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History of Rewa: सफ़ेद बाघों का गढ़, तानसेन और बीरबल से गहरा नाता विंध्य की राजधानी रीवा का पूरा इतिहास

By Surendra Tiwari

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मध्यप्रदेश का रीवा शहर मात्र एक शहर नहीं है, बल्कि अपने आप में एक धरोहर है। ये अकबर के नवरंतनों में से एक बीरबल की भूमि के साथ साथ सफ़ेद बाघों की भी जन्मभूमि है। आइये जानते हैं यहाँ की बातें.. रीवा शहर विंध्यांचल पर्वत श्रेणी की गोद में फैले हुए विंध्या प्रदेश के मध्य भाग में बसा हुआ है। रीवा शहर मधुर गान से मुग्ध तथा बादशाह अकबर नवरत्न बीरबल की जन्मभूमि भी माना जाता है। ये शहर कलकल करती बीहड़ और बिछिया नदी के अंचल में बसा हुआ है। रीवा शहर बग़ल वंश रे शासकों के साथ साथ विंध्या प्रदेश की भी राजधानी रहा है।


ऐतिहासिक है रीवा कि धरती

ऐतिहासिक रूप से रीवा सफ़ेद बाघों की धरती के रूप में भी जाना जाता है। इस शहर का नाम रेवा नदी के नाम पर पड़ा जो की नर्मदा नदी का पुराना नाम है। प्राचीन काल से ही रीवा एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग रहा है। जो कि प्रयाग, कौशबी, बनारस,पाटलिपुत्र को एक दूसरे से जोड़ता है।


क्यों मशहूर है रीवा


  • रीवा सफ़ेद बाघों की धरती कहा जाता है।
  • तानसेन की धरती भी कहा जाता है ।
  • यही के राजा रामचंद केआर दरबार में तानसेन थे।
  • 1956 से पहले रीवा विन्ध्यप्रदेश की राजधानी थी।
  • इसका पूर्व नाम भथा था।
  • इसकी स्थापना 1400 ईस्वी में बघेल राजपूतों ने की थी।
  • 1597ई. में इसे विन्ध्यप्रदेश की राजधानी बनाया गया।


रीवा बनी राजधानी

इतिहास के अनुसार 1617ई. में महाराजा विक्रमादित्य ने रीवा को अपने राज्य की राजधानी के रूप में चुना। वर्तमान समय में रीवा का राजमहल विश्वविख्यात है। देश विदेश से लोग इसे देखने आते हैं। वहीं जब रीवा को राजधानी बनायी गई तो ये राजमहल अधूरा था और बाद में विक्रमादित्य ने इसे पूरा करवाने का निर्णय लिया।

रीवा के संभागीय मुख्यालय होने के कारण इस क्षेत्र को एक प्रमुख नगर के रूप में जाना जाता है।वर्तमान समय में रीवा शहर में 45 वार्ड है जिनमे 6 वार्ड अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। आपको बता दे कि रीवा अपने आप में बघेलखंड का केन्द्र है। यहीं से इस क्षेत्र के राजनीतिक और विकास के रास्ते निकलते है।शाहदोल के संभाग बनने से पहले इसमें 7 ज़िले होते थे, किंतु इसके अलग होने के बाद इसमें केवल 4 ही ज़िले बचे है। जो कि रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली है।

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