Rewa News: रीवा। नाम वापसी के प्रथम दिवस यानी एक नवम्बर को विधानसभा क्षेत्र मनगवां से उम्मीदवार श्रीमती पन्नाबाई प्रजापति ने अपना नामांकन पत्र वापस ले लिया। भाजपाई इसी बात की उम्मीद किये हुये थे। पूर्व विधायक श्रीमती प्रजापति ने दो नाम निर्देशन पत्र जमा किये थे। एक नामांकन पत्र भाजपा तथा दूसरा नामांकन पत्र निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्होंने दाखिल किया था। श्रीमती प्रजापति के चुनाव मैदान से हट जाने पर मनगवां से भाजपा प्रत्याशी सहित समूची पार्टी ने राहत की सांस ली होगी ?
पंचू-पन्नाबाई के राजनितिक कैरियर में ब्रेक लगवा कर राजेन्द्र शुक्ल को सर्वाधिक लाभ होता नजर आ रहा हैं। यदि इस बार पंचूलाल मनगवां से पुनः विधायक बनते और प्रदेश में भाजपा की सरकार बनती तो पंचूलाल निश्चित तौर मंत्री पद के दावेदार होते ऐसे पंचू-पन्नाबाई कों टिकट ना दिलवाकर राजेन्द्र शुक्ल ने अपना राजनैतिक भविष्य सुरक्षित कर लिया हैं।
पंचू-पन्नाबाई के राजनितिक कैरियर में लगा विराम!
सबको मालूम है कि पंचूलाल प्रजापति वर्ष 1998 में पहली बार देवतालाब क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। दूसरी बार 2003 में भी वे उसी सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे तब तक देवतालाब सीट सुरक्षित थी किन्तु 2008 में यह सीट सामान्य (अनारक्षित) हो गई लिहाजा पार्टी ने 2008 में गिरीश गौतम को मनगवां से देवतालाब भेज दिया। मनगवां से 2008 में भाजपा ने पंचूलाल के बजाय उनकी पत्नी श्रीमती पन्नाबाई प्रजापति को टिकट दे दिया था। लेकिन 2023 के चुनाव में भाजपा ने ना तो पंचूलाल को प्रत्याशी बनाया और ना ही श्रीमती पन्नाबाई प्रजापति को।
नाम वापसी का अंतिम तिथि आज
अभ्यर्थियों के नाम वापसी की अंतिम तिथि 2 नवंबर 23 है और दोपहर 3 बजे तक नामांकन वापस लिये जा सकते हैं। गुरुवार को उम्मीदवारों की अंतिम सूची प्रकाशित होगी तथा उनको प्रतीक चिन्हों का आवंटन भी कर दिया जायेगा। मनगवां के अतिरिक्त किसी भी सीट से अभ्यर्थियों के नाम वापसी का समाचार नहीं मिला है। कौन मैदान में डटा रहेगा और कौन रण छोड़ेगा इसकी तस्वीर 2 नवम्बर को स्पष्ट हो जायेगी। माना जा रहा है कि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह के रीवा दौरा के बाद पंचूलाल प्रजापति के बागी तेवर नरम पड़ गये और उनके गिले-शिकवे की बर्फ पिघल गई है। चुनावी रण में जीत-हार अलग विषय है।