नागरिक आपूर्ति निगम रीवा में भ्रष्ट अनियमितताओं का भंडार: जांच करने भोपाल से आया उच्च अधिकारियों का दल; खंगाले जा रहे दस्तावेज, दफ्तर में मची खलबली

रीवा। घोटाले-दर-घोटाले के लिये प्रदेश में कुख्यात नागरिक आपूर्ति निगम रीवा एक बार फिर उच्च स्तरीय जांच का सामना कर रहा है। शासन के निर्देश पर भोपाल से उच्च स्तरीय अधिकारियों का जांच दल रीवा आया है। सोमवार को रीवा पहुंचे जांच दल में म.प्र. खाद्य विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर, नागरिक आपूर्ति निगम भोपाल के जनरल मैनेजर मनोज वर्मा, वेयर हाउसिंग भोपाल के अतिरिक्त प्रबंध संचालक ओमप्रकाश सनोडिया, नागरिक आपूर्ति निगम भोपाल के कम्प्यूटर प्रभारी मुकेश सिंह एवं नागरिक आपूर्ति निगम भोपाल के सहायक प्रबंधक मिलिंग रजनीश राय आदि अधिकारी व प्रभारी शामिल हैं।

  • मीडिया से परहेज

पूर्व में नागरिक आपूर्ति निगम रीवा की कोख से करोड़ों का धान परिवहन घोटाला, चावल घोटाला जन्म ले चुके हैं जिसके कारण ही रीवा सुर्खियों में रहा। जिन पर दोष सिद्ध हुआ था उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का चाबुक चल चुका है। परंतु नान रीवा रत्नगर्भा विभाग है जहां भ्रष्ट अनियमितताओं का अकृत भण्डार मौजूद है। समय-समय पर इस भण्डार से घोटाले बाहर आते रहते हैं। नागरिक 19 नागरिक आपूर्ति निगम आपूर्ति निगम में जनित गंभीर प्रकृति के भ्रष्टाचार की शिकायतों के परिपेक्ष्य में भोपाल से जांच दल रीवा भेजा गया है जिसने रीवा पहुंचकर संबंधित जांच का श्रीगणेश कर दिया है।

जांच दल द्वारा नान रीवा के जिला कार्यालय में घंटों बैठकर जांच में अपेक्षित दस्तावेजों का अवलोकनर किया गया और आवश्यकतानुसार अभिलेख अपने कब्जे में भी लिये गये। नान रीवा के मामले में खास बात यह है कि यहां का भ्रष्टाचार कभी गूंगा नहीं रहा है। जब तक घूंघट की ओट में रहता है तब तक पर्दादारी बनी रहती है मगर जांच दल को देखते ही चिल्लाहट छोड़ देता है। पूर्व के उजागर घोटाले इस बात के प्रमाण हैं। यदि जांच दल किसी दबाव में आकर उदारवादी रवैया नहीं अपनाता है तो अनियमितताओं का रायता जिले से लेकर प्रदेश की राजधानी तक फैला हुआ है उसको समेटने में देर नहीं लगेगी? नान रीवा में एक से बढ़कर एक खेल किये जाते हैं।

गड़बड़झाला एवं फर्जीबाड़ा किसी के कर कमलों का नतीजा हो या फिर किसी शातिर दिमाग की उपज चारों तरफ से आर्थिक क्षति शासन को ही पहुंचने की गारंटी रहती है। मिलर्स, परिवहनकर्ता एवं विभागीय लोग संगठित होकर शासन का भट्ठा बैठाने का कार्य कर रहे हैं।

अंधेर की पराकाष्ठा
नान रीवा में अंधेर की पराकाष्ठा हो गई है। फर्जी गारंटी लगाकर घान उठाव मिलिंग का धंधा कर रहे लोगों का जब भंडा फूट गया तब उन्होंने फर्म का नाम बदलकर अनुबंध कर लिया। जिस कार्यालय में कृपा का कारोबार चरम पर हो वहां ऐसे छोटे-मोटे कारनामे कोई हैरतअंगेज बात नहीं है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा में नान रीवा के जिला प्रबंधक की कुर्सी खाली है लिहाजा कलेक्टर द्वारा अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी को प्रभारी नियुक्त किया गया है। इस दफ्तर के दो नायाब नगीने चर्चाओं में हैं। कम्प्यूटर आपरेटर विवेक सिंह एवं मिलिंग प्रभारी प्रियांश पाठक की भूमिका पर भी जांच दल गौर फरमा सकता है। कारण कि इन्हें यहां होने वाले खेल में कामयाब मोहरे के तौर पर देखा जाता है।

मीडिया से परहेज
गौरतलब है कि रीवा पहुंचे जाच दल से स्थानीय मीडिया द्वारा संपर्क साधने की कोशिश की गई किन्तु जांच दल मीडिया से दूरी बनाये रखा। खाद्य विभाग के संयुक्त संचालक परमार से उनके मोबाइल नंबर 942530 1558 पर कांट्रेक्ट कर जांच के संबंध में जानकारी चाही गई तो उनका दो टूक जबाव था कि वे रीवा नहीं आये हैं। वहीं सूत्र बताते हैं कि जांच दल का नेतृत्व ज्वाइंट डायरेक्टर परमार ही कर रहे हैं और रीवा में मौजूद हैं। हो सकता है कि जांच में गोपनीयता के उद्देश्य से अधिकारी सच न बोल पा रहे हो?

फर्जी एफडीआर की परंपरा
सूत्रों के हवाले से मिल रही जानकारी अनुसार चावल परिवहन, धान उठाव, फर्जी एफडीआर व फर्जी बैंक गारंटी, धान भण्डारण के लिये गोदामों का आरक्षण आदि अनेक ऐसे बिंदु हैं जिन्हें जांच की परिधि में माना जा रहा है। निकटतम गोदामों के बजाय 60 से 80 किमी. दूरी के गोदामों से चावल परिवहन कराकर रीवा से रेल के माध्यम से रेक भेजवाना, बिना एफडीआर जमा कराये ही धान के उठाव का आदेश जारी करना, अनुबंधित गोदामों में क्षमता से अधिक का धान एवं चावल का भण्डारण दर्शाकर परिवहन का खेल करना तथा अन्य तथाकथित अनियमितताओं से जोड़कर जांच को देखा जजा रहा है।

यहां ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि जिन सरकारी महकमों एवं निगम में ठेके पर कामकाज का सिस्टम है वहां आशातीत रूप से फर्जीबाड़ा किसी परंपरा की भांति भलीभूत है। इस परंपरा का निर्वाह नागरिक आपूर्ति निगम भी पूरी निष्ठा के साथ करता आ रहा है। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में अनुबंधित राईस मिलर विकास ट्रेडर्स मदरी द्वारा लगभग 3 करोड़ की फर्जी एफडीआर लगाकर धान उठाव करना, पनवार राईस मिल द्वारा कमोवेश कारनामा करना तथा चालू वर्ष में एक मिलर द्वारा 25 लाख की एफडीआर सहित 50 लाख के फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर नान रीवा में व्यवसाय करना आदि फर्जी बैंक गारंटी एवं फर्जी एफडीआर वाले मामले उस रबायत के प्रमाण हैं। इतना ही नहीं यदि निष्पक्ष जांच हो जाय तो अन्य कइयों का कालाचिट्ठा बाहर आ जायेगा?