विंध्य भास्कर डेस्क। ‘‘बनारस की ज्ञानव्यापी शिव मंदिर है इसे मस्जिद न कहें’’ यह कहना है देश के प्रसि़द्ध कथा वाचक और चमत्कारी संत पंडित धीरेन्द्र शास्त्री का। सोमवार को उन्होंने छिदवाड़ा में आयोजित कथा के दौरान अनौपचारिक चर्चा के दौरान प़त्रकारों से कही है। उन्होंने ज्ञानव्यापी सर्वे को लेकर सवाल का जबाव देते हुए कहा कि ज्ञान व्यापी एक षिवमंदिर है इसे मस्जिद कह कर इसे अपमाानित नहीं करें। पंिडत धीरेन्द्र शास्त्री के इस बयान के बाद प्रदेश में फिर से सियासत गरमागई है।
बता दें कि बनारस के ज्ञानव्यापी मस्जिद के मामले में सुप्रीप कोर्ट के आदेश पर सर्वे किया जा रहा है। सर्वे के दौरान उनकों खुदाई में मस्जिद के अंदर से ़ि़त्रशूल एवं देवी देवताओं की प्रतिमाए मिली है। इसके बाद हिंदू पक्ष का दावा मजबूत हो गया है। इसी को लेकर अब पंडित धीरेन्द्र शास्त्री ने यह बयान दिया है। इसके पहले पंडित धीरेन्द्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर देश भर चर्चा में आ चुके है। अब ज्ञान्वापी को ंिशव मंदिर बताकर एक बड़ा विवाद शुरू कर दिया है। बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सर्वे का काम जारी है। इस जगह पर साल 1991 से ही मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाने की कानूनी लड़ाई चल रही है। ज्ञानवापी पर हिंदू और मुस्लिम दोनों ही पक्षों के अपने दावे और तर्क हैं।
इस बीच 21 जुलाई को बनारस के जिला जज ने हिन्दू पक्ष की याचिका पर भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) को सर्वे का आदेश दे दिया। हिन्दी समाचार पत्र अमर उजाला की एक रिपोर्ट के अनुसार इस सर्वे को पूरा करने के लिए लगभग 200 साल पहले बनारस का सर्वे करने वाले ईस्ट इंडिया कंपनी के टकसाल के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप के नक्शे का सहारा लिया जा रहा है।
दरअसल ब्रिटिश आर्किटेक्ट जेम्स प्रिंसेप ने 19वीं शताब्दी में एक किताब लिखी थी। नाम था श्बनारस इलस्ट्रेटेडश्. इस पुस्तक में उन्होंने काशी से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी दी है। इस किताब में प्रिंसेप ने काशी का इतिहास से लेकर काशी की संस्कृति, काशी के घाट और ज्ञानवापी परिसर में मौजूद मंदिर के बारे में जानकारी दी है।
बनारस इलस्ट्रेटेड में जेम्स प्रिंसेप ने ज्ञानवापी को मंदिर होने का दावा किया है। उन्होंने उस किताब में ज्ञानवापी मस्जिद को विश्वेश्वर मंदिर बताया है। इस पुस्तक में विश्वेश्वर मंदिर का नक्शा भी प्रकाशित किया गया है। किताब में जेम्स प्रिंसेप ने जानकारी को सबूतों के साथ पेश करने के लिए लिथोग्राफी तकनीक का इस्तेमाल किया है।