रीवा कांग्रेस ग्रामीण जिला अध्यक्ष नियुक्ति मामले में जिला निर्वाचन अधिकारी (डीआरओ) ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जिला अध्यक्ष के निर्वाचन प्रक्रिया में जिन लोगों ने नामिनेशन किया था उनमें अध्यक्ष नहीं बनाया गया। कैसे अध्यक्ष बनाए, यह पी आर ओ (प्रदेश रिटर्निंग अफसर) जानें। तत्कालीन डीआरओ सतेंद्र कुमार का यह बयान तब आया है जब निवर्तमान जिला महामंत्री द्वारा कांग्रेस के केंदीय चुनाव प्राधिकरण में ग्रामीण जिला अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर अपील की गई और डीआरओ को भी प्रतिवादी बनाया गया। तत्कालीन डीआरओ डॉ सतेंद्र कुमार द्वारा दी गई जानकारी के बाद कांग्रेस द्वारा लोकतांत्रिक तरीके से संगठनात्मक चुनाव के दावों पर सवाल उठते नजर आ रहे हैं।
दरअसल जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर राजू सिंह ने अपील दायर कर डीआरओ, पीआरओ व प्रदेश प्रभारी वेणुगोपाल को प्रतिवादी बनाकर असंवैधानिक तरीके से अध्यक्ष नियुक्त करने का आरोप लगाया है। मामला मीडिया में आने के बाद डीआरओ सतेंद्र कुमार ने दैनिक जागरण प्रतिनिधि को दूरभाष पर फोन कर सफाई दी। डॉ सतेंद्र ने कहा कि अपील में उन्हें भी परिवादी बनाया गया लेकिन उनके द्वारा कोई गलती नहीं की गई है।
असंवैधानिक तरीके से अध्यक्ष नियुक्त करने का आरोप
कांग्रेस जिला ग्रामीण अध्यक्ष नियुक्त मामले में डीआरओ ने दी सफाई
कहा- निर्वाचन प्रक्रिया में नाम ही नहीं था, पीआरओ जाने कैसे चुना
बताया कि केंद्र व प्रदेश निर्वाचन द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुसार पार्टी संविधान के मुताबिक मेरे द्वारा विधिवत लोकतांत्रिक प्रक्रिया के निर्वाचन कराया गया। नामिनेशन कराया गया, कई नेताओं ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किए थे। नामांकन प्रक्रिया दौरान वर्तमान ग्रामीण कांग्रेस जिला अध्यक्ष इंजी राजेंद्र शर्मा नामांकन प्रक्रिया में भाग ही नहीं लिए थे। यहां तक निर्वाचन प्रक्रिया दौरान वहां गए ही नहीं थे। बताया कि मेरे द्वारा निर्वाचन संबंधी पूरी रिपोर्ट तैयार पीआरओ भोपाल को सौंप दी गई थी। अब निर्वाचन प्रक्रिया के तहत अध्यक्ष बनाया गया या फिर मनोनीत किया गया, इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। राजू सिंह द्वारा अपील में उन्हें पार्टी बनाया गया है यह अलग बात है।
इंजी. राजेंद्र शर्मा भी तो गांव के ही हैं
अध्यक्ष के चुनाव में विवाद गांव व शहरी होने का है। लेकिन ग्रामीण कांग्रेस अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा तो भी गांव के ही हैं। वह मनगवा’ विधानसभा क्षेत्र व गंगेव जनपद क्षेत्र के जोरीट के रहने वाले हैं। यह अलग बात है कि रीवा शहर में रहने लगे होंगे तो गांव की मतदाता सूची से नाम हटवा दिया होगा। इतना ही नहीं, रीवा शहर के कुल मतदाताओं का 40 प्रतिशत से अधिक मतदाता गांव से ही हैं, जो शहर में घर बनवा कर रहने लगे और शहर की मतदाता सूची में नाम जुड़वा लिये। ऐसे कई और नेता है, चाहे वह कांग्रेस के हो या भाजपा के या फिर अन्य दलों के, वह मूल रूप से गांव के ही रहने वाले हैं और शहर में अपना नाम जुड़वा लिया है। कुछ का दोनों जगहों में नाम है।