REWA NEWS: बिना अनुमति अधिकारी के डिजिटल सिग्नेचर (डोंगल) का उपयोग करने पर अपर कलेक्टर ने नागरिक आपूर्ति निगम रीवा के जिला कार्यालय में पदस्थ टी. पी. डेहरिया वित्त प्रबंधक, संजय सिन्हा लेखापाल एवं विनोद सिंह कम्प्यूटर आपरेटर को कारण बताओ नोटिस जारी कर दो दिवस में जबाव तलब किया है।
अपर कलेक्टर रीवा ने जारी नोटिस में लेख किया है कि नियत समय सीमा में उत्तर प्राप्त न होने पर एक पक्षीय कार्यवाही की जावेगी। गौरतलब है कि नागरिक आपूर्ति निगम रीवा के क्षेत्रीय प्रबंधक एवं जिला प्रबंधक का पद रिक्त होने के कारण मुख्यालय भोपाल द्वारा दोनों प्रभार अपर कलेक्टर रीवा सपना त्रिपाठी को सौंपे गये हैं। अप्रैल 24 को अपर कलेक्टर रीवा के पास उपर्युक्त दोनों पद के प्रभार हैं।
रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर की जा रही गेहूं की खरीदी में संलग्न मजदूरों, विक्रेता किसानों तथा समितियों के प्रासंगिक व्यय का भुगतान प्रभावित न हो इस वास्ते अपर कलेक्टर द्वारा अपने डिजिटल सिग्नेचर के उपयोग करने के लिये टी.पी. डेहरिया वित्त प्रबंधक, संजय सिन्हा लेखापाल एवं विनोद सिंह कम्प्यूटर आपरेटर नागरिक आपूर्ति निगम रीवा को अधिकृत किया गया था।
उन्होंने 19 अप्रैल 24 को जारी संबंधित आदेश में आगाह किया था कि लेखापाल सिन्हा और कम्प्यूटर आपरेटर विनोद सिंह वित्त प्रबंधक डेहरिया की देखरेख में कार्यों को संपादित करेंगे, यदि वित्त से संबंधित या डिजिटल सिग्नेचर का नियमविरुद्ध उपयोग किया जाता है तो उसके लिये उत्तरदायी तीनों लोग होंगे। परंतु अपर कलेक्टर को मालूम था कि यह नागरिक आपूर्ति निगम रीवा है जहां एक से बढ़कर एक घाघ एवं शातिर दिमाग के लोग बैठे हुये हैं जो मौका मिलने पर पूरे कार्पोरेशन को बेचने का माद्दा रखते हैं। नान रीवा के कर्मचारियों की मजाल और उनके कमाल का सहज अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अपर कलेक्टर (प्रभारी डीएम नान रीवा) ने वित्त एवं डिजिटल सिग्नेचर के उपयोग के लिये संबंधितों को अधिकृत करते समय नियमविरुद्ध कार्य न करने की हिदायत दी थी बावजूद उसके भी इस अधिकृत तिकड़ी द्वारा अपर कलेक्टर के डिजिटल सिग्नेचर का भरपूर उपयोग किया गया।
अपर कलेक्टर रीवा ने एक अन्य आदेश जो 7 मई 24 को जारी किया गया, में साफ शब्दों में लेख किया है कि अन्य वित्त संबंधी कार्यों में डिजिटल सिग्नेचर का प्रयोग करने से पूर्व नोटशीट पर अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा। परंतु जिन्हें नियम कायदों की धज्जियां उड़ाने की आदत हो, उनके लिये अधिकारियों की चेतावनी गीदड़ भभकी से ज्यादा कुछ नहीं होती है?
घोटालों की खान है नान नान रीवा घोटालों की खान के तौर पर अपनी प्रसिद्धि पूरे प्रदेश में बना चुका है। निगम के शातिर खिलाड़ियों, मिलरों और परिवहनकर्ताओं का गठबंधन पूर्व में अनेक कारनामे कर चुका है। शासन-प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर यह गठजोड़ भ्रष्टाचार के नियत नये रिकॉर्ड स्थापित कर रहा है। विभागीय मिलीभगत का ही परिणाम है कि मिलर्स करोड़ों की फर्जी गारंटी की दम पर निर्बाध व्यवसाय कर रहे हैं। फर्जी बैंक गारंटी का मामला उजागर होने पर मिलर फर्म का नाम बदलकर व्यवसाय करने लगते हैं।
भ्रष्ट अनियमितताओं के जरिये अपने आर्थिक रिश्ते मजबूत बनाये रखने के लिए बना नान रीवा का गठबंधन तो यही मानकर चलता है कि शासन-प्रशासन रतौंधी एवं दिनौंधी दोनों से रोग से ग्रसित हैं। गनीमत है कि अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी ने वक्त की नजाकत को भांप लिया और उनके सामने बिना अनुमति चल रहा डोंगल का खेल उजागर हो गया वर्ना नान रीवा के भ्रष्टाचार पुराण में अनियमितता का एक बड़ा अध्याय और जुड़ जाता जिसके लिये अपर कलेक्टर को खुद शासन का कोपभाजन बनना पड़ सकता था?
खबर है कि अपर कलेक्टर ने अपने डिजिटल सिग्नेचर का इस्तेमाल वर्ष 2024-25 के गेहूं उपार्जन के संबंध में करने के लिये संबंधितों को अधिकृत किया था किन्तु उन लोगों ने परिवहनकर्ताओं से सांठगांठ विगत वर्ष के लंबित एवं रोके गये भुगतान के लिये करना शुरू कर दिया था। बताते हैं कि अपर कलेक्टर के संज्ञान में यह मामला तब आया जब उन्हें पता चला कि नये भुगतान नहीं हो पा रहे हैं। उनकी पूछताछ में सारा माजरा निकलकर सामने आया कि उनसे नोटशीट पर अनुमोदन लिये बिना ही उनके डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग किया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो पूर्व के जिन भुगतानों पर किसी न किसी कारणवश रोक लगी हुई उन भुगतान में अपर कलेक्टर का डोंगल इस्तेमाल कियसा जा रहा था। सूत्र बता रहे हैं कि अपर कलेक्टर ने संबंधितों से अपने डिजिटल सिग्नेचर और मोबाइल नंबर जिस पर ओटीपी आता है, को वापस ले लिया है।