कहते है ना की की माँ सबसे बड़ी योद्धा होती हैं. वह अपने बेटे के लिए कुछ भी कर सकती हैं. आपने चेस बोर्ड पर चाल चलते हुए प्रज्ञानंदा को देखा होगा. लेकिन उसके पास में बैठी महिला कोई और नही बल्कि प्रज्ञानंदा की माँ हैं. प्रज्ञानंदा की माँ नागलक्ष्मी सभी मैच में बेटे के साथ ही होती हैं.
माँ ने बनाया बेटे को शतरंज का बादशाह
ऐसा माना जाता है की प्रज्ञानंदा की माँ ने ही प्रज्ञानंदा को शतरंज का बादशाह बनाया हैं. महज 18 साल की उम्र में प्रज्ञानंदा को शतरंज का बादशाह बनाने में उनकी माता की भूमिका अहम रही हैं. दुबले पतले शरीर वाले प्रज्ञानंदा को शतरंज का बादशाह बनाकर माता नागलक्ष्मी ने भारत को एक दूसरा चाणक्य दिया हैं.
आज के समय में शतरंज का बादशाह बनने वाला प्रज्ञानंदा बहुत ही सिंपल परिवार से आता हैं. और उनका रहना करना भी काफी सिंपल हैं. अब प्रज्ञानंदा चैम्पियन कार्लसन से लोहा लेने की तैयारी में लगे हुए हैं. अब भारत के हर एक नागिरक चाहते हैं. की प्रज्ञानंदा विश्व विजेता बने और भारत का नाम रोशन करे.
विश्वनाथन आनंद के बाद दुसरे सबसे बड़े खिलाडी
पूरा देश इस 18 वर्ष के लडके की जीत के लिए प्राथर्ना कर रहा हैं. और हर एक नागिरक उनके साथ हैं. लेकिन इस स्थिति में प्रज्ञानंदा की माँ भी कंधे से कंधा मिलाकर उनके साथ चल रही हैं. प्रज्ञानंदा की खेलने कूदने की उम्र में उनकी माँ ने उनको 64 मुहरो वाले खेल का राजा बना दिया हैं.
ऐसा माना जाता है की प्रज्ञानंदा विश्वनाथन आनंद के बाद दुसरे ऐसे खिलाडी है. जिन्होंने ने शतंरज में विश्वकप के फाइनल में जगह बना ली हैं. प्रज्ञानंदा ने पहली मैच कार्लसन के साथ खेली थी. वह मैच ड्रो हुई थी. अब इसके बाद फिर से कार्लसन के साथ मैच होने वाली हैं. अब आज के दिन तय होगा की कौन विजेता बनता हैं.