशी
सुबह मतगणना आरम्भ होते ही पोस्टल वोट में कांग्रेस प्रत्याशी को 598 मत के साथ बढ़त मिली। जबकि भाजपा प्रत्याशी को महज 249 मत प्राप्त हुए। इसके बाद ईवीएम मशीन के मतों की गिनती शुरू हुई। पहले चरण की गिनती में भाजपा को 3898 व कांग्रेस को 3258 मत मिले। यानि पहले चरण की गिनती से ही कांग्रेस प्रत्याशी 640 वोट से पिछड़ गए और फिर प्रत्येक चरण में पिछड़ते गए। मतगणना के 13वें, 14वें चरण में कांग्रेस प्रत्याशी को करीब 6 हजार मतों की जबरदस्त बढ़त मिली लेकिन कुल मतों के अंतर में तब भी पिछड़े ही रहे। इस प्रकार 19 चरणों में हुई मतगणना में भाजपा को निरंतर बढ़त मिलती गई और अंतत भाजपा ने यहां जीत दर्ज की। जानकारी है कि कुछ जगह पर गिनती को लेकर कांग्रेस प्रत्याशी ने आपत्ति दर्ज कराई परंतु उनकी आपत्ति को नहीं सुना गया।
रणनीति बनाने में माहिर नागेंद्र सिंह
नागेंद्र सिंह पहली मर्तबा 1985 में गुढ़ से ही विधायक बने थे। उसके बाद 2003 में भाजपा से टिकट लेकर विधायक बने। वर्ष 2008 में भी नागेंद्र सिंह को जीत मिली। वर्ष 2013 को छोड़ दें तो 2018 और अब 2023 में पुनः नागेंद्र सिंह को जीत मिली। वर्ष 2018 और 2023 में सारे कयासों को ध्वस्त करते हुए नागेंद्र सिंह ने विजय प्राप्त की। इस विजय से उन्होंने खुद को रणनीति में माहिर साबित किया। इस जीत से उनके सियासी कद में कितना इजाफा होगा, यह अब मंत्रीमण्डल के गठन से स्पष्ट हो पायेगा।
गुढ़ विधानसभा में अब तक निर्वाचित हुए विधायक
1952……………. 1957 शिवनाथ पटेल जनसंघ, 1962 बजराज सिंह कांग्रेस, 1967 मुनि प्रसाद कांग्रेस, 1972 रामपाल सिंह कांग्रेस, 1977 चंद्रमणि त्रिपाठी जनतापार्टी,
1980 राजेन्द्र मिश्रा कांग्रेस, 1985 नागेन्द्र सिंह कांग्रेस, 1990 विश्वम्भर पाण्डेटा सीपीआई, 1993 बुद्धसेन पटेल बीएसपी, 1998 विद्यावती पटेल बीएसपी , 2003 नागेन्द्र सिंह बीजेपी, 2008 नागेन्द्र सिंह बीजेपी, 2013 सुन्दरलाल तिवारी कांग्रेस, 2018 नागेन्द्र सिंह बीजेपी, 2023 नागेन्द्र सिंह बीजेपी
17 नवम्बर को गुढ़ में पड़े कुल मत : 1 लाख 64 हजार 361
विजयी प्रत्याशी : नागेन्द्र सिंह , वोट प्रतिशत : 68715- 41.६२%
जीत का मंत्र : विकास का मुद्दा व विश्वास पात्रों को एकजुट किया
निकटतम प्रतिद्वंद्वी
कपिध्वज सिंह, पार्टी : कांग्रेस , मत : ६६२२२, प्रतिशत : 40.11%
हार का कारण: जातीय समीकरण के अलावा माइको मैनेजमेंट बनाने में असफल रहे।
प्राथमिकता में ये काम |
क्षेत्र के मुद्दे |
• सड़कों का जाल बिछाएंगे। • बेरोजगारों के लिए रोजगार • पानी की समस्या दूर करेंगे। • शैक्षणिक स्तर सुधारेंगे। • पर्यटन और धार्मिल स्थल बनाएंगे। ● ऐस प्रथा पर रोक लगायेंगे। • बिजली व्यवस्था सुधारेंगे। |
• सोलर प्लांट में युवाओं को नौकरी का इंतजार • रोजगार मूलक उद्योग नहीं लगे। • औद्योगिक क्षेत्र का विकास अब तक अधूरा • एनएच के किनारे औद्योगिक क्षेत्र नहीं विकसित हुआ। • अपराधों पर अंकुश नहीं लग पाया। • मादक पदार्थों की तस्करी, बिक्री की बड़ी समस्या । • प्राथमिक शिक्षा में सुधार नहीं हुआ। • स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की दरकार । |
2018 की तुलना में दोनों प्रमुख प्रत्याशी के मत बढ़े
वर्ष 2018 में नागेन्द्र सिंह को कुल 42 हजार 569 मत मिले थे। इस विधानसभा चुनाव में नागेन्द्र सिंह ने जीत दर्ज करते हुए वोट का प्रतिशत भी बढ़ाया है। इन्हें इस मर्तबा गत चुनाव से करीब 26 हजार 146 मत ज्यादा मिले इसी प्रकार कांग्रेस प्रत्याशी कपिध्वज को वर्ष 2018 में सपा प्रत्याशी रहते 34 हजार 741 मत मिले थे, जिसकी तुलना में वर्ष 2023 के चुनाव में कपिध्वज को 31 हजार 481 मत अधिक प्राप्त हुए। वर्ष 2018 में कांग्रेस प्रत्याशी रहे सुंदरलाल तिवारी मत प्रतिशत के हिसाब से तीसरी शक्ति बने रहे। वहीं, वर्ष 2023 के चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य लड़ाई देखने को मिली। तीसरे विकल्प के तौर पर जनता ने बसपा प्रत्याशी को 18 हजार 348 मत दिए, जो विजयी आंकड़े से काफी पीछे रहीं। गुढ़ विधानसभा से वर्ष 2023 में 20 प्रत्याशियों ने पर्चा भरा था, जिसमें 3 प्रत्याशियों का प्रदर्शन ही उल्लेखनीय रहा। जबकि 4 प्रत्याशी 5 हजार मत का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाये। वहीं, अन्य प्रत्याशियों को 1 हजार मत भी नसीब नहीं हो सके।