भोपाल। राजधानी भोपाल के बागसेवनिया थाने का एक शर्मनाक मामला सामने आया है, जहाँ एक सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) पर सरेआम एक युवक की पिटाई करने और बीच-बचाव करने आईं युवतियों के साथ भी अभद्रता करने का गंभीर आरोप लगा है। यह पूरी घटना पुलिस की निरंकुशता और वर्दी के दुरुपयोग को दर्शाती है, जिससे आम जनता में गहरा आक्रोश है।
महज पैर छू जाने पर भड़का एएसआई
यह घटनाक्रम तब शुरू हुआ, जब एक युवक चाय के पैसे देकर वापस लौट रहा था। पीड़ित युवक के अनुसार, अचानक उसका पैर अनजाने में ड्यूटी पर तैनात एएसआई से छू गया। यह मामूली सी बात एएसआई को इतनी नागवार गुज़री कि वह तुरंत आगबबूला हो उठा।
पीड़ित युवक ने बताया कि एएसआई ने बिना कोई बात सुने या समझे, उसे गालियाँ देनी शुरू कर दीं और सरेआम उसकी पिटाई कर दी। यह घटना उस समय हुई जब आसपास कई लोग मौजूद थे, जो पुलिस के इस रवैये को देखकर दंग रह गए।
युवतियों को भी मारा-धक्का दिया
जब एएसआई युवक को पीट रहा था, तो वहाँ मौजूद कुछ युवतियों ने हस्तक्षेप करने और युवक को बचाने की कोशिश की। उन्होंने एएसआई से शांत होने और मामले को न बढ़ाने की अपील की।
लेकिन, एएसआई का गुस्सा शांत होने के बजाय और बढ़ गया। आरोपों के अनुसार, एएसआई ने उन युवतियों को भी धक्का देकर दूर हटाया और उनके साथ अभद्रता की। एक पुलिसकर्मी का महिलाओं के साथ इस तरह का व्यवहार करना, कानून के रक्षक की मर्यादा को तार-तार करता है।
थाने में दी “करियर बर्बाद” करने की धमकी
मामला यहीं नहीं रुका। एएसआई युवक को जबरन बागसेवनिया थाने ले गया। युवक ने आरोप लगाया है कि थाने में भी उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। सबसे गंभीर बात यह है कि पुलिसकर्मी ने उसे धमकाया:
“अगर तुमने इस घटना की कहीं भी शिकायत की या किसी को बताया, तो तुम्हारा करियर बर्बाद कर देंगे और झूठे केस में फँसा देंगे।”
पुलिसकर्मी द्वारा दी गई यह धमकी स्पष्ट रूप से पीड़ितों को न्याय की माँग करने से रोकने और अपनी गलती पर पर्दा डालने का प्रयास थी। यह कृत्य दिखाता है कि कुछ पुलिसकर्मी किस तरह अपने पद का दुरुपयोग करके आम नागरिकों को भयभीत करते हैं।
पीड़ितों ने सीएम हेल्पलाइन और डीसीपी से की शिकायत
इस पूरी घटना के बाद पीड़ित युवक और युवतियों ने हार नहीं मानी। उन्होंने पुलिसकर्मी के खिलाफ मुख्यमंत्री हेल्पलाइन (CM Helpline) और डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (DCP) को विस्तृत शिकायत दर्ज कराई है। पीड़ितों ने अपनी शिकायत में एएसआई के नाम का उल्लेख करते हुए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
पीड़ितों का कहना है कि वे न्याय चाहते हैं और ऐसे पुलिसकर्मियों पर लगाम लगनी चाहिए जो वर्दी की आड़ में अपनी मनमानी करते हैं। डीसीपी कार्यालय से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने और विभागीय जाँच शुरू करने की उम्मीद है, ताकि जिम्मेदार पुलिसकर्मी के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सके और जनता का पुलिस पर भरोसा बहाल किया जा सके।
यह घटना दर्शाती है कि पुलिस को जनता का मित्र बनाने के सरकारी प्रयासों के बावजूद, निचले स्तर पर कुछ पुलिसकर्मियों का आक्रामक और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार कानून व्यवस्था की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से चुनौती दे रहा है। देखना होगा कि उच्च अधिकारी इस संवेदनशील मामले में क्या कदम उठाते हैं।