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Rewa News: 11 राजनेताओं का राजनीतिक भविष्य तय करेगा 3 दिसम्बर का जनमत, जानिए कौन है वों राजनेता

By Surendra Tiwari

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रीवा। जिले की आठ विधानसभा सीटों पर ईव्हीएम में बंद जनमत 3 दिसम्बर को आएगा। इन आठ सीटों में 11 राजनेताओं के राजनीतिक भविष्य यह जनमत तय करेगा। इस चुनाव में विफलता के बाद कई लोगों को राजनीतिक सफर का अंत भी माना जा रहा है। ऐसे में 5 दिसम्बर की तारीख नजदीक आते ही लोगों में इस बात की चर्चा गरम है। किसी जनता किसे ताज देगी तो किसके खाते में बनवास जाएगा।

बता दें कि इस बार जिले की आठ विधानसभा सीटों पर मुकाबला कड़ा है। पिछले आठ विधानसभा सीट जीतने वाली भाजपा अपनी सुरक्षित सीटों को लेकर भी संशक्ति है। वहीं इस कांग्रेस ने चुनावों में हार चुके प्रत्याशियों पर फिर से दांव खेला है। ऐसे में यदि यह प्रत्याशी चुनाव में हारे तो उनका राजनीतिक सफर भी प्रभावित होगा। यहीं कारण है कि इसबार कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों ने मुुकाबला दिलचस्प बना दिया हैं। वहीं इस बार कई सीटों पर हाथी और आप की एंट्री ने चुनावी मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
रीवा विधानसभा सीट
इस बार रीवा विधानसभा से राजेन्द्र शर्मा विरूद्ध राजेन्द्र शुक्ला है। ऐसे में यदि चार बार से लगातार विजयी रहे राजेन्द्र शुक्ला को रोकने में राजेन्द्र शर्मा सफल होते है तो विंध्य के इस बड़े चेहरे के राजनीतिक कद प्रभावित होना तय है। वहीं राजेन्द्र शर्मा के चुनावी हारने पर अब उन्हें दुबारा इस विधानसभा से टिकट मिलने की संभावना न के बराबर होगी। वहीं राजनीतिक कद भी प्रभावित होगा। वह पहले भी रीवा महापौर व विधानसभा का चुनाव हार चुके है। इस तरह इस विधानसभा सीट से दोनों का राजनीतिक सफर जनमत तय करेगा।
गुढ़ विधान सभा
इस विधान सभा से भाजपा ने अपनी नियमों को तोड़ उम्रदराज तीनबार के विधायक रहे नागेन्द्र सिंह को चुनाव में उतरा है। ऐसे में यदि वह चुनाव हारते है तो उनके राजनीतिक सफर लगभग समाप्त हो जाएगा। वहीं कपिध्वज सिंह इस कांग्रेस से चुनाव मैदान में है। इसके पहले वह निर्दलीय व सपा से चुनाव मैदान में रहते हुए कड़ी टक्कर देते रहें,लेकिन जीत से दूर रहे है। ऐसे में यदि व कांग्रेस से भी चुनाव नहीं जीत पाए तो उनके राजनीतिक सफर में इसका बड़ा असर होगा।
सेमरिया विधानसभा
जिले की यह सबसे हॉट सीट बनी है। इस बार यहां ़ि़त्रकोणी मुकाबले में तीनों प्रत्याशियों के राजनीतिक भविष्य जनमत तय करेगा। यहां से पहली बार विधायक बने कांग्रेस के प्रत्याशी अभय मिश्रा का राजनीतिक सफर जनमत के हाथों पर है। उन्हें शिकष्त मिलने पर कभी मुश्किलें हो सकती है। वहीं भाजपा से दूसरी बार मैदार के पी त्रिपाठी की राजनीति दांव पर है। वहीं तीसरी बसपा के प्रत्याशी पंकज पटेल की भी स्थिति दोनोें से मिल रही है। इस बार भी हार मिलने से उनकी राजनीतिक सफर में इस सीधा असर दिखाई देगा।
सिरमौर विधानसभा
रीवा राजघराने के युवराज दिव्यराज सिंह यहां से दो बार विधायक है। तीसरी बार भाजपा से वह चुनावी मैदान है। इस बार भी उन्हंे सिरमौर की जनता अपना जनमत देती है तो राजघराने का राजनीतिक कद बढ़ेगा,लेकिन यह जनमत उनके पक्ष में नहीं गया है राजघराने का कद राजजीतिक रूप से विंध्य में कमजोर होगा। बतों दे इसके पहले महाराजा पुष्पराज सिंह का राजनीतिक सफर इसका उदाहरण है।
त्योंथर विधानसभा
जिले की इस त्योंथर विधानसभा में पूरे प्रदेश की नजर है। इसकी वजह है कि इस सीट भाजपा ने चार दिन पहले कांग्रेस छोड़कर कर सिद्धार्थ तिवारी को टिकट दिया है। वह विंध्य का कांग्रेस नेता पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवासी तिवारी के पोते है और उनके पिता सांसद और विधायक रहे हैं। त्योंथर में यदि जनता से भाजपा के इस निर्णय पर अपना जनमत नहीं दिया तो उनका राजनीतिक कद कम हो जाएगा।
मऊगंज विधानसभा
प्रदेश का 53 वां जिला बनाने के बाद भाजपा ने एक बार फिर प्रदीप पटेंल का अपना प्रत्याशी बनाया है। वहीं कांग्रेस ने पिछले चुनाव में दूसरे नम्बर में रहे सुखेन्द्र सिह बत्रा को उतरा है। जिले की इकलौती विधानसभा है जहां कांग्रेस व भाजपा के दोनों पूर्व प्रत्याशी चुनावी मैदान है। इन दोनों में जनमत के साथ इनका राजनैतिक कद पर भी जनता निर्णय देगी। दोनों में जिसकी हार हुई है वह राजनीतिक प्रभाव कम होना तय है।
देवतालाब विधानसभा
इस विधानसभा से विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम प्रत्याशी है। वह लगातार तीन बार से विधायक रहे है हालाकि तीनों बार जीत को कोई बंड़ा अंतर नहीं रहा है; ऐसे में इस बार उनका मुकाबल अपने ही भजीते से है। ऐसे में चाचा भतीजे की लड़ाई में अगर चाचा गिरीश गौतम को जनमत नहीं मिला है तो उनका राजनीतिक कद बहुत कमजोर हो जाएगा। पंचायत चुनाव में वह इकलौते नेता रहे है जो कि अपने बेटे को जीतने में असफल रहे। जबकि वह वह स्वंय प्रचार में पूरी ताकत झोकी थी।

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