रीवा। दीर्घकालिक राजनीति के पत्ते फेकने की कला सबको नहीं आती। क्यों कि, राजनीति का पत्ता सबको पकड़ना भी नहीं आता। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के स्वागत में दो नई बातें देखने को मिली। एक राजेन्द्र शुक्ला का हवाई अड्डे से लेकर मंच तक गिरीश गौतम के साथ रहना।
- सियासी राह साधने की तरकीब
- सियासत की तारीख में नाम लिखने की होड़
- मेयर की टिकट से जुड़ा मसला
दूसरा अभय मिश्रा का राजेन्द्र शुक्ला का बुके देकर स्वागत करना। पिछले चुनाव में दोनो आमने सामने थे। गिरीश गौतम को प्रतीक चिन्ह देकर स्वागत अभय मिश्रा ने किया। और अंत तक मंच पर रहे।
राजेन्द्र शुक्ला को चिढ़ाने के लिए अभय मिश्रा ने उन्हें बुके दिया या फिर यह बताने के लिए कि, मैं बीजेपी में आ रहा हॅू? अभय बीजेपी में रीवा से टिकट के लिए आएंगे । वापस सेमरिया जाने के लिए नहीं। यह भी हो सकता है कि, अपने बेटे के लिए मेयर की टिकट साधने के लिए सियासत की नई तारीख में अपना नाम लिखने के लिए ऐसा किया है।
भविष्य की सियासी राह बनाने की विवशता राजेन्द्र शुक्ला और अभय मिश्रा दोनों की है। राजेन्द्र को एक तरफ अपने राजनीतिक कद को बनाए रखने की चिंता है,वहीं दूसरी ओर अभय मिश्रा को अपनी उपस्थिति से किसी के मन में भय पैदा करना की फिक्र है। यह सभी जानते हैं कि पांच राज्यो के चुनाव के बाद प्रदेश की सियासत का समीकरण बदलेगा। नरोत्तम मिश्रा विंध्य में अपनी पकड़ बनाने के लिए ही गिरीश गौतम को विधान सभा अध्यक्ष बनाने में कोई कसर नहीं छोड़े। महापौर और पार्षदों की टिकट से दिखने लगेगा कि विंध्य की राजनीति का मंजर और हवा कैसी है।
बहरहाल राजनीति से जुड़ा मसला रीवा में कई बंद पटों को खोल दिया है। आज कुछ लोगों की राजनीति का पोस्टर फट गया और कुछ का होर्डिग में चिपक गया। अभय मिश्रा ने गिरीश गौतम का मंच पर स्वागत करके चुनाव की नई बिसात बिछा दी है।
इस बिसात में सबसे अधिक नुकसान राजेन्द्र शुक्ला का दिख रहा है। कई अंदेशे मंच के नीचे आकार लिए और अमहिया में कई कयास लगते रहे। राजेन्द्र शुक्ला के सलाहकार उनका रीवा विधान सभा से टिकट काटने के बाद ही एक सुकून की सांस लेंगे,शिल्पी प्लाजा में यह चर्चा गरम रही। सेमरिया से अभय मिश्रा की टिकट कट सकती है,तो रीवा से अगली दफा राजेन्द्र शुक्ला की क्यों नहीं?