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MP चुनाव में लड़ाई अपनों से; 80 साल नाना विरूद्ध 27 की नातिन, 70 के चाचा का 41 के भतीजे से मुकाबला

By Surendra Tiwari

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रीवा। एमपी चुनाव में इस बार कई सीटों में दिलचस्प मुकाबला है जहां दोवदारों की लड़ाई सीधे अपनो से है। ऐसे में विंध्य की दो सीटें शामिल है। सिंगरौली की देवसर विधानसभा सीट में 80 साल की नाना वंशमणि वर्मा को मुुकाबला अपने 27 साल की नातिन डॉक्टर सुषमा प्रजापति है। वहीं नवगठित मऊगंज जिले में देवतालाब विधानसभा में 70 साल के विधासभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का मुकाबला सीधें अपने 35 साल के भतीजे से है। विंध्य की दोनों सीटों में अपनों की लड़ाई में चुनाव इस बार रोचक है। इन दोनों सीटें में युवा अपने राजनीतिक जमीन तलाशने अपनों के सामने ही चुनाव में ताल ठोक रहे है।

देवतालाब विधानसभा चुनाव में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का मुकाबला चुनाव में इसे पहले अपने भतीजे पदमेश गौतम से पंचायत चुनाव में अप्रत्यक्ष रूप से हो चुका है। इसमें 70 साल के चार पर 41 साल का भतीजा भारी पड़ा और वह अपने इकलौते बेटे को जीत नहीं सके। जबकि चुनाव में वह सीधे टक्कर दे रहे थे। इसबार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पदमेश गौतम का चुनाव में उतार कर मुकाबला कड़ा कर दिया है।

80 साल के पूर्व मंत्री नाना से सामने उतरी नातिन

सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर 80 साल के नाना और 27 साल की नातिन आमने-सामने हैं। कांग्रेस ने 80 साल वंशमणि प्रसाद वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं समाजवादी पार्टी से वंशमणि की नातिन डॉक्टर सुषमा प्रजापति भी प्रत्याशी हैं। डॉक्टर सुषमा सबसे कम उम्र की महिला प्रत्याशी हैं, जो पेशे से डॉक्टर हैं।

सिंगरौली जिले की देवसर विधानसभा सीट पर इस बार भाजपा ने मौजूदा विधायक सुभाष वर्मा का टिकट काटकर राजेन्द्र मेश्राम को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं कांग्रेस ने वंशमणि वर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है। वे आठवीं बार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 80 साल के वर्मा ने पहली बार 1977 में चुनावी ताल ठोकी थी। वो तीन बार विधायक रह चुके हैं। 1980 और 1993 में कांग्रेस और फिर 2003 में वो समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे। दिग्विजय सिंह के नेतृत्व वाली सरकार में वंशमणि मंत्री रह चुके हैं।

इसलिए चुना है राजनीति

डॉक्टर सुषमा प्रजापति ने कहा कि पिछले कई वर्षों से उनके पिता डॉक्टर एचएल प्रजापति डॉक्टरी पेशे के साथ-साथ राजनीति में भी थे, जनपद पंचायत अध्यक्ष भी रहे। 2018 की विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने चुनाव लड़ा था, लेकिन कुछ लोगों की वजह से उन्हें राजनीति का शिकार होना पड़ा। उनके ऊपर कई मुकदमे में लाद दिए गए। जिस वजह से अब वे चुनाव नहीं लड़ सकते, इसलिए पिता मुझे राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया। मैं पेशे से एक डॉक्टर हूं और अब अपने पेशे के साथ राजनीति भी करना चाहती हूं। इसलिए विधानसभा का चुनाव लड़ रही हूं।

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