Rewa News: धनतेरस (Dhanteras) के शुभ अवसर पर सोने की खरीदारी करना भारतीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दिन समृद्धि और सौभाग्य लाता है, लेकिन सोने में किया गया निवेश तभी सफल होता है जब आप शुद्धता और सही दाम की गारंटी लें। ज्वैलरी खरीदते समय भावनात्मक होने के बजाय, आपको एक सतर्क निवेशक की तरह काम करना चाहिए और बिल (Invoice) की हर बारीकी को ध्यान से समझना चाहिए।
एक ज्वैलरी शोरूम में बिल को जाँचते समय आपको इन 5 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेष ध्यान देना चाहिए:
1. सोने की शुद्धता और मूल्य कीमत (Gold Purity & Base Price)
सोने की खरीदारी में सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम शुद्धता सुनिश्चित करना है।
- हालमार्क (Hallmark) और कैरेट (Karat): हमेशा BIS (Bureau of Indian Standards) हॉलमार्किंग वाली ज्वैलरी ही खरीदें। शुद्धता को कैरेट में मापा जाता है (जैसे 24K, 22K, 18K)। 22 कैरेट का मतलब है 91.6% शुद्ध सोना (916)।
- मूल्य कीमत (Gold Rate): बिल में यह स्पष्ट रूप से लिखा होना चाहिए कि आपके द्वारा खरीदी गई तारीख को 24 कैरेट या 22 कैरेट सोने का प्रति ग्राम (या प्रति 10 ग्राम) मूल्य क्या था। कई बार ज्वैलर्स मेकिंग चार्ज जोड़कर कीमत को अस्पष्ट रखते हैं। आपको सोने के वजन (Gross Weight) और शुद्ध वजन (Net Gold Weight) के आधार पर उसकी मूल्य कीमत (केवल सोने का दाम) बिल में अलग से लिखवानी चाहिए।
- क्या करें: ज्वैलर से पूछें कि आज का 22 कैरेट सोने का रेट क्या है? और सुनिश्चित करें कि यह बिल में दर्ज हो।
2. मेकिंग चार्ज (Making Charges/Wastage)
सोने के आभूषणों को बनाने में कारीगरी का खर्च लगता है, जिसे मेकिंग चार्ज कहते हैं। यह चार्ज बिल का एक बड़ा हिस्सा हो सकता है।
- प्रतिशत या फिक्स्ड दर: मेकिंग चार्ज सोने के वजन के प्रतिशत (उदाहरण के लिए 8% से 25%) के रूप में या प्रति ग्राम एक निश्चित दर (उदाहरण के लिए Rs. 500/ग्राम) के रूप में लिया जा सकता है।
- मोलभाव: मेकिंग चार्ज पर अक्सर मोलभाव (Bargaining) किया जा सकता है। धनतेरस के दौरान, कई शोरूम फिक्स्ड या डिस्काउंटेड मेकिंग चार्ज की पेशकश करते हैं।
- बिल में स्पष्टता: बिल में यह स्पष्ट रूप से दिखाया जाना चाहिए कि कुल मेकिंग चार्ज कितना है और यह किस आधार पर (प्रतिशत या ग्राम) लिया गया है।
3. जीएसटी (GST) दर की जाँच
सोना खरीदना भारत में एक टैक्सेबल ट्रांजैक्शन है, और आपको इस पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) देना होता है।
- सोने पर GST: सोने के मूल्य पर (सोने की कीमत + मेकिंग चार्ज मिलाकर) 3% GST लगाया जाता है।
- बिल में गणना: सुनिश्चित करें कि बिल में 3% की दर से GST की गणना की गई है। अत्यधिक या कम GST दर लेने पर सवाल करें।
4. पत्थर/जड़ित धातु का वजन और शुद्ध वजन (Net Gold Weight)
यदि आप ऐसे आभूषण खरीद रहे हैं जिनमें हीरे, रत्न या अन्य पत्थर जड़े हुए हैं, तो यह कदम महत्वपूर्ण है:
- पत्थर का वजन: बिल में जड़े हुए पत्थरों (Stones) का वजन और मूल्य अलग से लिखा होना चाहिए। कुछ ज्वैलर्स पूरे आभूषण के वजन को सोने के वजन में शामिल कर लेते हैं, जिससे सोने की वास्तविक शुद्धता कम हो जाती है।
- शुद्ध सोना: सुनिश्चित करें कि आपको बिल में केवल शुद्ध सोने का वजन (Net Gold Weight) ही दिखा जाए, जिस पर मेकिंग चार्ज और सोने की कीमत जोड़ी गई हो।
5. बाय-बैक पॉलिसी और एक्सचेंज वैल्यू
सोने का बिल केवल खरीदारी के लिए नहीं, बल्कि भविष्य में बेचने या एक्सचेंज करने के लिए भी एक कानूनी दस्तावेज होता है।
- विनिमय नीति (Exchange Policy): बिल पर या रसीद के पीछे ज्वैलर की बाय-बैक (Buy-Back) या एक्सचेंज पॉलिसी जरूर लिखवाएँ।
- भविष्य की शुद्धता: यह स्पष्ट करवा लें कि भविष्य में ज्वैलरी वापस करते समय वह ज्वैलर आज के सोने के रेट पर कितनी शुद्धता (जैसे 90%, 95% या 100%) के हिसाब से सोने का दाम लगाएगा।
धनतेरस पर सोना खरीदना सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक आर्थिक निवेश है। एक सही और विस्तृत बिल आपके निवेश को सुरक्षित रखता है।