सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रीवा ने बनाया नया कीर्तिमान, हृदय रोग विभाग ने किया अनोखा ऑपरेशन, जानिए कैसे दिया मरीज को नया जीवन

मरीज के हार्ट की पंपिंग सिर्फ 25 प्रतिशत थी, इलेक्ट्रिक वायरिंग में भी हो गया था डिफेक्ट

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Published on: 13 Sep 2022 5:57 AM GMT
सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रीवा ने बनाया नया कीर्तिमान, हृदय रोग विभाग ने किया अनोखा ऑपरेशन, जानिए कैसे दिया मरीज को नया जीवन
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श्याम शाह चिकित्सा कॉलेज रीवा से संबद्ध सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के हृदय रोग विभाग के चिकित्सकों ने अनोखा ऑपरेशन कर कीर्तिमान रखा है। एक मरीज के हृदय की पंपिग सिर्फ 25 प्रतिशत हो रही थी। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वायरिंग में भी डिफेक्ट आ गया था। ऐसे में सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल रीवा के चिकित्सकों ने लाट सीआरटी डिवाइस इम्प्लांट कर एक नई उपलब्धि हासिल की। इस जटिल ऑपरेशन के साथ दावा किया जा रहा है कि रीवा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल ऐसा करने वाला मध्यप्रदेश का प्रथम हृदय रोग संस्थान बन गया है। जिसने डिवाइस इंम्प्लांट करने में सफलता हासिल की है। इस जटिल ऑपरेशन को सुपर स्पेशलिटी चिकित्सालय के कार्डियोलॉजी विभाग में सह प्राध्यापक डॉ. एसके त्रिपाठी ने जयपुर के इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट डॉ. कुश भगत के प्रॉक्टरशिप और कैथलैब स्टाफ जय नारायण मिश्रा, सत्यम शर्मा, मनीष एवं नर्सिंग स्टाफ आकांक्षा के सहयोग से सफलता पूर्वक अंजाम दिया।

सांस फूलने की तकलीफ लेकर आया था मरीज
बताया गया है कि मरीज डॉ. एसके त्रिपाठी के पास सांस फूलने और जल्दी थकान की शिकायत लेकर आई थी। जांच में पता चला की उसके हृदय की पंपिग सिर्फ 25 प्रतिशत थी। हृदय की ईलेक्ट्रिकल वायरिंग में भी डिपेक्ट आ गया था। इसके लिए मरीज को पहले सभी जरूरी दवाएं दी गई, लेकिन आराम नहीं मिला।
Super Specialty Hospital Rewa made a new record

कृत्रिम तरीके से पंपिंग करती है डिवाइस
लाट सीआरटी डिवाइस इम्प्लांट करने से मरीज की इलेक्ट्रिकल वायरिंग की समस्या दूर हुई। इसके साथ ही समय के साथ हृदय भी ठीक होता जायेगा। यह उपकरण हृदय में कृत्रिम तरीके से धड़कन उत्पन्न करता है। जिससे हृदय सुचारू रूप से अपना काम करता है।

सही प्लानिंग व टेक्निकल सहयोग से मिली सफलता
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा के अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव ने कहा कि जटिल प्रक्रिया राज्य में पहली बार रीवा सुपरस्पेशलिटी चिकित्सालय रीवा में की जानी थी, सब कुछ सही करने का दबाव था। लेकिन सही योजना प्लानिंग, टेक्निकल सहयोग और जयपुर ईएचसीसी के डॉ. कुश भगत की प्रॉक्टरशिप में डॉ. एसके त्रिपाठी ने यह कारनाम कर दिखाया और रीवा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल को प्रदेश का पहला ऐसा केन्द्र बना दिया।

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