CG News: भारतीय जनता पार्टी 5 साल के वनवास के बाद 54 सीटों के साथ छत्तीसगढ़ में एक बार फिर वापस लौट आई और नतीजे आने से पहले ही हर जुबां पर एक ही सवाल है कि आखिर भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री किसे बनाया जाएगा? जब इसका जवाब चुनाव प्रभारी ओम माथुर से लेकर प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव से पूछा गया तो सभी का कहना था कि केंद्रीय संसदीय बोर्ड ही इसे तय करेगा। भाजपा लोकसभा को ध्यान में रखते हुए पहली बार प्रदेश में मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री का फार्मूला ला सकती है।
डॉ. रमन सिंह चुनावी रणनीति बनाने की हर बैठकों में मौजूद रहे। वरिष्ठता के आधार पर वे मुख्यमंत्री पद की पसंद हो सकते हैं। अरुण साव के नेतृत्व में चुनाव हुआ है तो वे स्वाभाविक दावेदार होंगे। आईएएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में आने वाले ओपी चौधरी ने बड़ी जीत दर्ज की है, इसलिए उनका नाम संभावित युवा मुख्यमंत्री के तौर पर सामने आ रहा है सोशल मीडिया में उनके जुड़े अलग-अलग पोस्ट भी ट्रेंड कर रहे हैं। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव का नाम भी चर्चा में है। सबसे बड़ी जीत हासिल करने वाले बृजमोहन अग्रवाल का दावा भी सामने आएगा। चौंकाने वाला नाम राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय का भी हो सकता है।
सीएम कौन..
डॉ. रमन सिंह, 15 साल तक रहे मुख्यमंत्री: 15 साल मुख्यमंत्री रहे। प्रदेश प्रभारी ओम माथुर ने इन पर विश्वास किया। चुनाव में जिस तरह उन्हें आगे किया गया, अब जीत के बाद भी उनका कद बढ़ाया जा सकता है। उनकी मंशा के अनुरूप घोषणा पत्र 2017 और 2018 के धान का बोनस देने का वादा किया।
अड़चन: 15 साल मुख्यमंत्री रहे, पर भाजपा 2018 में युरी तरह हारी थी।
सरोज पांडेय, हो सकता है चौंकाने वाला नाम: सरोज पांडेय अभी राज्यसभा सांसद हैं। पार्टी ने हाल में ही उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर छत्तीसगढ़ के पहली पंक्ति के नेताओं में शामिल किया है। सरोज को पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के विश्वसनीय नेताओं में गिना जाता है। उन्हें आक्रामक छवि व तेज तर्रार नेता माना जाता है।
अड़चन: विस चुनाव नहीं लड़ा है, इसलिए चयन पर सवाल उठ सकते हैं।
अरुण साव, प्रदेश अध्यक्ष, ओबीसी नेता : भाजपा ने अरुण साव को चुनाव से एक साल पहले प्रदेश अध्यक्ष बनाकर ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश की थी। जिस तरह से प्रदेश समझा व कांग्रेस के ओबीसी की राजनीति को काटा, उससे सभी बड़े नेता खुश हैं। यही वजह है कि 35 ओबीसी प्रत्याशी में से 19 भाजपा के प्रत्याशी जीते हैं।
अड़चन: साव से सीनियर कई नेता हैं. कम अनुभव के कारण उठगे प्रश्न
विष्णुदेव साय, संघ बैकग्राउंड, आदिवासी नेता: पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय को लेकर चुनाव के दौरान शाह ने बयान दिया था कि अगर ये जीतते हैं तो बड़ा पद दिया जाएगा। आदिवासियों में अच्छी पैठ और सरल सहज होने की वजह से आलाकमान के पसंदीदा है। संघ से जुड़े होने की वजह से इन्हें पार्टी मौका दे सकती है।
अड़चन: चुनाव में अच्छा परफार्मेस न होने अड़चन से प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया गया।
ओपी चौधरी, ओबीसी कार्ड, पूर्व आईएएस: रमन सिंह के करीबी ओपी चौधरी को पार्टी मौका दे सकती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी चुनाव प्रचार के दौरान इशारा किया था कि अगर वे जीतते हैं तो पार्टी उन्हें बड़ा पद देगी। पूर्व कलेक्टर चौधरी को पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर सभी शीर्ष नेता पसंद करते हैं।
अड़चन: पहली बार जीते विधायक को सीएम डिप्टी सीएम बनाने पर सवाल
रेणुका सिंह, आदिवासी प्रतिनिधित्व व महिला: रेणुका सिंह छत्तीसगढ़ से एक मात्र केंद्रीय मंत्री हैं। उनकी परंपरागत सीट प्रेमनगर की जगह उन्हें भरतपुर सोनहट से मैदान में उतारा गया। उसके बावजूद वे कांग्रेस के गुलाब कमरो से जीत गई। सरगुजा की सभी 14 सीटें बीजेपी जीत गई हैं। ऐसे में इन्हें बड़ा पद दिया जा सकता है।
अड़चन: प्रदेश के कई बड़े नेताओं की पहली अड़चन पसंद नहीं, आपत्तियां आ सकती हैं।
मंत्रिमंडलः आधे सीनियर, आधे नए
भाजपा के नए मंत्रिमंडल में 50-50 का फार्मूला अपनाया जा सकता है। 50 प्रतिशत पुराने मंत्रियों को दोबारा लाकर एक अनुभवी टीम खड़ी करने की तैयारी है। वहीं 50 प्रतिशत नए चेहरों को मौका मिलेगा। इसमें कई ऐसे भी हैं, जो लंबे समय से राजनीति में रहे हैं, लेकिन कभी मंत्री नहीं बने।
• बृहमोहन अग्रवाल : 8 बार से चुनाव जीतते आए हैं। 15 साला मंत्री रहे. इसलिए दोबारा मंत्री पद मिल सकता है। • अजय चंद्राकर : कांग्रेस तहर में भी चुनाव जीते। पूर्व में स्वास्थ्य मंत्री रहे, इस बार भी पार्टी मौका दे सकती है। • राजेश मूणत : 15 साल लगातार मंत्री रहे। इस बार बड़ी जीत हासिल करने के बाद उन्हें पार्टी मंत्री बना सकती है। • रामविचार नेताम : पूर्व राज्यसभा सांसद, पूर्व गृह मंत्री रहे बड़ी जीत की वजह से मौका मिल सकता है। • अमर अग्रवाल : पूर्व में वित्त मंत्री रहे दिग्गजों में शामिल पार्टी फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कर सकती है। • केदार कश्यप : महामंत्री के पद पर हैं। पूर्व शिक्षा मंत्री रहे, इसलिए उन्हें पार्टी फिर से मौका दे सकती है। • अरुण साव : प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में चुनाव जीता। इसलिए पार्टी मंत्री पद से नवाज़ सकती है। • विष्णुदेव साय : पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे। आदिवासियों के प्रतिनिधि के तौर पर जिम्मेदारी संभव है। • धरमलाल कौशिक : पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रहे। पार्टी राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह दी। मंत्री बना सकते हैं। • लता उसेंडी : पूर्व महिला बाल विकास, समाज कल्याण मंत्री रह चुकी हैं। दोबारा मंत्री बनाया जा सकता है। • ओपी चौधरी : पूर्व आईएएस और महामंत्री होने की वजह से पार्टी प्रमोट करेगी, मंत्रिमंडल में ले सकती है। • रेणुका सिंह : अभी केंद्रीय मंत्री होने की वजह से पार्टी इन्हें छत्तीसगढ़ के मंत्रिमंडल में भी शामिल सकती है। • अनुज शर्मा : बड़ी जीत हासिल की। कलाकार से नेता बने और अब मंत्री की दौड़ में है। • विजय शर्मा : पार्टी के महामंत्री तथा कावर मंत्री अकबर को हराने के कारण मंत्री बना सकते हैं।