प्रयागराज। पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी का निधन हो गया है। शनिवार को उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। रविवार की सुबह उन्होंने घर पर ही अंतिम सांस ली। परिजन आज उन्होंने लखनऊ पीजीआई ले जाने वाले थे। दो दिन पूर्व ही पूर्व राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को प्रयागराज स्थित एक्यूरा क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल से घर लाया गया था। वहां चिकित्सक उनपर नजर रखे हुए थे। उन्हें ऑक्सीजन के साथ ही पेय पदार्थ भी नली की मदद से दिया जा रहा था।शनिवार को दिक्कत बढ़ने के बाद चिकित्सकों ने लखनऊ ले जाने की सलाह दी थी। परिवार केे सदस्यों ने बताया कि आज उन्हें पीजीआई लखनऊ ले जाने की तैयारी थी। लेकिन उससे पहले ही उनका निधन हो गया।
एक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता केसरीनाथ त्रिपाठी की गजब की थी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष पूर्व राज्यपाल और भाजपा के वरिष्ठ नेता केशरीनाथ त्रिपाठी के निधन से भाजपा में शोक की लहर दौड़ गई। राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू, पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य समेत तमाम बड़े नेताओं ने निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे प्रदेश और पार्टी के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष स्व. केशरीनाथ त्रिपाठी जी के आवास पर पहुंचकर उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किये तथा उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि दी, तथा ईश्वर से उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की एवं शोक संतप्त परिवार के प्रति शोक संवेदना व्यक्त की। मुख्यमंत्री ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि स्व0 केशरीनाथ त्रिपाठी जी भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ नेता थे। वे एक विचारवान, वरिष्ठ कार्यकर्ता थे। कहा कि उन्हें जो भी दायित्व सौंपे गये, उसका उन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन किया। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उनकी एक विचारधारा के प्रति प्रतिबद्धता, समाज के प्रत्येक तबके को साथ लेकर चलने की सामर्थ्य, एक उत्कृष्ट अधिवक्ता, संविधानविद्, भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष या विधानसभा के अध्यक्ष और एक राज्यपाल के रूप में सभी दायित्वों का उन्होंने कुशलतापूर्वक निर्वहन किया। कहा कि आज प्रातः 89 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपनी भौतिक देह को छोड़कर परम धाम की यात्रा पर प्रस्थान किये है। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इस अवसर पर वे प्रदेश शासन की ओर से और प्रदेश की जनता की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए यहां पर आये हुए है। उन्होंने कहा कि स्व0 केशरीनाथ त्रिपाठी जी ने सहजता, सरलता, विद्वता एवं समन्वय का जो एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है, आज उस एक युग का अंत हुआ है। इस अवसर पर हम उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है।विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने केसरीनाथ त्रिपाठी को अपना गुरु बताया। कहां की उनके साथ उन्होंने 20 देशों की यात्रा की । उन्हें एक समर्पित राष्ट्रभक्ति बताया। उन्होंने कहा कि जब मैं विधानसभा अध्यक्ष बना तो किसी नाथ त्रिपाठी ने मुझे फोन करके बधाई दी। तब की श्रीनाथ ने यह भी कहा कि यह बहुत बड़ा दायित्व है और इसमें तुम्हें देश हित में काफी कुछ करने का मौका मिलेगा। मुख्यमंत्री के अलावा विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना,उप मुख्यमंत्री केशव मौर्या, जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, मंत्री नंदगोपाल गुप्ता नंदी, सांसद रीता बहुगुणा जोशी, कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, सहित अन्य जनप्रतिनिधिगणों ने स्व0 केशरीनाथ त्रिपाठी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की। |
पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की तरह ही पूर्व राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी का सभी राजनीतिक दलों में खासा सम्मान था। प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव केसरीनाथ त्रिपाठी को अपना जिगरी दोस्त बताते थे। दोनों के दल भले ही विपरीत विचारधारा के हो लेकिन विधानसभा में इन दोनों ही नेताओं ने कभी भी एक दूसरे को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।केसरीनाथ त्रिपाठी का राजनीतिक कैरियर काफी लंबा रहा। वह छह बार विधायक रहे। तीन बार होने विधानसभा अध्यक्ष बनने का भी गौरव हासिल हुआ। विधान सभा में उनके साथ ही रहे पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह गौर बताते हैं कि आज वह हमारे बीच में भले ही ना हो उनकी यादें हमेशा दिलों में रहेंगी।केसरीनाथ त्रिपाठी का व्यक्तित्व भी बड़ा शानदार रहा। वह अच्छे राजनेता तो थे ही साथ ही अच्छे अधिवक्ताओं में भी उनकी गिनती होती रही है।
पश्चिमी बंगाल का राज्यपाल का 5 साल का सफल कार्यकाल पूरा करने के बाद जब वो प्रयागराज आए तो उन्होंने वकालत में दिलचस्पी दिखाई। हालांकि उम्र ज्यादा हो जाने की वजह से वह फाइलें तो ज्यादा नहीं पढ़ पाते थे लेकिन अगर कोई उनसे कानूनी राय मशवरा लेता था तो वह उसे उचित सलाह जरूर देते थे।केसरीनाथ अच्छे कवि भी माने जाते थे। उनके द्वारा तमाम किताबें भी लिखी गई। उनके भांजे शिवेंद्र मिश्रा ने बताया कि पंडित जी ने दो दर्जन से ज्यादा किताबे लिखी हैं। 2020 में हुए कोरोना की वजह से वह कम सुनने लगे थे। हालांकि अपने सारे काम वह खुद ही करते थे।