मध्यप्रदेश में सबसे बड़े सवाल कौन बनेगा मुख्यमंत्री का जवाब तो मोहन यादव के रूप में मिल गया है, लेकिन इससे बीजेपी में एक और बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिन दिग्गजों को दिल्ली दरबार ने विधानसभा के मैदान में उतार दिया था अब उनका क्या होगा उनसे इस्तीफे लेकर ये भी साफ कर दिया गया है कि उनको प्रदेश की राजनीति में ही सक्रिय रहना है।
इन दिग्गजों के साथ ही प्रदेश के कुछ सीनियर मोस्ट नेताओं के नाम भी शामिल हैं जिनकी अगली भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं केंद्रीय पर्यवेक्षक मनोहरलाल खट्टर ने मौके की नजाकत को समझकर कह दिया कि दिग्गजों को बड़ा पद दिया जाएगा। लेकिन सवाल यही है कि आखिर वो बड़ा पद कौन सा है और इन बड़े पदों की संख्या कितनी है जिसमें सब एडजेस्ट हो जाएंगे। क्योंकि सीएम, डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष तो तय हो गए हैं।
शिवराज सिंह चौहान
प्रदेश के 16 साल से ज्यादा समय के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद इतना बड़ा हो गया है कि वो प्रदेश में नहीं समा सकता। इसलिए ये साफ माना जा सकता है कि चौहान अब दिल्ली कूच करेंगे। उनको दिल्ली में बड़ा मंत्रालय देकर अगले लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका दी जा सकती है। उनको लोकसभा का चुनाव भी लड़ाया जा सकता है या फिर उनको संगठन में भी कोई अहम पद दिया जा सकता है।
कैलाश विजयवर्गीय
आठवीं बार विधायक बने कैलाश विजयवर्गीय के साथ भी उनके एडजस्टमेंट का बड़ा मामला है। इतने भारी भरकम नेता के लिए प्रदेश में कौन सी भूमिका हो सकती है। प्रदेश अध्यक्ष जरूर एक बड़ा पद नजर आता है जहां पर विजयवर्गीय को फिट किया जा सकता है। इसके अलावा मोहन कैबिनेट में उनकी स्थिति भी पटेल की तरह असहज वाली होगी कैबिनेट में उनको भी उनके पसंद के और बड़े विभाग दिए जा सकते हैं।
राकेश सिंह
राकेश सिंह चार बार के सांसद हैं और एक वार प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उनका नाम भी सीएम पद के लिए गाहे बगाहे चलता रहा है। राकेश सिंह प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं इसलिए अब उनको मोहन कैबिनेट में शामिल होकर ही संतोष करना होगा। राकेश सिंह को भी कैबिनेट में अहम मंत्रालय दिया जा सकता है।
प्रहलाद पटेल
सांसद और केंद्रीय मंत्री के रूप में प्रहलाद पटेल की पारी खत्म हो चुकी है। अब उनको प्रदेश
में ही काम करना होगा। लेकिन चार बार के सांसद पटेल यहां किस पद पर एडजस्ट होंगे। प्रहलाद को मोहन यादव की कैबिनेट में कोई बझ विभाग दिया जा सकता है अब ये बड़ा विभाग गृह ही माना जाता है। प्रहलाद पटेल को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया जा सकता है, लेकिन यहां पर जो रोड़ा बन सकता है वो है उनका ओबीसी होना। मुख्यमंत्री ओबीसी के साथ पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भी ओबीसी वर्ग से बनाने में गुरेज करेगी।
गोपाल भार्गव
गोपाल भार्गव प्रदेश के न सिर्फ सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरे हैं बल्कि सबसे सीनियर विधायक भी हैं। वे इस वक्त इकलौते ऐसे नेता हैं जो
नौवीं बार लगातार विधायक चुने गए हैं वे सबसे ज्यादा समय तक मंत्री भी रहे हैं। उनकी सीनियरटी को देखते हुए ही उनको कमलनाथ सरकार के समय नेता प्रतिपक्ष बनाया गया था। उनका नाम भी सीएम की दौड़ में शामिल हो गया था। विधायक दल की बैठक के बाद से भार्गव थोड़े खफा भी नजर आ रहे हैं। गुजरात फॉर्मूला चला तो वे इस बार कैबिनेट से बाहर भी रह सकते हैं तो फिर सवाल यही है कि भार्गव अब करेंगे क्या |