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कोवीशील्ड वैक्सीन से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा: ब्रिटिश कोर्ट में कंपनी ने माना

By Surendra Tiwari

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Covishield vaccine: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। ब्रिटिश मीडिया टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका पर आरोप है कि उनकी वैक्सीन ने कई लोगों की मौत हो गई। वहीं कई अन्य को गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ा।

  • कुछ मामलों में इससे खून के थक्के जम सकते हैं
  • कंपनी ने कानूनी दस्तावेजों में साइड इफेक्ट्स की बात मानी
  • ब्रिटेन में नहीं इस्तेमाल हो रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन
  • एस्ट्राजेनेका कंपनी की वैक्सीन को भारत में कोवीशील्ड के नाम से जाना जाता है। इसे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर बनाया गया था।

एस्ट्राजेनेका को ही वैक्सीन को भारत में कोवीशील्ड के नाम से जाना जाता है। इसके बाद हाइकोर्ट में जमा किए गए दस्तावेजों में कंपनी ने स्वीकार किया कि उनकी कोरोना वैक्सीन से थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपीनिया सिंड्रोम यानी TTS हो सकता है।

इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। इसकी वजह से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का भी खतरा होता है। कंपनी के खिलाफ हाइकोर्ट में 51 मामलों में मुकदमा चल रहा है। पीड़ितों ने एस्ट्राजेनेका से करीब 1 हजार करोड़ का हर्जाना मांगा है।

दरअसल, अप्रैल 2021 में जेमी स्कॉट नाम के शख्स ने यह वैक्सीन लगवाई थी। इसके बाद उनकी हालत खराब हो गई। शरीर में खून के थक्के बनने का सीधा असर उनके दिमाग पर पड़ा। इसके अलावा स्कॉट के ब्रेन में इंटर्नल ब्लीडिंग भी हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने उनकी पत्नी से कहा था कि वो स्कॉट को नहीं बचा पाएंगे।

कंपनी ने कानूनी दस्तावेजों में साइड इफेक्ट्स की बात मानी
पिछले साल स्कॉट ने एस्ट्राजेनेका के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। मई 2023 में स्कॉट के आरोपों के जवाब में कंपनी ने दावा किया था कि उनकी वैक्सीन से TTS नहीं हो सकता है। हालांकि, इस साल फरवरी में हाइकोर्ट में जमा किए कानून दस्तावेजों में कंपनी इस दावे से पलट गई।

ब्रिटेन में नहीं इस्तेमाल हो रही एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन
खास बात यह है कि इस वैक्सीन का इस्तेमाल अब ब्रिटेन में नहीं हो रहा है। टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, बाजार में आने के कुछ महीनों बाद वैज्ञानिकों ने इस वैक्सीन के खतरे को भांप लिया था। इसके बाद यह सुझाव दिया गया था कि 40 साल से कम उम्र के लोगों को दूसर वैक्सीन का भी डोज दिया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन से होने वाले नुकसान कोरोना के खतरे से ज्यादा थे।

मेडिसिन हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी (MHRA) के मुताबिक ब्रिटेन में 81 मामले ऐसे हैं, जिनमें इस बात की आशंका है कि वैक्सीन की वजह से खून के थक्के जमने से लोगों की मौत हो गई। MHRA के मुताबिक, साइड इफेक्ट से जुझने वाले हर 5 में से एक व्यक्ति की मौत हुई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, फ्रीडम ऑफ इन्फॉर्मेशन के जरिए हासिल किए गए आंकड़ों के मुताबिक ब्रिटेन में फरवरी में 163 लोगों को सरकरा ने मुआवजा दिया था। इनमें से 158 ऐसे थे, जिन्होंने एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई थी।

Surendra Tiwari

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