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Lok Sabha Elections 2024: टूट रहा कमलनाथ का तिलस्म, छिटक रहे हैं समर्थक

By Surendra Tiwari

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Lok Sabha Elections 2024: इस बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा बचाने, तो भाजपा को छिंदवाड़ा जीतने की चुनौती है। कांग्रेस ने 2019 के चुनाव में 29 सीटों में से सिर्फ छिंदवाड़ा की एक सीट जीती थी। भाजपा इसे कांग्रेस से छीनकर प्रदेश की सभी 29 सीटें जीतने की कोशिश में है। चुनाव प्रबंधन माहिर प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को छिंदवाड़ा लोकसभा का प्रभारी बनाया गया है।

छिंदवाड़ा कांग्रेस का गढ़ है। कांग्रेस ने उनके सांसद बेटे नकुलनाथ को फिर मैदान में उतारा है जबकि भाजपा ने दो चुनाव हार चुके बंटी विवेक साहू को प्रत्याशी बनाया है। कमलनाथ-नकुलनाथ की स्थिति भी अब पहले जैसी नहीं रही है। उनका राजनीतिक औरा पहले से कमजोर पड़ा है। समर्थक और करीबी उनका साथ छोड़ रहे हैं। लिहाजा बदले राजनीतिक वातावरण में छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव का रण रोचक होगा। भाजपा कांग्रेस के बीच कड़ा- रोचक मुकाबला देखने को मिल सकता है।

हम बता दें पिछले विधानसभा के चुनाव में भाजपा ने प्रदेश में भारी बहुमत जीत दर्ज की थी, लेकिन कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वालीं सभी 7 विधानसभा सीटें वह कांग्रेस से हार गई थीं। कमलनाथ ने बंटी साहू को 37,536 वोटों से हराकर यहां सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी। सभी सीटों में जीत के अंतर को जोड़ें तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को लोकसभा क्षेत्र में 97 हजार 646 वोटों की बढ़त मिली थी। कमलनाथ के प्रभाव के चलते नकुलनाथ का जीत का भरोसा कायम है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लहर के चलते इस बार कांग्रेस की जीत आसान भी नहीं है।

भाजपा को इसलिए जीत का भरोसा

भाजपा को इस बार छिंदवाड़ा में जीत का भरोसा है। इसकी वजह है कि कमलनाथ की राजनीतिक लोकप्रियता में गिरावट आई है। उनके करीबी उनसे छिटक रहे हैं। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव में नकुलनाथ 37 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से ही जीते थे जबकि तब उनके पिता कमलनाथ मुख्यमंत्री थे और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी। इस लिहाज से यह जीत बड़ी नहीं थी। इस बार न तो कमलनाथ मुख्यमंत्री हैं और न ही प्रदेश में कांग्रेस की सरकार। इसके विपरीत अयोध्या में राम मंदिर के कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकप्रियता के शिखर पर हैं। प्रदेश में मोदी लहर चल रही है। इसके अलावा भाजपा ने प्रत्येक बूथ 370 मत बढ़ाने का जो लक्ष्य तय किया है, उसने छिंदवाड़ा में भाजपा को मजबूत किया और किसी हद तक कमलनाथ के तिलस्म नेस्राबूद किया है।

पटवा से सिर्फ एक बार हारे थे कमलनाथ

हम बता दें कि कमलनाथ ने छिंदवाड़ा से पहला चुनाव 1980 में लड़ा था। तब से अब तक वे और उनका परिवार लगातार जीतते आ रहे हैं। 1997 का सिर्फ एक उप चुनाव ऐसा था जब भाजपा के वरिष्ठ नेता स्व सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को 37,680 वोटों के अंतर से हरा दिया था। 1996 में कमलनाथ की पत्नी श्रीमती अलकानाथ लोकसभा का चुनाव जीती थीं। हवाला मामले में नाम आने के कारण कमलनाथ को टिकट नहीं मिला था। इस मामले में क्लीनचिट मिलने के बाद 1997 में कमलनाथ ने अलकानाथ का इस्तीफा दिला दिया था।

इसके बाद हुए उप चुनाव में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। कमलनाथ ने 1998 में हुए अगले ही चुनाव में सुंदरलाल पटवा से हार का बदला ले लिया था और उन्हें डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से हरा दिया था। 2019 में जब कांग्रेस प्रदेश की 29 में से 28 सीटें हार गई थी तब भी कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ यहां से जीतने में सफल रहे थे। उन्होंने भाजपा के नत्थन शाह को 37 हजार 536 वोटों के अंतर से हराया था। कमलनाथ के छिंदवाड़ा को मध्यप्रदेश में कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है।

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