रीवा। महापौर पद के लिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह व अजय सिंह के करीबी अजय मिश्रा ’बाबा‘ को अपना प्रत्याशी बनाया है। वर्तमान में ये नगर निगम में नेता विपक्ष की भूमिका में हैं। वर्ष 1999 में पहली बार पार्षद के रूप में परिषद में पहुंचे अजय ने जनता के मुद्दे मुखरता से उठाए। इसकी वजह से वह लगातार पार्षद चुनकर परिषद में आते रहे।
अजय मिश्रा को पहली बार महापौर के लिए कांग्रेस पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है। रीवा शहर में इन्होंने अपनी राजनीति अपने दम पर स्थापित की है। इनके बाबा भाईलाल मिश्रा 1952 में कनपुरा और 1957 में देवसर सीट से विधायक रहे हैं। पिता स्व. बद्री प्रसाद कृषि विभाग के उपसंचालक रहे हैं। रीवा शहर में कई वर्षों से नगर निगम में पार्षद रहते हुए जनता के मुद्दों को लेकर प्रदर्शन करते रहे हैं। कई बार निगम प्रशासन को इनकी वजह से बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। निगम में व्याप्त कई भ्रष्टाचार के मामलों का खुलासा भी इनकी ओर से किया गया। नेता प्रतिपक्ष रहते हुए सत्ता पक्ष को घेरने की वजह से ही इनकी सक्रियता को देखते हुए पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है।
राजनीति की शुरुआतरू वर्ष 1999 में पहली बार वार्ड 17 से पार्षद चुने गए। वर्ष 2009 में वार्ड 19 और वर्ष 2014 में वार्ड 17 से निर्वाचित हुए। इसके पहले छात्र संघ और युवा कांग्रेस में कई अहम पदों पर रहे। कई बड़े आंदोलनों के चलते राजनीतिक मुकदमे भी दर्ज हुए।
पुराना रिकॉर्डरू वर्ष 1999, 2009 और वर्ष 2014 में पार्षद चुने गए। पिछले सत्र में नेता प्रतिपक्ष रहे।
टिकट के बाद पार्टी की स्थिति (भीतरघात) रू कांग्रेस में गुटबाजी लंबे समय से रही है। लगातार सत्ता से बाहर रहने की वजह से इस बार नेताओं का अनुमान है कि पहले की तुलना में भीतरघात काफी कम होगा।
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टिकट मिलने का आधार रू नगर निगम में सक्रिय रहते हुए विपक्ष की बेहतर भूमिका। कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार की जांच कराकर कई खुलासे करने और बेदाग छवि।
जातिगत समीकरणः महापौर पद अनारक्षित होने की वजह से ब्राह्मण बाहुल्य सीट होने की वजह से प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा इस वर्ग से विधायक और सांसद बनाकर अपनी ओर आकर्षित करती रही है।