विंध्य भास्कर डेक्स। विभाजित मध्य प्रदेश के इतिहास में पहली बार विधानसभा चुनाव में आधा सैकड़ा से ज्यादा सीटों पर त्रिकोणीय एवं चतुष्कोणीय संघर्ष के हालात बढ़ते नजर आ रहे है। 2 नवंबर को नाम वापसी के साथ ही सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों की स्थिति साफ हो गई है। इसके बाद से दोनों प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और बीजेपी ऐसी सीटों पर दफा नुकसान के आकलन में जुड़ गए हैं जहां बसपा, सपा या अन्यदल के प्रत्याशियों के अलावा कांग्रेस और भाजपा के बागी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे हैं। जहां तीसरा मोर्चा एवं निर्दलीय प्रत्याशी सीधे तौर पर कांग्रेस एवं भाजपा के वोट को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि अभी तक यह स्थिति पूरी तरह साफ नहीं हो पाई है कि बसपा, सपा और अन्य निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव में कांग्रेस बीजेपी में से किसे नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इस बार विधानसभा चुनाव में खास बात यह है कि भाजपा में करीब 25 सीटों पर ऐसे प्रत्याशी चुनाव मैदान में है जो 2018 के चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी थे या फिर कांग्रेस से भाजपा में आए हैं। इसी तरह कांग्रेस में करीब 15 सीटों पर ऐसे प्रत्याशी हैं जो पिछले चुनाव में भाजपा प्रत्याशी थे या भाजपा नेता थे। जबकि कुछ नेता कांग्रेस एवं भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर कुछ नेता दूसरे दलों से चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही दोनों ही दलों के कुछ नेताओं ने निर्दलीय ताल ठोक दी है। फिलहाल मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रमुख दल कांग्रेस और भाजपा के अलावा बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी भी मैदान में हैं।
छोटे दल कांग्रेस और भाजपा को नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है जिससे दोनों ही दलों का सीट जीतने का अनुमान गड़बड़ सा गया है। खास बात यह है कि त्रिकोणी मुकाबले की स्थिति ग्वालियर-चंबल, विंध्य, बुंदेलखंड में स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रही है। महाकौशल, मालवा-निमाड़ में भी कुछ सीटों पर निर्दलीय कांग्रेस-बीजेपी की उम्मीदवारों पर पानी फेर रह सकते हैं।
रीवा जिले की सभी 6 सीटों व मऊगंज की एक सीट में फसा पेच
विंध्य के रीवा जिले कि सभी 6 सीटों में कांग्रेस व भाजपा बीच मझधार में फसी हुई हैं, तो वही मऊगंज की देवतलाब में काग्रेस-बीजेपी में पेच फसा हुआ हैं। बात रीवा जिले के रीवा विधानसभा सीट की कर तो यहां आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस व भाजपा के राजनीतिक समीकरण कों बिगाड़ कर रख दिया हैं। सिरमौर व त्योथर में बसपा ने कांग्रेस व भाजपा की नीद उडा रखी हैं। कांग्रेस व भाजपा दो ही दल के प्रत्याशी यह कहने कि स्थिति में नही हैं कि कांग्रेस व भाजपा में कौन दमदार हैं। तो वही गुढ़ में काग्रेस का पडला भारी होता नजर आ रहा हैं क्यो कि यह भाजपा को आप से नुकसान होता नजर आ रहा हैं। इस लिये काग्रेस यहां मजबूती के साथ खडी हैं। जबकि सेमरिया में कांग्रेस व भाजपा के प्रत्याशियो कि आपसी लड़ाई में बसपा मजबूत हो रही र्हैं। मनगवां में काग्रेस-भाजपा में बराबरी का टक्कर हो सकती हैं, यहा बसपा व सपा का जनाधार खत्म हो चुका हैं। बात करें मऊगंज जिले के देलतलाब विधानसभा की तो यहां कांग्रेस व भाजपा में मुकाबला नही हैं वल्कि चाचा-भतीजे के बीच मुकाबला हैं। सपा प्रत्याशी से जहां भाजपा को नुकसान वही कांग्रेस को फायदा हो सकता हैं। मऊगंज की एक ही सीट हैं जहां काग्रेस उक तरफा भाजपा को मात देती नजर आ रही हैं वह सीट हैं मऊगंज, हालांकि इस सीट से अभी भाजपा के विधायक हैं। लेकिन 5 सालो के संर्घष करने के कारण काग्रेस इस सीट को जीता हुआ मान रही हैं।