Supreme Court Decision: जस्टिस रोहिंटन नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ ने मामले की सुनवाई को ध्यान में रखते हुए किराएदार दिनेश को किसी भी प्रकार की राहत देने से मना कर दिया है और आदेश दिया है कि उन्हें परिसर खाली करना ही है। इसके साथ ही कोर्ट ने किराएदार दिनेश को जल्द से जल्द बचा हुआ किराया देने का भी निर्देश जारी कर दिया है। किराएदार के वकील दुष्यंत पाराशर ने पीठ को बताया कि उन्हें बचा हुआ किराया की रकम जमा करने के लिए थोड़ा समय दिया जाए।
इस पर कोर्ट ने किराएदार को थोड़ा समय देने से साफ मना कर दिया है। कोर्ट ने बताया कि जिस प्रकार से आप ने इस मामले में मकान मालिक को तंग किया है, उसके बाद कोर्ट किसी भी प्रकार से आपको राहत नहीं देगा। आपको परिसर भी खाली करना है और किराए का भुगतान भी समय रहते करना होगा। दरअसल किराएदार में करीब 3 वर्ष से मकान मालिक को किराए की रकम नहीं दी और ना ही वह दुकान खाली करने को लेकर पक्ष में था, आखिरकार दुकान के मालिक ने कोर्ट को अपना यह मामला सुनाया निचली अदालत ने किराएदार को ना कि बकाया किराया चुकाने के लिए कहा बल्कि 2 महीने के भीतर दुकान खाली करने के लिए भी कहा है। इसके साथ ही वाद दाखिल होने से लेकर परिसर खाली करने तक हर महीने ₹35000 किराए का भुगतान करना होगा। इसके बाद भी किराएदार में कोर्ट के आदेश को नहीं माना।
₹9 लाख जमा करने के लिए 4 महीने का मोहलत
कुछ वर्ष पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने किराएदार को तकरीबन ₹9 लाख जमा करने के लिए 4 महीने का मोहलत दिया था किंतु उस आदेश को भी किराएदार ने नहीं माना। इसके बाद किराएदार सुप्रीम कोर्ट गया। जहां से उसकी याचिका को खारिज करते हुए दुकान फौरन खाली करने के आदेश जारी किए गए।