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Shadi Ke 7 Vachan Kya Hai: क्या होते है शादी के 7 वचन, आप भी जान ले

By Surendra Tiwari

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Shadi Ke 7 Vachan Kya Hai: क्या होते है शादी के 7 वचन, आप भी जान ले

शादी हर एक इंसान के जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। शादी के बाद एक लड़की अपना घर छोड़ के अपने ससुराल मे जाती है और वहा के नियमो और संस्कार को अपनाती है। शादी मे वर वधु 7 फेरे लेते है। शादी के 7 फेर के बारे मे तो हर किसी ने सुना ही होता है। लेकिन इन 7 फेरो का महत्त्व शायद हर कोई नही जानत होगा। हर एक फेरे के साथ एक वचन होता है।आज इस लेख मे हम शादी के 7 फेर्रे और उनके वचनो के बारे मे बताने वाले है।

1 पहला वचन

पहले फेरे मे वधु आगे चलती है और कपने होने वाले जीवनसाथी से वचन मांगती है। जब आप जीवन मे कोई पूजा तीर्थ यात्रा करेंगे या कोई धर्म कार्य करेंगे तो आप मुझे अपने साथ रखेंगे. तो मे आपके वामांग मे आना चाहुगी।

2 दूसरा वचन

वर से वधु दूसरा वचन लेती है के जैसे मे अपने माता पिता का सम्मान करती आई हु वैसे ही मे आपके माता पिता और परिवार का सम्मान करुँगी। घर की मर्यादा का ध्यान रखूँगी लेकिन आप भी मेऱ माता पिता का पूरा सम्मान करेंगे। तो मे आपके बाहे वामांग मे आना पसंद करुँगी।

3 तीसरा वचन

तीसरे फेरे मे दुल्हन दूल्हे से यह वचन लेती है के जीवन के तीनो अवस्था (युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था) मे साथ निभाउंगी अगर आप भी मुझे ऐसा वचन देते है ती मे वामांग मे आना पसंद करुँगी।

4 चौथा वचन

तीन बचनों के बाद दूल्हा आगे आता है और पति से बचन मांगते हुवे दुल्हन अब तक आप घर-परिवार की चिंता से मुक्त थे. विवाह के बाद परिवार की जरूरतों को पूरा करने का दायित्व आप पर होगा, अगर आप इसे निभाने को तैयार हैं, तो मैं आपके वामांग में आना चाहूंगी।

5 पाँचवा वचन

पांचवे वचन में कन्या अपने अधिकारों की बात करते हुए दूल्हे से वचन मांगती है कि घर के कार्यों में, विवाह आदि, लेन-देन और किसी अन्य चीज पर खर्चा करते समय अगर आप मेरी भी राय लिया करेंगे, तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

6 छढ़ा वचन

वधु वर से ये वचन मांगती है कि अगर मैं अपनी सहेली परिवार या अन्य लोगों के बीच बैठी हूं, तो आप कभी मेरा सामाजिक रूप से अपमान नहीं करेंगे. साथ ही जुआ आदि किसी भी बुरी आदतों में नहीं फंसेंगे. अगर आप मुझे ये वचन दें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूं।

7 सातवा वचन

सातवें फेरे में दुल्हन बचन मांगती है कि आप पति-पत्नी के आपसी प्रेम का भागीदार किसी अन्य को नहीं बनाएंगे और अन्य स्त्रियों को माता की भांति सम्मानजनक दृष्टि से देखेंगे, अगर आप ये वचन मुझे देते है तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करूंगी।

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